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जानिए क्यों इस गांव में प्रवेश नहीं कर सकता कोई भी नेता या जनप्रतिनिधी

ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी राजनीतिक दल के जनप्रतिनिधि को गांव में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. इसके लिए बाकायदा बैनर का सहारा भी लिया गया है.

विरोध में लगाए गए बैनर और पोस्टर
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Published : Feb 5, 2019, 12:08 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: आगामी लोकसभा चुनावों से पहले जनप्रतिनिधियों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि जनप्रतिनिधियों ने उनके गांव में किसी भी तरह का विकास नहीं कराया है. जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर स्थित काहिरा गांव में जिले के सांसद और विधायक के प्रवेश पर ग्रामीणों ने पाबंदी लगा दी है.

गांव में नहीं हुआ कोई विकास
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मामला बुलंदशहर जिले के काहिरा गांव का है, जहां एक के बाद एक जिले के सांसद और विधायकों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है. काहिरा गांव के लोगों का आरोप है कि जब नेता वोट मांगने गांव में आए थे, तो बड़े-बड़े वादे किये थे, लेकिन चुनाव जीतने के बाद किसी ने गांव की सुध लेना जरुरी नहीं समझा. आलम यह है कि जहां देश भर में केंद्र और प्रदेश की सरकारों के द्वारा तरह-तरह के विकास कार्य कराए जा रहे हैं, वहीं शहर से कुछ ही दूरी पर स्थित काहिरा गांव में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. ये बुलंदशहर जिले का पहला मामला नहीं है, कुछ दिन पहले डिबाई के एक गांव में भी जनप्रतिनिधियों को गांव में विरोध का सामना करना पड़ा था.

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि आए दिन गांव में टूटे रास्तों की वजह से दुर्घटनाएं हो जाती हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव से करीब 10 गांवों के लिए रास्ता निकलता है, लेकिन सड़को पर गढ्ढों की वजह से जरा सी बारिश होने पर ही रास्ते का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. गांव के नौजवानों ने ईटीवी से बात करते हुए बताया कि हालात बद से बदतर हो चले हैं. जिले के सांसद डॉक्टर भोला सिंह और विधायक वीरेंद्र सिरोही हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कभी गांव नहीं आए. जिले के सांसद और विधायक दोनों ही सत्ताधारी पार्टी से हैं.

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गांव के लोगों ने पूरी तरह से मन बना लिया है कि जनप्रतिनिधियों को अब गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी राजनीतिक दल के जनप्रतिनिधि को गांव में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. इसके लिए बाकायदा बैनर का सहारा भी लिया गया है. गांव में हर तरफ बैनर लगाए गए हैं. उन पर साफ तौर पर लिखा गया है कि गांव में विकास नहीं तो वोट नहीं. साथ ही गांव वालों ने मतदान न करने का भी मन बना लिया है.

बुलंदशहर: आगामी लोकसभा चुनावों से पहले जनप्रतिनिधियों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि जनप्रतिनिधियों ने उनके गांव में किसी भी तरह का विकास नहीं कराया है. जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर स्थित काहिरा गांव में जिले के सांसद और विधायक के प्रवेश पर ग्रामीणों ने पाबंदी लगा दी है.

गांव में नहीं हुआ कोई विकास
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मामला बुलंदशहर जिले के काहिरा गांव का है, जहां एक के बाद एक जिले के सांसद और विधायकों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है. काहिरा गांव के लोगों का आरोप है कि जब नेता वोट मांगने गांव में आए थे, तो बड़े-बड़े वादे किये थे, लेकिन चुनाव जीतने के बाद किसी ने गांव की सुध लेना जरुरी नहीं समझा. आलम यह है कि जहां देश भर में केंद्र और प्रदेश की सरकारों के द्वारा तरह-तरह के विकास कार्य कराए जा रहे हैं, वहीं शहर से कुछ ही दूरी पर स्थित काहिरा गांव में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. ये बुलंदशहर जिले का पहला मामला नहीं है, कुछ दिन पहले डिबाई के एक गांव में भी जनप्रतिनिधियों को गांव में विरोध का सामना करना पड़ा था.

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि आए दिन गांव में टूटे रास्तों की वजह से दुर्घटनाएं हो जाती हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव से करीब 10 गांवों के लिए रास्ता निकलता है, लेकिन सड़को पर गढ्ढों की वजह से जरा सी बारिश होने पर ही रास्ते का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. गांव के नौजवानों ने ईटीवी से बात करते हुए बताया कि हालात बद से बदतर हो चले हैं. जिले के सांसद डॉक्टर भोला सिंह और विधायक वीरेंद्र सिरोही हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कभी गांव नहीं आए. जिले के सांसद और विधायक दोनों ही सत्ताधारी पार्टी से हैं.

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गांव के लोगों ने पूरी तरह से मन बना लिया है कि जनप्रतिनिधियों को अब गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी राजनीतिक दल के जनप्रतिनिधि को गांव में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. इसके लिए बाकायदा बैनर का सहारा भी लिया गया है. गांव में हर तरफ बैनर लगाए गए हैं. उन पर साफ तौर पर लिखा गया है कि गांव में विकास नहीं तो वोट नहीं. साथ ही गांव वालों ने मतदान न करने का भी मन बना लिया है.

Intro:बुलंदशहर जिले में लोकसभा चुनावों से पहले जनप्रतिनिधियों का विरोध होना अब शुरू हो गया है, जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर स्थित काहिरा गांव में जिले के सांसद और विधायक का विरोध ग्रामीणों ने कर दिया है। गुस्साए ग्रामीणों का आरोप है कि जनप्रतिनिधियों ने किसी भी तरह का विकास उनके गांव में नहीं कराया ,जिसकी वजह से पूरे गांव के लोग खासी दिक्कतों में हैं,शहर के समीप होने के बावजूद भी गांव की किसी जनप्रतिनिधि ने सुध तक नहीं ली, इतना ही नहीं गांव में पोस्टर और बैनर भी चुनावों के और जनप्रतिनिधियों के बहिष्कार के लगवा दिए गए हैं पेश है बुलंदशहर से ईटीवी की ये विशेष खबर।


Body:बुलंदशहर जिले में एक के बाद एक अब लगातार जिले के सांसद और विधायकों का विरोध होना शुरू हो गया है ,जहां कुछ दिन पूर्व डिबाई के एक गांव में जनप्रितनिधियों के प्रति ग्रामीण लामबन्द हुए थे वहीं आज फिर एक बार फिर एक गांव के लोग गुस्से में हैं और इस बार गुस्सा फूटा है बुलंदशहर से महज 3 किलोमीटर दूर काहिरा गांव के लोगों का ।
काहिरा गांव के लोगों का आरोप है कि वोट मांगने जब नेता जी गांव में आए तो लोक लुभावने तमाम वायदे करके गए ,लेकिन उसके बाद उनकी सुध लेना उन नेताओं ने मुनासिब नहीं समझा। जिसके चलते शहर के समीप होने के बावजूद भी बुलंदशहर ब्लॉक का काहिरा गांव काफी पिछड़ गया, आलम यह है कि जहां देश भर में केंद्र और प्रदेश की सरकार के द्वारा तमाम तरह की सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, मुख्य मार्गों और सड़कों के निर्माण से लेकर तमाम विकास कार्य किए जा रहे हैं, वहीं शहर से चंद दूरी पर स्थित काहिरा गांव में ऐसा कुछ भी नहीं देखा जा रहा, इतना ही नहीं ग्रामीण खासी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं बुजुर्ग कहते हैं कि आएदिन गांव में टूटे फूटे रास्तों से गुजरते हुए दुर्घटनाएं हो जाती हैं,गांव का जो भी रास्ता है वो काफी दयनीय स्थिति में है, रास्ते का तो पता ही नहीं चलता कि गांव में सड़क है या गड्ढे हैं,ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव के के रास्ते से करीब 10 गांवों के लिए रास्ता निकलता है,लेकिन जरा सी बारिश हो जाये तो रास्ते का अंदाजा लगाना भी मुश्किल हो जाता है।
गांव के नोजवान जो कि वर्तमान में क्षेत्र पंचायत सदस्य हैं , ईटीवी से बात करते हुए कहते हैं कि हालत बद से बदतर हो चली है,जिले के सांसद डॉक्टर भोलासिंह है,जबकि विधायक वीरेंद्र सिरोही लेकिन ये नेताजी लोक लुभावने वायदे करके लोगों को उल्लू बना कर वोट तो ले गए ,लेकिन उसके बाद कभी भी इधर का रुख नहीं किया, जिले के सांसद और विधायक दोनों ही सत्ताधारी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि, उनकी सुध लेने न हीं तो कभी सांसद गांव पहुंचे और ना ही विधायक ।
फिलहाल महिला हो या बच्चे सभी के सामने काफी दिक्कत हैं, गांव का नौजवान तबका पूरी तरह से मन बना चुका है कि जनप्रतिनिधियों को अब गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा ,गांव में मीटिंगों का दौर चल रहा है ,ग्रामीण लामबंद होने शुरू हो गए हैं। ग्रामीणों ने मन बना लिया है कि किसी भी राजनीतिक दल के किसी भी जनप्रतिनिधि को गांव में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा, जिसके लिए बाकायदा बैनर का सहारा भी लिया गया है, गांव में हर तरफ बैनर लगाए गए हैं , उन पर साफ तौर पर लिखा गया है, कि गांव में विकास नहीं तो वोट नहीं जाहिर है गांव के लोगों में गुस्सा है महिलाएं अपनी समस्या बताते हैं, तो वहीं नौजवान साफ तौर पर कहते हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए किसी भी नेता को गांव में नहीं तो घुसने देंगे, और पूरे गांव में एकरूपता है और सभी ने सामूहिक तौर पर मन बना लिया है कि किसी भी नेता को चुनाव के दौरान गांव में नहीं घुसने देंगे, और ना ही कोई मतदान ही करेगा।फिलहाल ये गांव चुनाव बहिष्कार का भी एलान कर रहा है। बुलंदशहर जिले में एक के बाद एक अब लगातार जिले के सांसद और विधायकों का विरोध होना शुरु हो गया है ,एक बार फिर गांव के लोग गुस्से में हैं, इस बार यह गुस्सा फूटा है बुलंदशहर से महज चार से 5 किलोमीटर दूर काहीरा गांव के लोगों का । फिलहाल बच्चों से लेकर ,बुजुर्ग तक हर कोई यही कहता देखा जा रहा है कि वे वादाखिलाफी करने वाले नेताओं को गांव में नहीं घुसने देंगे।ग्रामीणों का आरोप है कि एमपी और एमएलए ने कभी पलट कर भी गांव की तरफ रुख नहीं किया।
one to one. with people.....

श्रीपाल teotia,
92134 00888,
etv


Conclusion:
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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