बुलंदशहर: सरकार भले ही लाख दावे करे कि जरूरतमंदों को सरकारी अस्पताल में सारी सुविधाएं दी जा रही हैं. मगर जिले का बाबू बनारसीदास जिला अस्पताल की तस्वीरें इन खोखले दावों की हकीकत बयां कर रही हैं.
जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का अंबार
जब मरीज यहां आता है तो उसके तीमारदारों को खुद ही स्ट्रेचर खोजना पड़ता है. अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते अस्पताल के कर्मचारी मरीज को यूं ही छोड़ देते हैं. यहां तक की अगर किसी मरीज को कहीं रेफर किया जाता है तो भी एंबुलेंस तक ले जाने की भी जिम्मेदारी भी तीमारदार की ही होती है. जिले के सबसे बड़े जिला अस्पताल बाबू बनारसीदास का रियलिटी चेक ईटीवी भारत ने किया. अस्पताल में कर्मचारियों की कमी नहीं है. अगर किसी मरीज को दूसरे वॉर्ड में शिफ्ट करना होता है तो भी तीमारदारों को ही उसे स्ट्रेचर से शिफ्ट करना होता है.
यहां एक महिला को फ्रैक्चर होने के बाद हायर मेडिकल सेंटर के लिए रेफर किया गया था. इस दौरान सरकारी अस्पताल में किसी वॉर्ड बॉय या अटेंडेंट ने मदद नहीं की. इस वजह से मरीज के तीमारदार पहले कहीं से स्ट्रेचर खोज कर लाए और उसके बाद इमरजेंसी वॉर्ड से लेकर एंबुलेंस तक खुद ही मरीज को लेकर पहुंचे.
वहीं सीएमएस के दफ्तर के बिल्कुल ठीक सामने एक बुजुर्ग मरीज को उसके दो बेटे स्ट्रेचर की मदद से वॉर्ड में शिफ्ट कराने के लिए ले जा रहे थे. इस वक्त भी अस्पताल का कर्मचारी गायब थे. इस बारे में जब तीमारदारों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कर्मचारी उनसे कहते हैं कि स्ट्रेचर लेकर आइए और अपने मरीज को यहां से लेकर जाइए.
वहीं सीएमएस दिनेश कुमार से जब बात की गई तो उन्होंने मामले की जांच करने की बात कही.