बस्ती: गोंडा से बस्ती जिले तक बहने वाली पौराणिक नदी मनोरमा का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है. नदी की साफ-सफाई के सवाल पर विधायक एनजीटी का हवाला देने लगते हैं.
नहीं हो रही नदी की सफाई
अस्तित्व खो रही नौ पौराणिक नदियों को जीवन देने के लिए योगी सरकार ने पहल की थी, जिसमें बस्ती की मनोरमा नदी भी शामिल है. सरकार की तरफ से 100 करोड़ का बजट भी आंविटत किया गया. नदी के लिए 30 करोड़ रुपये के सफाई का काम मनरेगा से कराए जाने की योजना बनी, लेकिन सभी तैयारियां सिर्फ कागजों में गुम होकर रह गईं.
115 किलोमीटर लंबी है मनोरमा नदी
115 किलोमीटर लंबी पौराणिक मनोरमा नदी का इतिहास भगवान राम के उद्भव से भी जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि मनोरमा नदी उद्यालक ऋषि की पुत्री है. गोंडा जिले में इटियाथोक के पास आज भी ऋषि का आश्रम है. अब इस नदी में गंदगी, जलकुंभी, गांवों के नालियों का पानी और कुछ फैक्ट्रियों का गंदा पानी गिराया जा रहा है, जिससे यह नदी दूषित हो रही है.
एनजीटी के आदेश का इंतजार कर रहे विधायक
स्थानीय विधायक अजय सिंह का कहना है कि जब तक नदी की ड्रेजिंग नहीं होगी, वह साफ नहीं होगा. नदी में काम कराने का प्रयास किया जा रहा है. बिना एनजीटी के स्वीकृति के खुदाई नहीं की जा सकती.
इसे भी पढ़ें:- बस्ती: चंदो ताल को 30 साल में प्रशासन नहीं करा पाया अतिक्रमण मुक्त