बस्ती: महिलाओं के अंदर प्रतिभा की कमी नहीं होती, बस उन्हें एक मौका चाहिए. फिर वे वो सबकुछ कर सकती हैं, जिसकी लोगों ने कभी उनसे उम्मीद नहीं की हो. बस्ती के खुशहालगंज गांव में ये महिलाएं अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं. इन महिलाओं ने एक छोटा सा उद्योग लगाया और उससे अन्य महिलाओं को भी जोड़ा. ये महिलाएं बेहद गरीब थी और रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रही थीं. इन प्रतिभाशाली महिलाओं ने मिलकर चप्पल बनाने का उद्योग शुरू किया, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है और उनके घर और बच्चों का भविष्य दोनों संवर रहा है.
इस विचार ने आत्मनिर्भर बना दिया
कोरोना काल में यदि आप भी कुछ करने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके के लिए प्रेरणा बन सकती है. दरअसल, कोरोना संकट में बस्ती जिले के खुशहालगंज की महिलाएं आत्मनिर्भर बन गईं है. इन महिलाओं के पास पहले आजीविका का कोई साधन नहीं था. लेकिन अब महिलाएं चप्पल बनाकर अपने जीवन में खुशहाली ला रही हैं. बस्ती के दुबौलिया ब्लॉक क्षेत्र स्थित खुशहालगंज गांव है. यहां की रहने वाली मीना सिंह के पति शहर में प्राइवेट नौकरी करते थे. लेकिन, लॉकडाउन के कारण उनकी घर वापसी हो गई. परिवार का भरण-पोषण इन्हीं की कमाई से चलता था. अचानक पति की नौकरी छूटने से सबकुछ अस्त-व्यस्त हो गया. फिर मीना ने खुद को आत्मनिर्भर बनाने की ठान ली. इस कार्य में उनके पति ने हरसंभव भी मदद की.
हाजीमलंग स्वयं सहायता समूह का किया गठन
मीना ने हाजीमलंग नाम से एक स्वयं सहायता समूह का गठन किया. जिसकी वह अध्यक्ष बनीं. धीरे-धीरे गांव की 12-13 महिलाओं की एक टीम बनाई. चप्पल उद्यमी बनीं मीना बताती हैं कि उन्होंने इंटरनेट पर चप्पल बनाने के बारे में देखा था. जिसके बाद समूह से जुड़ी महिलाओं के साथ मिलकर धन इकट्ठा किया. सामुदायिक निवेश निधि से उन्हें आर्थिक सहायता भी मिली. इन्हीं पैसों से वे आगरा से चप्पल बनाने की मशीन खरीदी. अब इनकी टीम से जुड़ी महिलाओं में रुखसाना, जरीना खातून, अकीला बानो, जमीतुलनिशा, जैबुननिशा, अंजुम, रुकसार, फिरोजा, जहिदा, मोमिना, अलीमूननिशा चप्पल बनाने का काम कर रही हैं. चप्पल बनाने के लिए पहले आगरा से माल लाती थीं, लेकिन अब राजधानी लखनऊ से ही सामग्री मंगाती हैं.
बाजारों में चप्पल मचा रही धूम
समूह की ओर से बनाए जा रहे चप्पल स्थानीय बाजारों में धूम मचा रही है. मीना बताती हैं कि सबसे अधिक मांग लेडीज चप्पलों की है. उनके यहां स्टाइलिश चप्पल भी बनाईं जा रही हैं. समूह से जुड़ी बाकी महिलाएं इस काम से काफी खुश हैं. वे कहती हैं कि इसकी मार्केटिंग भी वह स्वयं ही करती हैं, उनके यहां कई दामों की चप्पल उपलब्ध हैं, लोग अपने बजट के अनुसार चप्पलों की खरीदारी करते हैं.