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बुलंदशहर: शहर की हवा हुई खतरनाक, मनुष्य के साथ जीव-जंतुओं की भी हालत बिगड़ी - वायु प्रदूषण की स्थिति खतरनाक

बुलंदशहर में लोगों को इस वक्त जिस तरह से मौसम में नमी से गुलाबी ठंड का एहसास होने लगा है. वहीं शहरवासियों को बढ़ते प्रदूषण और धुंध की वजह से दिन भर आंखों में जलन हो रही है. सांस लेने में भी लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

बढ़ रहा वायु प्रदूषण.
बढ़ रहा वायु प्रदूषण.
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Published : Nov 7, 2020, 2:17 PM IST

Updated : Nov 8, 2020, 12:12 PM IST

बुलंदशहर: देशभर में कोरोना संक्रमण काल चल रहा है. ऐसे में धुंध का गुबार आसमान में आफत बनकर जनजीवन को प्रभावित कर रहा है. दिल्ली एनसीआर के लोगों के सामने फिर एक बार दमघोंटू धुंए और धुंध की वजह से विकट समस्या आ खड़ी हुई है. यूपी के सबसे ज्यादा प्रदूषण वाले जिलों में बुलंदशहर टॉप पर है. बुलंदशहर में अब एयर क्वालिटी इंडेक्स भी 400 के पार पहुंच चुका है.

शहर की हवा खतरनाक स्थिति में

दिल्ली एनसीआर में पिछले कई वर्षों से देखा जाता है कि जैसे ही सर्दियां दस्तक देती हैं, वैसे ही नवंबर और दिसंबर माह में यहां आम आदमी से लेकर जीव-जंतुओं तक के सामने दिक्कत बढ़ जाती हैं. हवा में धुंए की चादर जैसे वायुमंडल को न सिर्फ प्रभावित करती है, बल्कि नीले आसमान की तरफ देखने पर भी सिर्फ धुंध का गुबार ही आसमान में नजर आने लगता है.

आसमानी आफत से जहरीली हुई हवा
कुछ दिनों पहले दिल्ली-एनसीआर में लॉकडाउन के समय शहर की आबोहवा पूरी तरह से सुरक्षित थी, लेकिन ठंड शुरू होते ही प्रदूषण भी तेजी से बढ़ता जा रहा है. बढ़ते प्रदूषण के दबाव ने एयर क्वालिटी इंडेक्स भी बढ़ा दिया है. पिछले एक पखवाड़े से जिले का AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स अब 400 से अधिक हो चुका है.
प्रशासन सतर्क किसानों की हो रही निगरानी
कुछ लोग तो धुंध के लिए किसानों को ही जिम्मेदार मानते हैं. माना जाता है कि धान की कटाई के बाद लोग वॄहद स्तर पर पराली जलाते हैं. इस बारे में बुलंदशहर के लोगों का कहना है कि दिन में अब आसमान साफ नजर नहीं आता. कहीं न कहीं आसमान में छाई धुंध और धुएं ने सूर्य की तपिश को कम कर दिया है. नागरिकों का मानना है कि अगर शहर में उड़ने वाली धूल पर भी कंट्रोल कर लिया जाए, तो आम आदमी के सामने सांस लेने में तकलीफ पैदा न हो. क्योंकि सड़कों पर फैली धूल ने भी लोगों की सांसें फुला रखी हैं. किसान खेत में धान की पराली न जलाएं, इसके लिए मुख्य विकास अधिकारी की तरफ से जिले के सभी ग्राम प्रधानों को पत्र लिखा जा चुका है और जवाबदेही भी तय कर दी गई है.
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कर रहा प्रदूषण करने वालों पर कार्रवाई
हालांकि, इस बारे में समय-समय पर अधिकारियों द्वारा कहा गया है कि सिर्फ पराली ही मुख्य वजह नहीं है. बढ़ता प्रदूषण, निर्माण कार्य, कल-कारखाने भी इसके लिए दोषी हैं. वहीं दूसरी तरफ जो गौर करने वाली बात है कि वह औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला धुआं है. औद्योगिक क्षेत्र में निकलने वाली जहरीली गैस और धुआं भी आम जनजीवन को प्रभावित करता है. बुलंदशहर में नवम्बर के पहले दिन से एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार है. अब दिन में ही सूरज की रोशनी पर धुंध हावी दिखाई देती है. ऐसे में अब जब दीपावली का पर्व आने वाला है, इससे ऐसा लग रहा है कि अगर अधिक पटाखें फोड़े गए तो जहरीला धुंआ जानलेवा भी हो सकता है.

समय-समय पर ऐसी इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, नियम कायदों को ताक पर रखकर आसमान में जहर फैलाने वालों के खिलाफ एक्शन भी लिया जा रहा है.

-आशुतोष चौहान, अधिकारी, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

वह हर कोशिश जिले में की जा रही है, जिससे जिले के किसान पराली को न जलाएं. आवश्यक दिशा-निर्देश पूर्व में ही सम्बन्धित अधिकारियों को दे दिए गए थे, हर किसी की जबावदेही तय कर दी गई है.

-आरपी चौधरी, उपनिदेशक कृषि

बुलंदशहर: देशभर में कोरोना संक्रमण काल चल रहा है. ऐसे में धुंध का गुबार आसमान में आफत बनकर जनजीवन को प्रभावित कर रहा है. दिल्ली एनसीआर के लोगों के सामने फिर एक बार दमघोंटू धुंए और धुंध की वजह से विकट समस्या आ खड़ी हुई है. यूपी के सबसे ज्यादा प्रदूषण वाले जिलों में बुलंदशहर टॉप पर है. बुलंदशहर में अब एयर क्वालिटी इंडेक्स भी 400 के पार पहुंच चुका है.

शहर की हवा खतरनाक स्थिति में

दिल्ली एनसीआर में पिछले कई वर्षों से देखा जाता है कि जैसे ही सर्दियां दस्तक देती हैं, वैसे ही नवंबर और दिसंबर माह में यहां आम आदमी से लेकर जीव-जंतुओं तक के सामने दिक्कत बढ़ जाती हैं. हवा में धुंए की चादर जैसे वायुमंडल को न सिर्फ प्रभावित करती है, बल्कि नीले आसमान की तरफ देखने पर भी सिर्फ धुंध का गुबार ही आसमान में नजर आने लगता है.

आसमानी आफत से जहरीली हुई हवा
कुछ दिनों पहले दिल्ली-एनसीआर में लॉकडाउन के समय शहर की आबोहवा पूरी तरह से सुरक्षित थी, लेकिन ठंड शुरू होते ही प्रदूषण भी तेजी से बढ़ता जा रहा है. बढ़ते प्रदूषण के दबाव ने एयर क्वालिटी इंडेक्स भी बढ़ा दिया है. पिछले एक पखवाड़े से जिले का AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स अब 400 से अधिक हो चुका है.
प्रशासन सतर्क किसानों की हो रही निगरानी
कुछ लोग तो धुंध के लिए किसानों को ही जिम्मेदार मानते हैं. माना जाता है कि धान की कटाई के बाद लोग वॄहद स्तर पर पराली जलाते हैं. इस बारे में बुलंदशहर के लोगों का कहना है कि दिन में अब आसमान साफ नजर नहीं आता. कहीं न कहीं आसमान में छाई धुंध और धुएं ने सूर्य की तपिश को कम कर दिया है. नागरिकों का मानना है कि अगर शहर में उड़ने वाली धूल पर भी कंट्रोल कर लिया जाए, तो आम आदमी के सामने सांस लेने में तकलीफ पैदा न हो. क्योंकि सड़कों पर फैली धूल ने भी लोगों की सांसें फुला रखी हैं. किसान खेत में धान की पराली न जलाएं, इसके लिए मुख्य विकास अधिकारी की तरफ से जिले के सभी ग्राम प्रधानों को पत्र लिखा जा चुका है और जवाबदेही भी तय कर दी गई है.
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कर रहा प्रदूषण करने वालों पर कार्रवाई
हालांकि, इस बारे में समय-समय पर अधिकारियों द्वारा कहा गया है कि सिर्फ पराली ही मुख्य वजह नहीं है. बढ़ता प्रदूषण, निर्माण कार्य, कल-कारखाने भी इसके लिए दोषी हैं. वहीं दूसरी तरफ जो गौर करने वाली बात है कि वह औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला धुआं है. औद्योगिक क्षेत्र में निकलने वाली जहरीली गैस और धुआं भी आम जनजीवन को प्रभावित करता है. बुलंदशहर में नवम्बर के पहले दिन से एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार है. अब दिन में ही सूरज की रोशनी पर धुंध हावी दिखाई देती है. ऐसे में अब जब दीपावली का पर्व आने वाला है, इससे ऐसा लग रहा है कि अगर अधिक पटाखें फोड़े गए तो जहरीला धुंआ जानलेवा भी हो सकता है.

समय-समय पर ऐसी इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, नियम कायदों को ताक पर रखकर आसमान में जहर फैलाने वालों के खिलाफ एक्शन भी लिया जा रहा है.

-आशुतोष चौहान, अधिकारी, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

वह हर कोशिश जिले में की जा रही है, जिससे जिले के किसान पराली को न जलाएं. आवश्यक दिशा-निर्देश पूर्व में ही सम्बन्धित अधिकारियों को दे दिए गए थे, हर किसी की जबावदेही तय कर दी गई है.

-आरपी चौधरी, उपनिदेशक कृषि

Last Updated : Nov 8, 2020, 12:12 PM IST
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