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बुलंदशहर हिंसा: छह महीने में कितनी बदली चिंगरावठी की तस्वीर

पिछले साल बुलंदशहर के स्याना कोतवाली के चिंगरावठी चौकी में हुई हिंसा के बाद से यहां के लोगों का जन-जीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि यहां का सभी काम-काज ठप पड़ा हुआ है. वहीं इस हिंसा के बाद से पूरा इलाका प्रभावित हुआ है.

चिंगरावठी पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने जाना गांव का हाल.
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Published : Jun 2, 2019, 11:54 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: साल 2018 में स्याना कोतवाली के चिंगरावठी चौकी पर हुई हिंसा की आग में इस गांव के लोग अब तक झुलस रहे हैं. यही वजह है कि अभी तक भी यहां की दिनचर्या पटरी पर नहीं लौट सकी है. गांव की गति जैसे थम सी गई है. ईटीवी भारत की टीम खुद चिंगरावठी गांव पहुंची और जाना वहां का हाल.

चिंगरावठी पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने जाना गांव का हाल.

क्या था मामला

  • तीन दिसंबर 2018 को स्याना कोतवाली के चिंगरावठी चौकी पर हिंसा भड़की थी.
  • इस हिंसा में स्याना कोतवाली के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक छात्र सुमित की मौत हो गई.
  • इतना ही नहीं उपद्रवियों ने चौकी पर खड़े वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया था.
  • घटना के बाद 27 नामजद समेत करीब 60 लोगों के खिलाफ अज्ञात में मुकदमा पंजीकृत किया गया था.
  • तब से आज तक इस गांव के करीब 35 लोग सलाखों के पीछे हैं.

क्या कहते हैं चिंगरावठी के लोग

  • युवाओं का कहना है कि गांव के युवा कहीं और चले गए हैं. उन्हें डर है कि अगर वह गांव में रहेंगे तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी और उनका करियर तबाह हो जाएगा.
  • प्रशासन और सरकार अगर इस ओर ध्यान दे तो गांव के युवाओं का भविष्य तबाह होने से बच सकता है.
  • छह महीने में कई लोगों की शादी सिर्फ इसलिए टूट गई क्योंकि कोई कन्यादान करने या जोड़े को आशीर्वाद देने तक नहीं आया.

ग्रामीणों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद चिंगरावठी में एक बार फिर पुलिस की गाड़ियों के सायरन बजने लगे हैं. ग्रामीणों का मानना है कि यहां के रहने वाले हर किसी का काम इस हिंसा से प्रभावित हुआ है.

बुलंदशहर: साल 2018 में स्याना कोतवाली के चिंगरावठी चौकी पर हुई हिंसा की आग में इस गांव के लोग अब तक झुलस रहे हैं. यही वजह है कि अभी तक भी यहां की दिनचर्या पटरी पर नहीं लौट सकी है. गांव की गति जैसे थम सी गई है. ईटीवी भारत की टीम खुद चिंगरावठी गांव पहुंची और जाना वहां का हाल.

चिंगरावठी पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने जाना गांव का हाल.

क्या था मामला

  • तीन दिसंबर 2018 को स्याना कोतवाली के चिंगरावठी चौकी पर हिंसा भड़की थी.
  • इस हिंसा में स्याना कोतवाली के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक छात्र सुमित की मौत हो गई.
  • इतना ही नहीं उपद्रवियों ने चौकी पर खड़े वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया था.
  • घटना के बाद 27 नामजद समेत करीब 60 लोगों के खिलाफ अज्ञात में मुकदमा पंजीकृत किया गया था.
  • तब से आज तक इस गांव के करीब 35 लोग सलाखों के पीछे हैं.

क्या कहते हैं चिंगरावठी के लोग

  • युवाओं का कहना है कि गांव के युवा कहीं और चले गए हैं. उन्हें डर है कि अगर वह गांव में रहेंगे तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी और उनका करियर तबाह हो जाएगा.
  • प्रशासन और सरकार अगर इस ओर ध्यान दे तो गांव के युवाओं का भविष्य तबाह होने से बच सकता है.
  • छह महीने में कई लोगों की शादी सिर्फ इसलिए टूट गई क्योंकि कोई कन्यादान करने या जोड़े को आशीर्वाद देने तक नहीं आया.

ग्रामीणों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद चिंगरावठी में एक बार फिर पुलिस की गाड़ियों के सायरन बजने लगे हैं. ग्रामीणों का मानना है कि यहां के रहने वाले हर किसी का काम इस हिंसा से प्रभावित हुआ है.

Intro:गोवंशों के अवशेष मिलने के बाद पिछले साल 3 दिसंबर को बुलंदशहर के स्याना कोतवाली क्षेत्र की चिंगरावठी पुलिस चौकी पर हुई हिंसा की आग में अभी तक भी इस गांव के लोग झुलस रहे हैं, यही वजह है कि अभी तक भी यहां की दिनचर्या पटरी पर नहीं है।गांव की गति जैसे थम गई है ,कई परिवारों में घर की जिम्मेदारी उठाने वाले मुखिया ही नहीं हैं ,क्योंकि वो हिंसा के मामले में या तो सलाखों के पीछे हैं या फिर गांव से फरार।इटीवी भारत ने गांव में जाकर 6 माह पूर्व में हुई घठना के बाद से अब तक के हालात का जायजा लिया,और जानी गांव की जमीनी हकीकत,देखिये इटीवी भारत की ये पडतालपूर्ण एक्सक्लुसिव खबर।






Body:पिछले साल 3 दिसंबर को बुलंदशहर के थाना कोतवाली क्षेत्र के महाव गांव में गोवंशों के अवशेष मिले थे ,जिसके बाद कुछ हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं के द्वारा उन गोवंश के अवशेष को लेकर स्थानीय प्रशासन से टकराव हुआ और टकराव कब हिंसा में बदल गया इसका तब पता चला जब स्याना कोतवाली के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की जान चली गई ,और चिंगरावटी गांव के एक एनडीए की तैयारी करने वाले होनहार छात्र सुमित की भी गोली लगने से मौत हो गई ,इतना ही नहीं बलवाइयों ने उस वक्त चिंगरावठी चौकी पर न सिर्फ जमकर पथ्थरबाजी की थी,बल्कि जब तक फोर्स कम थी तो ऐसे वीडियो भी इस बारे में सामने आए थे जिनमें पुलिस की गाड़ियों के पीछे बलवाई दौड़ रहे थे,चौकी पर खड़े वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था,जिसके बाद प्रदेश भर की निगाहें इस तरफ उस वक्त हो गई थीं। हालांकि अब पुलिस चिंगरावठी पुलिस चौकी की दीवारों की मरम्मत कराकर रंगाई पुताई कराकर निशानों को दबा चुकी है जो अभी भी चिंगरावठी गांव के लोगों दर्द दे रहे हैं ।
घटना के बाद 4 दिसंबर को स्याना कोतवाली पर 27 नामजद और करीब 60 लोगों के खिलाफ अज्ञात में मुकदमा पंजीकृत किया गया था ,उस दिन से और आज तक चिंगरावटी गांव के करीब 35 लोग इस हिंसा के मामले में अब तक सलाखों के पीछे हैं, जबकि करीब कुल 43 लोग इस मामले में अभी तक जेल की सलाखों के पीछे पहुंच पाए हैं जबकि अगर बात की जाए तो पुलिस असभ्य 27 नामजद हिंसा के सभी आरोपियों को भी नहीं पकड़ पाई है ,जबकि 60 अज्ञात आरोपियों को भी पुलिस नहीं पकड़ पाई है ,तो वहीं कुछ ऐसे लोग जरूर पकड़े गए हैं जो कि वायरल वीडियो फुटेज मैं घटनास्थल के आसपास थे।
इस गांव में अभी भी लोग उस घटना को याद करके सिहर जाते हैं, ग्रामीणों का कहना है कि इस घटना ने उन्हें काफी तकलीफ दी हैं ,और गांव इस घटना को कभी भूल नहीं पाएगा साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक भी गांव के हालात पूरी तरह से सामान्य नहीं हैं, लोग पुलिस के डर से अभी भी गांव के बाहर हैं ,जबकि घटना को 6 महीने हो चुके हैं।
चिंगरावठी गांव के लोगों का कहना है कि इस घटना ने गांव को काफी पीछे कर दिया है गांव में ही स्कूल चलाने वाले एक युवा का कहना है की अभी अभी जो गांव में हालात है उसके मुताबिक जो युवा है जो तैयारी करते थे या पढ़ाई कर रहे थे वह अन्यत्र कहीं गए हुए हैं क्योंकि उन्हें डर है कि अगर वह गांव में रहेंगे तो पुलिस उन्हें पकड़ लेगी और ऐसा हुआ तो उनका करियर तबाह हो जाएगा,मई माह में ही वीडियो फुटेज में प्रकाश में आने के बाद सरेंडर करने वाले बीएससी के छात्र अमरदीप के पिता का कहना है उनका होनहार बेटा बीएससी में पढ़ता था और वह ट्यूशन पढ़ कर लौट रहा था लेकिन पुलिस की वीडियो फुटेज में वह कहीं था जिसके बाद काफी दिन तक पुलिस ने उनके घर के चक्कर लगाए और अंत में थक हार कर उन्हें अपने बेटे को कोर्ट में आत्मसमर्पण कराना पड़ा , फिलहाल गांव के लोग कहते हैं कि अगर इस तरफ प्रशासन और सरकार ध्यान दें तो गांव के जो युवा हैं उनका भविष्य तबाह होने से बच सकता है,
इतना ही नही गांव में 6 महीने में कई शादी सिर्फ इसलिए टूट गईं क्योंकि जो युवा हैं व्व या तो सलाखों के पीछे पहुंच गए या फिर सामने नहीं आ सकते ,तो वहीं गांव की बालिकाओं की शादियां ऐसे माहौल में विवश होकर कई लोगों को करनी पड़ीं ,की कोई कन्यादान तक करने या फिर विवाह के बंधन में बंधे जोड़े को आशीर्वाद तक देने भी नहीं आया,ग्रामीणों का कहना है कि क्योंकि अगर वह कन्यादान करने पहुंचते तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेती,
फिलहाल गांव के युवा विपिन का कहना है कि उनका यह गांव कई साल पीछे चला गया है।
अब ग्रामीणों का ये भी कहना है कि लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद एक बार फिर चिंगरावठी में अब पुलिस की गाड़ियों के सायरन बजने लगे हैं,फिलहाल गांव में ग्रामीण मानते हैं कि यहां के रहने वाले हर किसी का काम इस हिंसा से प्रभावित हुआ है।
one to one... with villagers ग्रामीण

श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888





Conclusion:
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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