बुलंदशहर: हर साल 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है. थैलेसीमिया से ग्रसित मरीजों को एक तय अवधि में ब्लड चढ़ाना पढ़ता है. ऐसे में लॉकडाउन के कारण कई मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें तय अवधि पर खून की उपलब्धता नहीं हो पा रही है. इस बीमारी से ग्रसित एक बच्ची ने शासन और प्रशासन से ईटीवी भारत के जरिए मदद मांगी है.
दरअसल, बुुलंदशहर के महिला जिला अस्पताल में पिछले दिनों एक फार्मेसिस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद महिला जिला चिकित्सालय में जिला चिकित्सालय पुरुष को भी जिलाधिकारी के आदेश के बाद सील कर दिया गया था. जिसके कारण अब इन मरीजों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
थैलेसीमिया में 15 से 20 दिन में होती है बल्ड की आवश्यकता-
ये एक बेहद ही खतरनाक बीमारी है. जिसमें 15 से 20 दिन के अंदर इससे पीड़ित मरीज को ब्लड की आवश्यकता होती है. लेकिन बुलन्दशहर अस्पताल को सील किये जाने की वजह से, इस गम्भीर बीमारी के मरीजों के सामने संकट गहराता जा रहा है.
मासूम बच्ची ने बयां किया दर्द-
दौलतपुर निवासी करीब 11 वर्षीय बच्ची शिवानी ने बताया कि लॉकडाउन में बुलंदशहर में कोई ब्लड चढ़ाने को तैयार नहीं हुआ. जिसके कारण जिला प्रशासन से परमिशन लेने के बाद वह दिल्ली ब्लड चढ़ाने के लिए जा रहे थे. इसी दौरान गाजियाबाद से ही उन्हें पुलिस ने वापस भेज दिया.
समस्या जटिल है. ब्लड की आवश्यकता ऐसे मरीजों को पड़ती है. आदेश मिलने के बाद सुविधाएं पुनः बहाल करा दी जाएंगी.
दिनेश कुमार, सीएमएस, जिला अस्पताल