बुलंदशहर: जिले की सदर सीट से उपचुनाव में कांग्रेस ने सुशील चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है. खास बात यह है कि सुशील चौधरी छात्र राजनीति से ही कांग्रेस के साथ रहे हैं. सुशील का दावा है कि उन्हें ग्रामीण क्षेत्र से लेकर नगरीय क्षेत्र तक हर वर्ग समुदाय का जनसमर्थन मिल रहा है. सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए वे किसानों और व्यापारियों के उत्पीड़न समेत विकास के मुद्दे पर अपने पक्ष में वोट करने की अपील कर रहे हैं.
बुलंदशहर में आगामी उपचुनाव में 18 उम्मीदवार मैदान में अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, लेकिन 5 प्रत्याशी प्रमुख रूप से चुनावी मैदान में हैं. इनमें भाजपा, रालोद व सपा गठबंधन, कांग्रेस, बहुजनसमाज पार्टी और भीम आर्मी सुप्रीमो की 6 माह पूर्व बनाई गई आजाद समाज पार्टी के शामिल हैं.
कांग्रेस के संघर्षशील कार्यकर्ता हैं सुशील चौधरी
पिछले काफी समय से जनता से जुड़े मुद्दों पर सड़कों पर रहने वाली कांग्रेस पार्टी के सात विधायक ही प्रदेश में हैं, लेकिन उपचुनाव में बुलंदशहर से पार्टी ने सुशील चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि सुशील चौधरी अपने छात्र राजनीति से ही कांग्रेस से जुड़े हैं. सुशील चौधरी मूल रूप से गौतमबुद्धनगर जनपद के जेवर ब्लॉक के नगला हुकुमसिंह गांव के निवासी हैं. पूर्व में ये गांव बुलंदशहर में ही लगता था, लेकिन जब गौतमबुद्धनगर जनपद बनाया गया तो ये गांव जिले से कट गया.
छात्र राजनीति से ही कांग्रेस में थे
पूर्व में अपनी पढ़ाई के दौरान एक स्कूल में सुशील चौधरी प्रेसीडेंट भी रह चुके हैं. कांग्रेस की लगभग हर विंग में सुशील चौधरी छात्र राजनीति से ही जुड़े हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में सुशील चौधरी ने बताया कि NSUI, यूथ कांग्रेस से लेकर किसान कांग्रेस तक में रहते हुए उन्होंने युवाओं से लेकर किसानों, व्यापारियों की समस्याओं को लेकर हमेशा सरकारों के खिलाफ आवाज उठाई है.
ठेकेदारी करते हैं कांग्रेस प्रत्याशी
कांग्रेस उम्मीदवार सुशील चौधरी खुद को किसान बताते हैं. वहीं उनका जेसीबी मशीनों व पोपलेंन मशीनों का भी काम है. वे किराए पर फर्मों व ठेकेदारों व अन्य कार्यों के लिए जेसीबी मशीन व पोपलेंन मशीन उपलब्ध कराते हैं. सुशील के दो पुत्र हैं. अक्सर कांग्रेस की तरफ से जनपद में जनसरोकार से जुड़े मुद्दों पर सरकार को घेरते हुए सुशील कभी डरे नहीं नजर आए.
मायावती के सामने भी लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं
बुलंदशहर में उपचुनाव में ताल ठोंक रहे कांग्रेस उम्मीदवार सुशील चौधरी आज से पहले भी जिले में चुनाव लड़ चुके हैं. 2018 में हुए नगरपालिका चेयरमैन के चुनाव में सुशील चौधरी प्रत्याशी थे. खास बात यह है कि सन् 1991 में बसपा सुप्रीमो मायावती के सामने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बुलंदशहर से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था. सुशील चौधरी बताते हैं कि जिले में उन्होंने भूत पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की रैली बुलंदशहर में नहीं होने दी थी. इस मामले में उनके खिलाफ FIR भी दर्ज की गई थी.
व्यापारियों का उत्पीड़न रोकना है मुद्दा
कांग्रेस के प्रत्याशी सुशील चौधरी का कहना है कि किसानों की समस्याओं से जुड़े उनके प्रमुख चुनावी मुद्दे हैं. वे कहते हैं कि किसानों को उनके पिछले साल के गन्ने का भुगतान अभी तक नहीं हुआ. साथ ही व्यापारियों के संग हो रहे उत्पीड़न और देश की राजधानी के पास रहने के बाद भी शहर का कोई विकास नहीं हुआ. उनका कहना है कि दिल्ली नोएडा की तर्ज पर बुलंदशहर का विकास करायेंगे. किसानों से जुड़ी समस्याओं का निराकरण उनकी प्रमुख प्राथमिकता होगी.
सुशील चौधरी का कहना है कि जनता जीएसटी से लेकर नोटबन्दी जैसे मुद्दों पर सरकार से अभी तक खफा है. राजधानी दिल्ली के पास होने के बाद भी बुलंदशहर का विकास नहीं हुआ और नोएडा व ग्रेटर नोएडा आगे निकल गए. सुशील चौधरी का कहना है कि बुलंदशहर का विकास दिल्ली के तर्ज पर करने के लिए उन्हें लोगों से आशीर्वाद चाहिये.