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इंतकाम की आग ने 30 वर्षों में कराईं 16 हत्याएं

यूपी के बुलंदशहर में रविवार को हुई ताबड़तोड़ फायरिंग देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है. परिवार पर हुआ यह हमला कोई एक दिन का विवाद नहीं है. इस रंजिश की बुनियाद 30 साल पहले होली के दिन पड़ी थी. 1990 में होली के दिन गोलीबारी में दोनों पक्षों के सात लोगों की मौत हुई थी. अब तक बदले की आग में दोनों पक्षों के लगभग 16 लोगों की मौत हो चुकी है.

गोलीबारी
गोलीबारी
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Published : Mar 22, 2021, 9:52 PM IST

Updated : Mar 23, 2021, 10:28 AM IST

बुलंदशहरः पिछले दो दिन से जनपद देशभर की खबरों में छाया हुआ है, वजह है 30 साल पुरानी रंजिश के चलते धनौरा गांव में हथियारबंद आधा दर्जन लोगों ने एक ही परिवार के लोगों पर जानलेवा हमला कर दिया. हमले में परिवार के मुखिया समेत बेटे को गोली लगी. वहीं परिवार की सुरक्षा में तैनात गनर भी तीन गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया. घटनाक्रम में अंधाधुंध फायरिंग में मुखिया के बेटे की सिर में गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई थी. वहीं खुद परिवार का मुखिया धर्मपाल जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है. पूरे मामले में अभी तक पुलिस के हाथ खाली हैं लेकिन एसएसपी का कहना है कि आरोपियों की शिनाख्त कर ली गई है. जल्द ही गिरफ्तारी भी की जाएगी.

1990 में रखी गई थी रंजिश की बुनियाद.

परिवार पर बरसाईं ताबड़तोड़ गोलियां
थाना ककोड़ क्षेत्र के गांव धनौरा में रविवार सुबह खेत से लौटते समय धर्मपाल पर आधा दर्जन हथियारबंद बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. गांव धनौरा निवासी धर्मपाल सुबह परिवार के साथ खेत पर अपनी गाड़ी से जानवरों के लिए चारा लेने गए थे. धर्मपाल की अपने ही गांव के रहने वाले राजेंद्र सिंह के परिवार के साथ पिछले काफी समय से रंजिश चली आ रही है. जिसके चलते रविवार को बाइक और गाड़ी सवार हथियार से लैस बदमाशों ने धर्मपाल के परिवार पर हमला कर दिया.

परिवार की सुरक्षा में लगा है गनर
हमले के दौरान धर्मपाल के साथ बुलंदशहर पुलिस द्वारा दिया गया गनर भी मौजूद था. अचानक हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में धर्मपाल और परिजनों को संभलने का मौका नहीं मिला. फायरिंग में गनर समेत धर्मपाल के परिजन गोली लगने से घायल हो गए. गाड़ी चला रहे धर्मपाल के बेटे संदीप के सिर में गोली लगी, जिससे संदीप की मौके पर ही मौत हो गई. वहीं गनर भी तीन गोली लगने से घायल हो गया.

30 साल पीछे जाकर समझ आएगी वारदात
हालांकि इस घटना के दौरान काउंटर फायरिंग में धर्मपाल और गनर के द्वारा बदमाशों पर भी चार राउंड से ज्यादा फायरिंग की गई, लेकिन बदमाश भागने में सफल रहे. धर्मपाल नोएडा के कैलाश अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. यह वारदात 21 मार्च 2021 की है लेकिन इसे समझने के लिए आपको अब से 30 साल पहले चलना होगा जब इस रंजिश की इबारत लिखी गई थी.

कोतवाली ककोड़.
कोतवाली ककोड़.

30 साल पहले होली के दिन शुरू हुई थी खूनी रंजिश
दरसल, 1990 में होली का दिन था और गांव धनौरा के ग्रामीण होली के रंग में सराबोर थे लेकिन किसी को क्या पता था कि आज गांव में रंगों की होली नहीं बल्कि खून की होली खेली जानी है. होली खेलने के दौरान दो राजेंद्र सिंह और कालीचरण पक्ष के बीच किसी बात को लेकर आपसी विवाद हो गया. विवाद होने पर गांव में दोनों पक्षों को बड़े बुजुर्ग समझाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन अचानक बैठक के दौरान ही दोनों पक्ष एक दूसरे पर आग बबूला हो गए. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हमला कर दिया.

दोनों पक्षों के सात लोगों की हुई थी मौत
आमने-सामने के हमले में जहां कालीचरण पक्ष के चार लोग गोली लगने से मौत की नींद सो गए, वहीं राजेंद्र पक्ष के भी तीन लोगों की गोली लगने से मौत हो गई. ग्रामीणों को लगा कि इतनी बड़ी वारदात के बाद शायद दोनों पक्ष खामोश बैठ जाएंगे लेकिन इस पूरी वारदात में कालीचरण पक्ष के जिन लोगों पर हत्या करने का आरोप लगा था वह लोग सुराग न मिलने की वजह से जमानत पर छूट गए और दूसरे पक्ष राजेंद्र सिंह के पांच लोग आज भी 1990 हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास काट रहे हैं.

साल दर साल चलीं गोलियां
इस रंजिश को आगे बढ़ाते हुए राजेंद्र सिंह पक्ष ने कालीचरण पक्ष के अगम की हत्या कर दी थी, इस हत्या का बदला लेने के लिए 1998 में कालीचरण पक्ष ने राजेंद्र सिंह पक्ष के इंद्रपाल को मौत के घाट उतार दिया. रंजिश थमने का नाम नहीं ले रही थी और यह वारदात आगे बढ़ी और 3 जनवरी 2005 को राजेंद्र सिंह के भाई जयप्रकाश की कालीचरण पक्ष के लोगों ने हत्या कर दी. मात्र 14 दिन बाद राजेंद्र सिंह ने अपने भाई की हत्या का बदला लेते हुए 17 जनवरी 2005 को कालीचरण की पत्नी श्रृंगारी देवी को मौत के घाट उतार दिया था.

वंश मिटाने की खाई कसम
कालीचरण पक्ष के लोगों ने कालीचरण की पत्नी की हत्या का बदला 2009 में राजेंद्र सिंह की पत्नी की हत्या कर पूरा किया. जिस समय राजेंद्र सिंह की बीवी की हत्या हुई थी उस समय उसका बेटा अमित धनौरा नाबालिग था. नाबालिग बेटे के दिल पर मां की हत्या की ऐसी छाप लगी कि अमित ने सौगंध ली कि वह कालीचरण के वंश को मिटा देगा और फिर अमित ने इस रंजिश को आगे बढ़ाते हुए 2019 में कालीचरण के बड़े बेटे जगपाल की पलवल में हत्या करा दी.

पुलिस के लिए चुनौती बना था अमित धनौरा
कालीचरण के बड़े बेटे जगपाल की हत्या में अमित धनौरा का नाम जबरदस्त सुर्खियों में आया था लेकिन अमित धनौरा पुलिस की पकड़ से दूर था. 2020 में अमित ने कालीचरण की हत्या कर इलाके में दहशत पैदा कर दी थी. पुलिस के लिए अमित को ढूंढ़ना एक बड़ी चुनौती थी लेकिन बुलंदशहर पुलिस ने अमित को उसके तीन साथियों के साथ कालीचरण की हत्या के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

जेल में रहते हुए कराया हमला
अभी भी अमित बुलंदशहर जेल में सजा काट रहा है, लेकिन अमित धनौरा इतना शातिर निकला कि उसने जेल में रहकर ही अपने अपराधी साथियों से बाहर संपर्क बनाए रखा. इसी कड़ी में रविवार को अमित धनौरा के ही इशारे पर बदमाशों ने मृतक कालीचरण के छोटे बेटे धर्मपाल और उसके परिवार पर जानलेवा हमला करा दिया, जिसमें धर्मपाल के बेटे संदीप की मौके पर ही मौत हो गई.

ठंडी नहीं हो रही इंतकाम की आग
धर्मपाल नोएडा के कैलाश अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. इस पूरी 30 साल की रंजिश में अब तक दोनों पक्षों से 16 लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका है. हालांकि एसएसपी ने बताया है कि पुलिस बहुत जल्द हत्याकांड में शामिल हथियारबंद बदमाशों की गिरफ्तारी कर लेगी. पुलिस की स्वाट टीम के साथ चार और टीमें आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास में लगी हुई हैं. तीन दशक की इस रंजिश में 16 लोगों की हत्या हो चुकी है और पांच से ज्यादा लोग उम्र कैद की सजा काट रहे हैं लेकिन इन परिवारों में इंतकाम की आग ठंडी नहीं हो रही है.

इन लोगों की हो चुकी है हत्या
तेजपाल, वेदपाल, बीरपाल, कालीचरण, सिंगारी देवी, नीरज, संदीप, अभय सिंह, जगपाल, जगबीर सिंह, महेंद्र, इंद्र, रामवीर, विजेंद्र देवी, विजेंद्र का भाई और रविंदर सिंह की हत्या हो चुकी है.

पंजाब में जाकर मारी थी 12 गोलियां
प्रतिशोध की इस आग में कानून का खौफ किसी को नहीं है. 1995 में कालीचरण का बेटा जगबीर जो पंजाब में रह रहा था, उसे विपक्षियों ने वहीं जाकर 12 गोली मारी थीं. इस रंजिश में 12 हत्याएं जनपद में ही हुईं, जबकि अन्य चार हत्याएं अलग राज्यों में.

शूटआउट की कहानी सिपाही की जुबानी
वारदात की पूरी कहानी धर्मपाल के गनर विश्वेंद्र ने एसएसपी को सुनाई. सिपाही ने बताया कि इनोवा गाड़ी धर्मपाल का बड़ा बेटा जितेंद्र उर्फ जीतू चला रहा था. वह उसके बराबर में बैठा था. पिछली सीट पर धर्मपाल, उसकी पत्नी, रविंद्र तथा बेटा संदीप बैठे थे. गांव से निकलते ही एक गाड़ी सामने से आई, जिसे पास करने को जितेंद्र ने गाड़ी रोकी तो अचानक 8-9 लोगों ने गाड़ी घेर ली. जब तक इस के विषय में कुछ समझ पाते, तब तक उन लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी थी. इस पर धर्मपाल ने अपनी लाइसेंसी राइफल से फायरिंग शुरू कर दी. सिपाही ने बताया कि वह नीचे उतरा और जमीन पर लेटकर कार्बाइन से हमलावरों पर गोली चला दी. जवाबी फायरिंग में हमलावरों ने उसके ऊपर भी गोली चला दी. इस बीच एक गोली संदीप के सिर में जा लगी.

बुलंदशहरः पिछले दो दिन से जनपद देशभर की खबरों में छाया हुआ है, वजह है 30 साल पुरानी रंजिश के चलते धनौरा गांव में हथियारबंद आधा दर्जन लोगों ने एक ही परिवार के लोगों पर जानलेवा हमला कर दिया. हमले में परिवार के मुखिया समेत बेटे को गोली लगी. वहीं परिवार की सुरक्षा में तैनात गनर भी तीन गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया. घटनाक्रम में अंधाधुंध फायरिंग में मुखिया के बेटे की सिर में गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई थी. वहीं खुद परिवार का मुखिया धर्मपाल जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है. पूरे मामले में अभी तक पुलिस के हाथ खाली हैं लेकिन एसएसपी का कहना है कि आरोपियों की शिनाख्त कर ली गई है. जल्द ही गिरफ्तारी भी की जाएगी.

1990 में रखी गई थी रंजिश की बुनियाद.

परिवार पर बरसाईं ताबड़तोड़ गोलियां
थाना ककोड़ क्षेत्र के गांव धनौरा में रविवार सुबह खेत से लौटते समय धर्मपाल पर आधा दर्जन हथियारबंद बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. गांव धनौरा निवासी धर्मपाल सुबह परिवार के साथ खेत पर अपनी गाड़ी से जानवरों के लिए चारा लेने गए थे. धर्मपाल की अपने ही गांव के रहने वाले राजेंद्र सिंह के परिवार के साथ पिछले काफी समय से रंजिश चली आ रही है. जिसके चलते रविवार को बाइक और गाड़ी सवार हथियार से लैस बदमाशों ने धर्मपाल के परिवार पर हमला कर दिया.

परिवार की सुरक्षा में लगा है गनर
हमले के दौरान धर्मपाल के साथ बुलंदशहर पुलिस द्वारा दिया गया गनर भी मौजूद था. अचानक हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में धर्मपाल और परिजनों को संभलने का मौका नहीं मिला. फायरिंग में गनर समेत धर्मपाल के परिजन गोली लगने से घायल हो गए. गाड़ी चला रहे धर्मपाल के बेटे संदीप के सिर में गोली लगी, जिससे संदीप की मौके पर ही मौत हो गई. वहीं गनर भी तीन गोली लगने से घायल हो गया.

30 साल पीछे जाकर समझ आएगी वारदात
हालांकि इस घटना के दौरान काउंटर फायरिंग में धर्मपाल और गनर के द्वारा बदमाशों पर भी चार राउंड से ज्यादा फायरिंग की गई, लेकिन बदमाश भागने में सफल रहे. धर्मपाल नोएडा के कैलाश अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. यह वारदात 21 मार्च 2021 की है लेकिन इसे समझने के लिए आपको अब से 30 साल पहले चलना होगा जब इस रंजिश की इबारत लिखी गई थी.

कोतवाली ककोड़.
कोतवाली ककोड़.

30 साल पहले होली के दिन शुरू हुई थी खूनी रंजिश
दरसल, 1990 में होली का दिन था और गांव धनौरा के ग्रामीण होली के रंग में सराबोर थे लेकिन किसी को क्या पता था कि आज गांव में रंगों की होली नहीं बल्कि खून की होली खेली जानी है. होली खेलने के दौरान दो राजेंद्र सिंह और कालीचरण पक्ष के बीच किसी बात को लेकर आपसी विवाद हो गया. विवाद होने पर गांव में दोनों पक्षों को बड़े बुजुर्ग समझाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन अचानक बैठक के दौरान ही दोनों पक्ष एक दूसरे पर आग बबूला हो गए. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हमला कर दिया.

दोनों पक्षों के सात लोगों की हुई थी मौत
आमने-सामने के हमले में जहां कालीचरण पक्ष के चार लोग गोली लगने से मौत की नींद सो गए, वहीं राजेंद्र पक्ष के भी तीन लोगों की गोली लगने से मौत हो गई. ग्रामीणों को लगा कि इतनी बड़ी वारदात के बाद शायद दोनों पक्ष खामोश बैठ जाएंगे लेकिन इस पूरी वारदात में कालीचरण पक्ष के जिन लोगों पर हत्या करने का आरोप लगा था वह लोग सुराग न मिलने की वजह से जमानत पर छूट गए और दूसरे पक्ष राजेंद्र सिंह के पांच लोग आज भी 1990 हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास काट रहे हैं.

साल दर साल चलीं गोलियां
इस रंजिश को आगे बढ़ाते हुए राजेंद्र सिंह पक्ष ने कालीचरण पक्ष के अगम की हत्या कर दी थी, इस हत्या का बदला लेने के लिए 1998 में कालीचरण पक्ष ने राजेंद्र सिंह पक्ष के इंद्रपाल को मौत के घाट उतार दिया. रंजिश थमने का नाम नहीं ले रही थी और यह वारदात आगे बढ़ी और 3 जनवरी 2005 को राजेंद्र सिंह के भाई जयप्रकाश की कालीचरण पक्ष के लोगों ने हत्या कर दी. मात्र 14 दिन बाद राजेंद्र सिंह ने अपने भाई की हत्या का बदला लेते हुए 17 जनवरी 2005 को कालीचरण की पत्नी श्रृंगारी देवी को मौत के घाट उतार दिया था.

वंश मिटाने की खाई कसम
कालीचरण पक्ष के लोगों ने कालीचरण की पत्नी की हत्या का बदला 2009 में राजेंद्र सिंह की पत्नी की हत्या कर पूरा किया. जिस समय राजेंद्र सिंह की बीवी की हत्या हुई थी उस समय उसका बेटा अमित धनौरा नाबालिग था. नाबालिग बेटे के दिल पर मां की हत्या की ऐसी छाप लगी कि अमित ने सौगंध ली कि वह कालीचरण के वंश को मिटा देगा और फिर अमित ने इस रंजिश को आगे बढ़ाते हुए 2019 में कालीचरण के बड़े बेटे जगपाल की पलवल में हत्या करा दी.

पुलिस के लिए चुनौती बना था अमित धनौरा
कालीचरण के बड़े बेटे जगपाल की हत्या में अमित धनौरा का नाम जबरदस्त सुर्खियों में आया था लेकिन अमित धनौरा पुलिस की पकड़ से दूर था. 2020 में अमित ने कालीचरण की हत्या कर इलाके में दहशत पैदा कर दी थी. पुलिस के लिए अमित को ढूंढ़ना एक बड़ी चुनौती थी लेकिन बुलंदशहर पुलिस ने अमित को उसके तीन साथियों के साथ कालीचरण की हत्या के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

जेल में रहते हुए कराया हमला
अभी भी अमित बुलंदशहर जेल में सजा काट रहा है, लेकिन अमित धनौरा इतना शातिर निकला कि उसने जेल में रहकर ही अपने अपराधी साथियों से बाहर संपर्क बनाए रखा. इसी कड़ी में रविवार को अमित धनौरा के ही इशारे पर बदमाशों ने मृतक कालीचरण के छोटे बेटे धर्मपाल और उसके परिवार पर जानलेवा हमला करा दिया, जिसमें धर्मपाल के बेटे संदीप की मौके पर ही मौत हो गई.

ठंडी नहीं हो रही इंतकाम की आग
धर्मपाल नोएडा के कैलाश अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. इस पूरी 30 साल की रंजिश में अब तक दोनों पक्षों से 16 लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका है. हालांकि एसएसपी ने बताया है कि पुलिस बहुत जल्द हत्याकांड में शामिल हथियारबंद बदमाशों की गिरफ्तारी कर लेगी. पुलिस की स्वाट टीम के साथ चार और टीमें आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास में लगी हुई हैं. तीन दशक की इस रंजिश में 16 लोगों की हत्या हो चुकी है और पांच से ज्यादा लोग उम्र कैद की सजा काट रहे हैं लेकिन इन परिवारों में इंतकाम की आग ठंडी नहीं हो रही है.

इन लोगों की हो चुकी है हत्या
तेजपाल, वेदपाल, बीरपाल, कालीचरण, सिंगारी देवी, नीरज, संदीप, अभय सिंह, जगपाल, जगबीर सिंह, महेंद्र, इंद्र, रामवीर, विजेंद्र देवी, विजेंद्र का भाई और रविंदर सिंह की हत्या हो चुकी है.

पंजाब में जाकर मारी थी 12 गोलियां
प्रतिशोध की इस आग में कानून का खौफ किसी को नहीं है. 1995 में कालीचरण का बेटा जगबीर जो पंजाब में रह रहा था, उसे विपक्षियों ने वहीं जाकर 12 गोली मारी थीं. इस रंजिश में 12 हत्याएं जनपद में ही हुईं, जबकि अन्य चार हत्याएं अलग राज्यों में.

शूटआउट की कहानी सिपाही की जुबानी
वारदात की पूरी कहानी धर्मपाल के गनर विश्वेंद्र ने एसएसपी को सुनाई. सिपाही ने बताया कि इनोवा गाड़ी धर्मपाल का बड़ा बेटा जितेंद्र उर्फ जीतू चला रहा था. वह उसके बराबर में बैठा था. पिछली सीट पर धर्मपाल, उसकी पत्नी, रविंद्र तथा बेटा संदीप बैठे थे. गांव से निकलते ही एक गाड़ी सामने से आई, जिसे पास करने को जितेंद्र ने गाड़ी रोकी तो अचानक 8-9 लोगों ने गाड़ी घेर ली. जब तक इस के विषय में कुछ समझ पाते, तब तक उन लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी थी. इस पर धर्मपाल ने अपनी लाइसेंसी राइफल से फायरिंग शुरू कर दी. सिपाही ने बताया कि वह नीचे उतरा और जमीन पर लेटकर कार्बाइन से हमलावरों पर गोली चला दी. जवाबी फायरिंग में हमलावरों ने उसके ऊपर भी गोली चला दी. इस बीच एक गोली संदीप के सिर में जा लगी.

Last Updated : Mar 23, 2021, 10:28 AM IST
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