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बुलंदशहर हिंसा: शासन की अनुमति के बिना SIT ने आरोपियों पर लगाई देशद्रोह की धारा, उठे सवाल - यूपी एसआईटी

बुलंदशहर के स्याना कोतवाली क्षेत्र में हुई हिंसा में एसआईटी ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. एसआईटी ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या में प्रशांत नट, राहुल, लोकेंद्र, डेविड और जॉनी को चार्जशीट में हत्या का आरोपी बनाया है.

स्याना कोतवाली क्षेत्र के चिंगरावठी पुलिस चौकी पर हुई थी हिंसा.
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Published : Mar 7, 2019, 7:19 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: 3 दिसबंर 2018 कोस्याना कोतवाली क्षेत्र में हुई हिंसा की जांच कर रही SIT ने शासन की मंजूरी लिए बिना ही आरोपियों पर देशद्रोह की धारा लगाकर चार्जशीट दाखिल कर दी, जिसे कोर्ट ने संज्ञान में नहीं लिया. हालांकि कोर्ट ने एसआईटी की चार्जशीट को मंजूर कर लिया है. इस प्रकरण में कुल 39 आरोपी जेल में बंद हैं.

एसआईटी ने तय समय सीमा के तीन माह का समय पूर्ण होने से एक दिन पहले मामले में दो मार्च को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. एसआईटी ने जेल में बंद 39 आरोपियों में से 38 के खिलाफ सीजेएम अवधेश पांडे की कोर्ट में 3,403 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी. इंस्पेक्टर की हत्या के आरोप में प्रशांत नट, राहुल, लोकेंद्र, डेविड और जॉनी को चार्जशीट में आरोपी बनाया गया है, जबकि बाकी अभियुक्तों को हत्या के प्रयास और बलवा आदि की धाराओं में आरोपी बनाया गया है.

जानकारी देते एसपी सिटी अतुल श्रीवास्तव.

एसआईटी ने सभी पर देशद्रोह की आईपीसी की धारा 124 (ए) लगाई है. सीजेएम अवधेश पांडे ने चार्जशीट पर सुनवाई करते हुए पूरे प्रकरण को एसीजेएम द्वितीय देवेंद्र नाथ सिंह की कोर्ट में भेज दिया, जहां मंगलवार को देर शाम तक चार्जशीट में आरोपियों पर लगाई गई 124 (ए)पर बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने जमकर बहस की. बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं का तर्क था कि एसआईटी बिना शासन की मंजूरी के जेल में बंद आरोपियों पर देशद्रोह की धारा नहीं लगा सकती है. बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद एसीजेएम द्वितीय ने धारा 124 (ए)पर कोई संज्ञान नहीं लिया और बाकी धाराओं में चार्जशीट मंजूर कर ली गई.

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बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना है कि जिस धारा को एसआईटी अपनी तरफ से लगाई थी. उसका वह पहले दिन से ही विरोध कर रहे थे. उस धारा को लगाने के लिए पहले शासन से अनुमति लेना जरूरी होता है. वहीं एसपी सिटी अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि मामले में कुल 38 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है, जबकि राजकुमार जो कि महाव गांव का पूर्व प्रधान है, उस पर अभी जांच टीम और पुलिस कार्य कर रही है. हालांकि वह भी जेल में बंद है. वहीं अन्य अभियुक्तों को पकड़ने का प्रयास जारी है.

बुलंदशहर: 3 दिसबंर 2018 कोस्याना कोतवाली क्षेत्र में हुई हिंसा की जांच कर रही SIT ने शासन की मंजूरी लिए बिना ही आरोपियों पर देशद्रोह की धारा लगाकर चार्जशीट दाखिल कर दी, जिसे कोर्ट ने संज्ञान में नहीं लिया. हालांकि कोर्ट ने एसआईटी की चार्जशीट को मंजूर कर लिया है. इस प्रकरण में कुल 39 आरोपी जेल में बंद हैं.

एसआईटी ने तय समय सीमा के तीन माह का समय पूर्ण होने से एक दिन पहले मामले में दो मार्च को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. एसआईटी ने जेल में बंद 39 आरोपियों में से 38 के खिलाफ सीजेएम अवधेश पांडे की कोर्ट में 3,403 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी. इंस्पेक्टर की हत्या के आरोप में प्रशांत नट, राहुल, लोकेंद्र, डेविड और जॉनी को चार्जशीट में आरोपी बनाया गया है, जबकि बाकी अभियुक्तों को हत्या के प्रयास और बलवा आदि की धाराओं में आरोपी बनाया गया है.

जानकारी देते एसपी सिटी अतुल श्रीवास्तव.

एसआईटी ने सभी पर देशद्रोह की आईपीसी की धारा 124 (ए) लगाई है. सीजेएम अवधेश पांडे ने चार्जशीट पर सुनवाई करते हुए पूरे प्रकरण को एसीजेएम द्वितीय देवेंद्र नाथ सिंह की कोर्ट में भेज दिया, जहां मंगलवार को देर शाम तक चार्जशीट में आरोपियों पर लगाई गई 124 (ए)पर बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने जमकर बहस की. बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं का तर्क था कि एसआईटी बिना शासन की मंजूरी के जेल में बंद आरोपियों पर देशद्रोह की धारा नहीं लगा सकती है. बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद एसीजेएम द्वितीय ने धारा 124 (ए)पर कोई संज्ञान नहीं लिया और बाकी धाराओं में चार्जशीट मंजूर कर ली गई.

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बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना है कि जिस धारा को एसआईटी अपनी तरफ से लगाई थी. उसका वह पहले दिन से ही विरोध कर रहे थे. उस धारा को लगाने के लिए पहले शासन से अनुमति लेना जरूरी होता है. वहीं एसपी सिटी अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि मामले में कुल 38 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है, जबकि राजकुमार जो कि महाव गांव का पूर्व प्रधान है, उस पर अभी जांच टीम और पुलिस कार्य कर रही है. हालांकि वह भी जेल में बंद है. वहीं अन्य अभियुक्तों को पकड़ने का प्रयास जारी है.

Intro:पिछले साल बुलंदशहर के स्याना में हुई हिंसा के मामले में जांच में जुटी एसआईटी ने कोर्ट में शासन की मंजूरी के बिना ही आरोपियों पर देशद्रोह की धारा लगाकर चार्जशीट दाखिल की थी ,जिस पर कोर्ट ने संज्ञान ही नहीं लिया,हालांकि चार्जशीट मंजूर जरूर कर ली गयी है,काबिलेगौर है कि स्याना हिंसा प्रकरण में कुल 39 हिंसा के आरोपी जेल में निरुध्द हैं ,रिपोर्ट देखिये

कृपया कुछ फ़ाइल फुटेज और बाइट एफटीपी से लेने का कष्ट करें,

इस spelling के साथ एफटीपी पर प्रेषित.

bulandshahr hinsa06-03-19
bulandshahr हिंसा06-03-19,sp सिटी बाइट
कृपया काफी समय से प्रयास के बाद sp सिटी की बाइट दूसरे फोल्डर से भेजी गई है।


Body:बुलंदशहर में पिछले साल 3 दिसंबर को स्याना कोतवाली क्षेत्र के महाव गांव में गोवंशों के अवशेष मिलने के बाद चिंगरावटी चौकी पर हिंसा भड़क गई थी,हिंदूवादी संघठनों के नेताओं को हिंसा फैलाने के लिए जिम्मेवार माना जा रहा था,काबिलेगौर है कि गोवंशों के अवशेष मिलने से वहां का माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया था, बेकाबू भीड़ के आतंक ने चिंगरावटी चौकी पर तोड़फोड़ की थी,इसी दौरान एक नवयुवक सुमित की मौत हो गयी थी , जिसके बाद भीड़ के रूप में मौजूद बलवाइयों ने चौकी को आग लगा दी थी तो वहीं स्थिति को नियंत्रण में करने का प्रयास कर रहे डियूटी पर तैनात स्याना इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की भी हत्या कर दी गई थी ,हिंसा के दौरान वहां खड़े सभी वाहनों को बलवाइयों की भीड़ ने जला दिया था , पुलिस चौकी को भी आग के हवाले कर दिया था,बलवाइयों की भीड़ के आगे पुलिस बल की अपर्याप्त संख्या होने की वजह से पत्थरबाजों ने पुलिस के जवानों पर पत्थर भी फेंके तोड़फोड़ भी की थी,उस वक्त पुलिस को आक्रोशित भीड़ ने वहां से दौड़ा दिया था इस तरह की वीडियो भी खूब वायरल हुई थीं,इस मामले में 4 दिसम्बर को 27 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था,जबकि करीब 60 अज्ञात के खिलाफ हिंसा समेत कई धाराएं लगाई गई थी।जिसमें महाव गांव के जीतू फौजी समेत हिंदूवादी संघटनों के नेताओं और बीजेपी के स्याना नगर अध्यक्ष को भी नामजद किया गया था,एस आई टी की तय समय सीमा के तीन माह के समय के पूर्ण होने से एक दिन पूर्व इस मामले में दो मार्च को
एसआईटी ने जेल में बंद 39 आरोपियों में से 38 के खिलाफ सीजेएम अवधेश पांडे की कोर्ट में 3403 पेज की चार्जशीट दाखिल कर दी थी ,और इसमें प्रशांत नट राहुल ,लोकेंद्र, डेविड और जॉनी को हत्या का आरोपी बनाया गया था ,इंस्पेक्टर की हत्या के आरोप में जबकि बाकी अभियुक्तों को हत्या के प्रयास बलवा आदि धाराओं में आरोपित बनाया गया था, इतना ही नहीं सभी पर एसआईटी ने देशद्रोह की आईपीसीकी धारा 124 ए भी अपनी तरफ से लगाई हुई थी, जिसको लेकर 2 मार्च को अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई थी, सीजेएम ने चार्जशीट पर सुनवाई के लिए इस पूरे प्रकरण को एसीजेएम द्वितीय की कोर्ट में भेज दिया और जहां मंगलवार को देर शाम तक चार्जशीट में आरोपितों पर लगाई गई 124 पर बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने जमकर बहस की बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं का तर्क था कि एसआईटी बिना शासन की मंजूरी के जेल में बंद आरोपियों पर देशद्रोह की धारा नहीं लगा सकती, बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद एसीजेएम(द्वितीय) देवेंद्र नाथ सिंह ने धारा 124 ए पर कोई संज्ञान ही नहीं लिया और बाकी धाराओं में चार्जशीट मंजूर कर ली गई ।इस बारे में बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना है कि जिस धारा को एसआईटी अपनी तरफ से लगा कर चल रही थी,उसका व्व पहले दिन से विरोध कर रहे थे, उस धारा को लगाने के लिए पहले शासन से परमिशन जरूरी थी,काबिलेगौर है सरकार विरोधी सामग्री लिखने, बोलने या इसका समर्थन करने,राष्ट्रीय चिन्ह का अपमान संविधान को नीचा दिखाने जैसे कुछ अहम विषयों पर ही इस धारा का उपयोग किया जाता है, जबकि यहां देशद्रोह जैसी कोई बात नहीं थी फिलहाल इस पूरे मामले में नगर पुलिस अधीक्षक अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि कुल 38 लोगों के मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है जबकि राजकुमार जो कि महाव गांव का पूर्व प्रधान है उस पर अभी जांच टीम और पुलिस कार्य कर रही है हालांकि व्व भी जेल में है,तो वहीं अन्य अभियुक्तों के पकड़ने के प्रयास जारी हैं, और बाकी के मामले में भी जब भी साक्ष्य संकलन के बाद आगे कुछ अपडेट होगा तो जानकारी दी जाएगी ,प्रशांत नट,डेविड,जॉनी लोकेंद्र और राहुल को इंस्पेक्टर की हत्या का आरोपी इस चार्जशीट में माना गया है जिसे कोर्ट द्वारा मंजूर कर लिया गया है। हिंदूवादी संगठनों से जुड़े योगेश राज समेत अन्य हिंसा के आरोपियों को पुलिस ने स्पेक्टर की हत्या का आरोपी ही नहीं माना, जिसके बाद स्वत ही इस मामले में सबसे चर्चित रहे बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज और बीजेपी के नेताओं को सुबोध कुमार की हत्या मामले में क्लीन चिट मिल गई तो वहीं अभी तक भी इस घटना में जहां सभी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है, तो दूसरी तरफ मृतक इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की पिस्टल और दो मोबाइल अभी तक जांच जांच टीम बरामद नहीं कर पाई है,हालांकि इंस्पेक्टर के सीयूजी नम्बर वाले मोबाइल की बरामदगी पुलिस ने पिछले माह इंस्पेक्टर के हत्या के आरोप में जेल में निरुध्द प्रशांत नट के घर से करना बताया था।लेकिन अभी तक उस पिस्टल को खोजने में पुलिस कामयाब नहीं हो पाई है तो वहीं नामजद अभियुक्तों से लेकर अज्ञात हिंसा के आरोपियों की संख्या भी अब तक सलाखों के पीछे पहुंचे आरोपियों से कहीं ज्यादा है जो कि घटना के सवा तीन माह बाद भी पकड़ से बाहर हैं।
बाइट...भ्रूणों भूषण, बचाव पक्ष के अधिवक्ता

बाइट...अतुल श्रीवास्तव,एस पी सिटी,बुलन्दशहर।




Conclusion:बड़ा सवाल ये है कि जो आरोपी अभी तक सलाखों के पीछे हैं उनमें से जहां कुछ वायरल विडियों में प्रकाश में आये लोगों को चिन्हित करने के बाद पकड़ा गया तो वहीं कुछ ने मौका पाकर खुद ही कोर्ट मंजन सरेंडर कर दिया ,लेकिन पुलिस न ही तो इंस्पेक्टर की पिस्टल बरामद कर पाई और न हीं इंस्पेक्टर के सीयूजिंके अलावा प्राइवेट मोबाइल,जबकि जहां 27 नामजद हैं तो वहीं 60 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा स्याना कोतवाली पर दर्ज है,लेकिन अब तक सिर्फ 39 लोग ही सलाखों के पीछे हैं।लम्बे वक्त तक न भूलने वाली इस घटना के तीन माह बाद भी क्या पुलिस की कार्रवाही संतोषजनक है।

पीटीसी...श्रीपाल तेवतिया,

बुलंदशहर।
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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