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किसान आंदोलन के चलते अधर में लटका है रेलवे का यह बहुआयामी प्रोजेक्ट

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Published : Mar 11, 2019, 3:18 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर में रेलवे का 'ईस्टन डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर' प्रोजेक्ट किसानों के आंदोलन के चलते अधर में लटका हुआ है. इस बहुआयामी प्रोजेक्ट के लिए 2011 में किसानों से जमीन अधिग्रहित की गई थी, जिसमें मुआवजा भी दिया गया था. वहीं अब किसान बढ़ाकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

किसानों के आंदोलन के कारण अधर में लटका ईडीएफसी प्रोजेक्ट

बुलंदशहर : रेलवे के बहुआयामी प्रोजेक्ट 'ईस्टन डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर' में दिन-प्रतिदिन देरी होती जा रही है. इसकी बड़ी वजह किसानों का आंदोलन है. किसानों का कहना है कि उनको पूर्व में दिया गया मुआवजा काफी कम था. इसलिए जब तक उन्हें उचित और अधिक मुआवजा नहीं मिल जाता, वह आंदोलन करते रहेंगे.

किसानों के आंदोलन के कारण अधर में लटका ईडीएफसी प्रोजेक्ट


जनपद में किसान आंदोलन के चलते रेलवे के 'ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर' प्रोजेक्ट में देरी हो रही है. इस प्रोजेक्ट के लिए 2008 में पहले भूमि अधिग्रहण के लिए सर्वे की कार्रवाई शुरू हुई थी और 2011 में किसानों से जमीन अधिग्रहित भी की गई थी. उसके बाद लगातार किसान अपनी जमीन पर खेती करता रहा और लंबे समय के बाद रेलवे का प्रोजेक्ट शुरू हुआ तो किसान बढ़े हुए मुआवजे की मांग करने लगे.


प्रशासन ने कई बार किसानों और रेलवे के अफसरों के बीच मध्यस्थता कराने की कोशिश भी की, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. अभी तक किसान आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं. 'डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर' जिले के सिकंदराबाद और खुर्जा तहसील के करीब दो दर्जन गांवों से निकलेगा.


इतना ही नहीं प्रभावित क्षेत्र के किसानों और प्रशासन के बीच कई बार तीखी नोंकझोंक तक भी हुई. आंदोलन करने वाले किसानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो चुकी है और अन्नदाताओं को जेल तक जाना पड़ा है. जिससे किसान और अधिक आक्रोशित हो गया है.


किसान लगातार अनवरत धरना सामूहिक तौर पर दे रहे हैं. क्षेत्र के किसानों का कहना है कि रेलवे और प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों को गुमराह किया है. किसान नेता बताते हैं कि 2008 में करीब 22 गांवों के लोगों के साथ वायदे किये गए. जिनमें उनसे खुली बैठक में बुजुर्ग परिवार के मुखिया को पेंशन ,और एक परिवार में एक सदस्य को नौकरी देने तक का वायदा किया था और 2011 में मुआवजा दिया गया जो कि काफी कम था.

वहीं किसानों के विरोध के बाद फिलहाल अभी तक यह प्रोजेक्ट अटका हुआ है. अपर जिलाधिकारी प्रशासन रविन्द्र कुमार का कहना है कि किसानों की जो भी मांगें हैं, उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास किया जाएगा. किसानों और रेलवे अधिकारियों के बीच जल्द से जल्द बातचीत कराई जाएगी और उनका प्रयास रहेगा कि प्रोजेक्ट में देरी न हो.

बुलंदशहर : रेलवे के बहुआयामी प्रोजेक्ट 'ईस्टन डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर' में दिन-प्रतिदिन देरी होती जा रही है. इसकी बड़ी वजह किसानों का आंदोलन है. किसानों का कहना है कि उनको पूर्व में दिया गया मुआवजा काफी कम था. इसलिए जब तक उन्हें उचित और अधिक मुआवजा नहीं मिल जाता, वह आंदोलन करते रहेंगे.

किसानों के आंदोलन के कारण अधर में लटका ईडीएफसी प्रोजेक्ट


जनपद में किसान आंदोलन के चलते रेलवे के 'ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर' प्रोजेक्ट में देरी हो रही है. इस प्रोजेक्ट के लिए 2008 में पहले भूमि अधिग्रहण के लिए सर्वे की कार्रवाई शुरू हुई थी और 2011 में किसानों से जमीन अधिग्रहित भी की गई थी. उसके बाद लगातार किसान अपनी जमीन पर खेती करता रहा और लंबे समय के बाद रेलवे का प्रोजेक्ट शुरू हुआ तो किसान बढ़े हुए मुआवजे की मांग करने लगे.


प्रशासन ने कई बार किसानों और रेलवे के अफसरों के बीच मध्यस्थता कराने की कोशिश भी की, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. अभी तक किसान आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं. 'डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर' जिले के सिकंदराबाद और खुर्जा तहसील के करीब दो दर्जन गांवों से निकलेगा.


इतना ही नहीं प्रभावित क्षेत्र के किसानों और प्रशासन के बीच कई बार तीखी नोंकझोंक तक भी हुई. आंदोलन करने वाले किसानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो चुकी है और अन्नदाताओं को जेल तक जाना पड़ा है. जिससे किसान और अधिक आक्रोशित हो गया है.


किसान लगातार अनवरत धरना सामूहिक तौर पर दे रहे हैं. क्षेत्र के किसानों का कहना है कि रेलवे और प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों को गुमराह किया है. किसान नेता बताते हैं कि 2008 में करीब 22 गांवों के लोगों के साथ वायदे किये गए. जिनमें उनसे खुली बैठक में बुजुर्ग परिवार के मुखिया को पेंशन ,और एक परिवार में एक सदस्य को नौकरी देने तक का वायदा किया था और 2011 में मुआवजा दिया गया जो कि काफी कम था.

वहीं किसानों के विरोध के बाद फिलहाल अभी तक यह प्रोजेक्ट अटका हुआ है. अपर जिलाधिकारी प्रशासन रविन्द्र कुमार का कहना है कि किसानों की जो भी मांगें हैं, उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास किया जाएगा. किसानों और रेलवे अधिकारियों के बीच जल्द से जल्द बातचीत कराई जाएगी और उनका प्रयास रहेगा कि प्रोजेक्ट में देरी न हो.

Intro: जनपद में किसान आंदोलन के चलते रेलवे के बहुआयामी ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट में देरी हो रही है ,किसान एक समान मुआवजे की मांग पर अड़े हैं ,सिकंदराबाद और खुर्जा तहसील के करीब दो दर्जन गांवों के बीच से कॉरिडोर की लाइन गुजरेगी ,पेश है इटीवी की डीएफसीसी प्रोजेक्ट से जुड़ी पूरी पड़ताल ।

कृपया सम्बन्धित खबर के कुछ विसुअल और बाइट एफटीपी से भी प्रेषित हैं,और एक पीटीसी भी ...

कृपया निवेदन है उपयोग हेतु लेने का कष्ट करें।

late project11-03-19

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Body:रेलवे के बहुआयामी प्रोजेक्ट ईस्टन डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए 2008 में पहले भूमि अधिग्रहण के लिए सर्वे की कार्यवाही शुरू हुई थी, और 2011 में किसानों से जमीन अधिग्रहित भी की गई थी ,उसके बाद लगातार किसान अपनी जमीन पर खेती भी करता रहा , लंबे समय के बाद रेलवे का प्रोजेक्ट शुरू हुआ तो किसान बढ़े मुआवजे की मांग करने लगे , प्रशासन ने कई बार किसानों और रेलवे के अफसरों के बीच मध्यस्थता कराने की कोशिश भी की , लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला, अभी तक भी किसान आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं ,यही वजह है कि जिले के सिकन्द्राबाद और खुर्जा तहसील के करीब दो दर्जन गांवों से निकलने वाला डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर किसानों के आंदोलन की वजह से विवादों में है,इतना ही नहीं प्रभावित क्षेत्र के किसानॉन और प्रशासन के बीच कई बार तीखी नोंकझोंक तक भी हुई है,मुकदमे बाजी तक हो चुकी आंदोलन करने वाले किसानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाही तक भी हो चुकी ,क्षेत्र में रेलवे के प्रोजेक्ट को लेकर बढ़े मुआवजे की मांग करने वाले अन्नदाताओं को जेल तक भी जाना पड़ा,जिससे यहां के किसान आंदोलित हो गए ,यही वजह है कि अभी तक भी किसान लगातार खुर्जा जंक्शन क्षेत्र के मदनपुर गांव में आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं,अनवरत धरना यहां सामूहिक तौर पर किसान दिया करते हैं। क्षेत्र के किसान कहते हैं रेलवे और प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों को गुमराह किया ,किसान नेता बताते हैं कि 2008 में करीब 22 गांवों के लोगों के साथ वायदे किये गए जिनमे उनसे खुली बैठक में बुजुर्ग परिवार के मुखिया को पेंशन ,और एक परिवार में एक सदस्य को नौकरी देने तक का वायदा किया था,और 2011 में मुआवजा दिया गया जो कि काफी कम था, मदनपुर गांव के ही मूल निवासी और किसान आंदोलन को लेकर अगुवाई कर रहे बब्बन चौधरी कहते हैं उन्हें जो सपने रेलवे और प्रशासन ने दिखाए वो झूठे और हवा हवाई साबित हुए , उनका कहना है कि उन्हें ज्यादा मुआवजा राशि बताई गई थी जबकि 2011 में महज 99 हजार रुपया कच्चा बीघा के हिसाब से मुआवजा दिया गया ,किसान कहते हैं जो आश्वाशन किया था वो झूठ साबित हुआ,किसान तभी से विरोध कर रहे हैं, किसान बताते हैं कि आसपास के सर्किल रेट में रेलवे की तरफ से काफी अंतर है एक समान मुआवजा नहीं दिया गया ,किसानों का आरोप है कि उन्हें एक समान मुआवजा नहीं दिया गया जिस वजह से व्व आक्रोशित है,इतना ही नहीं अपनी हक की खातिर उन्हें जेल तक जाना पड़ा है ,फिलहाल किसान कहते हैं कि उन्हें 4 गुना मुआवजा मिलना चाहिए , क्षेत्र के आंदोलित किसान कहते हैं 2008 में जमीन का सर्वे और 2011 में भूमि अधिग्रहण किया गया ,लेकिन किसानों की सिर्फ जो यहां अपनी जायज मांगों के लिए मांग उठ रही है उसका कोई संज्ञान नहीं लेना चाहता,किसानों को मुआवजे की मांग के चलते जेल भी जानना पड़ा,कई बार किसानों ने अपनी अधिग्रहित जमीन पर पुनः कब्जा करके खेती करने का प्रयास भी किया ,प्रशासन ने अगुवाई करने वाले अन्नदाताओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज करा दिए ,पिछले वर्ष कुछ किसानों को जेल जाना पड़ा ।
किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं का कहना है कि एक ही खेत के बराबर में अलग वट पर मुआवजा दिया है जनकी रकसमान होना चाहिए था,एक समान मुआवजे की मांग जब यक पूरी नहीं होगी किसान विरोध करते रहेंगे।
बाइट..मांगेराम त्यागी,किसान संगठन से जुड़े समर्थक नेता।

बाइट..बब्बन चौधरी,आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेता।
(ये बाइट एफटीपी से भेजी गई है)

मोहित बंसल,स्थानीय जानकार।
फिलहाल अभी तक जहां ये प्रोजेक्ट अटका हुआ है वहीं जिले में हाल ही में नवीनतम तैनाती पाए अपर जिलाधिकारी प्रशासन रविन्द्र कुमार का कहना है कि हालांकि व्व अभी जल्द ही यहां आए हैं लेकिन प्रोजेक्ट को देर नहीं होने दी जाएगी किसानों की जो भी जिज्ञासाएं हैं ,उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास किया जाएगा,एडीएम कहते हैं कि किसानों और रेलवे अधिकारियों के बीच जल्द से जल्द वार्ता कराई जाएगी और उनका प्रयास रहेगा कि प्रोजेक्ट में विलंब न हो।

बाइट...रविन्द्र कुमार,एडीएम प्रशासन,बुलन्दशहर ।



Conclusion:फिलहाल खुर्जा जंक्शन क्षेत्र में किसानों का आंदोलन जारी है,और उनका साफतौर पर कहना है कि वो किसी भी विकास के काम।माकन बढ़ा उतपन्न नहीं करना चाहते लेकिन सरकार उनकी जायज और जो सरकारी मशीनरी से जुड़े नुमाइंदों ने उनसे वादा किया था उसे पूरा करें ,किसान प्रोजेक्ट में खुद भी सहयोग करेंगे।

पीटीसी...श्रीपाल तेवतिया
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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