बस्तीः सरकार के लाख प्रयास के बाद भी गरीबों में वितरित हो रहा खाद्यान्न विभागीय लापरवाही से गरीबों तक नहीं पहुंच पा रहा है. जब गरीब शिकायत लेकर साहब के पास पहुंचते हैं तब जांच शुरू होती है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती. अब सवाल यह उठता है कि आखिर हर महीने मॉनिटरिंग और सत्यापन होने के बाद भी ऐसे आरोप क्यों लग रहे हैं.
दरअसल, मामला हर्रैया तहसील के करमडांडे गांव से आया है, जहां गरीबों के राशन पर डाका डालने वाले कोटेदारों पर प्रशासन अंकुश नहीं लगा पा रहा है. कुछ ऐसे भी निरंकुश कोटेदार हैं जिनकी कार्यशैली से सरकार का सिस्टम भी बदनाम हो रहा है. ऐसे ही एक भ्रष्ट कोटेदार हैं मनोरमा देवी, मनोरमा देवी के जेठ भरत लाल की दंबगई के चलते गरीबों को उनके हक का राशन नहीं मिल पा रहा है.
इन महाशय का गुण नाम के एकदम विपरीत है. सरकार से राशन तो गरीबों के नाम पर लेते हैं, लेकिन गरीब और पात्र लाभार्थियों को राशन देने के बजाय खुद खा जाते हैं. हर्रैया विकास खण्ड के करमडाडे गांव के कोटेदार के खिलाफ एसडीएम हर्रैया के कार्यालय पर पहुंच कर सैकड़ो शिकायतकर्ता और कार्डधारकों ने न्याय की गुहार लगाई.
अगर इनकी बात पर यकीन किया जाए तो इस कोटेदार से बड़ा भ्रष्ट कोई और नहीं हो सकता. कोटेदार मनोरमा देवी और उनके जेठ भरत लाल पर आरोप है कि पात्रों का अंगूठा लगवाने के बाद भी राशन नहीं देना और कुछ पात्रों के बिना आए उनके नाम पर राशन निकल जाना आम बात है. लोगों ने बताया कि इस कोटेदार के भ्रष्टाचार का आलम यह है कि जबरन अंगूठा लगवा लेता है और बाद में नेटवर्क कार्य नहीं कर रहा है ऐसा बहाना करके गरीबों का तीन-तीन माह का राशन डकार जाता है.
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ग्रामीणों का आरोप है कि दंबग कोटेदार गरीबों के हक पर डाका डालने पर आमादा रहता है. शिकायत करने पर कहता है कि जहां तुम लोगों को शिकायत करना है जा कर करो, ऊपर भी सभी पैसा लेते हैं. फिलहाल ग्रामीणों की शिकायत के बाद एसडीएम हर्रैया आनंद श्रीनेत सिंह ने जांच कर कार्रवाई की बात कही है. मगर ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार जांच कार्रवाई और फिर नतीजा जीरो से ये लोग तंग आ चुके हैं अब उन्हें इस भ्रष्ट कोटेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहिए नहीं तो कोटेदार से परेशान पूरा गांव एक बड़े प्रदर्शन करने को मजबूर होगा.