बुलंदशहर: आगामी लोकसभा चुनावों से पहले जनप्रतिनिधियों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि जनप्रतिनिधियों ने उनके गांव में किसी भी तरह का विकास नहीं कराया है. जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर स्थित काहिरा गांव में जिले के सांसद और विधायक के प्रवेश पर ग्रामीणों ने पाबंदी लगा दी है.
मामला बुलंदशहर जिले के काहिरा गांव का है, जहां एक के बाद एक जिले के सांसद और विधायकों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है. काहिरा गांव के लोगों का आरोप है कि जब नेता वोट मांगने गांव में आए थे, तो बड़े-बड़े वादे किये थे, लेकिन चुनाव जीतने के बाद किसी ने गांव की सुध लेना जरुरी नहीं समझा. आलम यह है कि जहां देश भर में केंद्र और प्रदेश की सरकारों के द्वारा तरह-तरह के विकास कार्य कराए जा रहे हैं, वहीं शहर से कुछ ही दूरी पर स्थित काहिरा गांव में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. ये बुलंदशहर जिले का पहला मामला नहीं है, कुछ दिन पहले डिबाई के एक गांव में भी जनप्रतिनिधियों को गांव में विरोध का सामना करना पड़ा था.
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि आए दिन गांव में टूटे रास्तों की वजह से दुर्घटनाएं हो जाती हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव से करीब 10 गांवों के लिए रास्ता निकलता है, लेकिन सड़को पर गढ्ढों की वजह से जरा सी बारिश होने पर ही रास्ते का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. गांव के नौजवानों ने ईटीवी से बात करते हुए बताया कि हालात बद से बदतर हो चले हैं. जिले के सांसद डॉक्टर भोला सिंह और विधायक वीरेंद्र सिरोही हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कभी गांव नहीं आए. जिले के सांसद और विधायक दोनों ही सत्ताधारी पार्टी से हैं.
गांव के लोगों ने पूरी तरह से मन बना लिया है कि जनप्रतिनिधियों को अब गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी राजनीतिक दल के जनप्रतिनिधि को गांव में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. इसके लिए बाकायदा बैनर का सहारा भी लिया गया है. गांव में हर तरफ बैनर लगाए गए हैं. उन पर साफ तौर पर लिखा गया है कि गांव में विकास नहीं तो वोट नहीं. साथ ही गांव वालों ने मतदान न करने का भी मन बना लिया है.