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बस्तीः सर्व शिक्षा अभियान पर पानी फेर रहे प्राइमरी स्कूल के शिक्षक

एक तरफ जहां सरकार बच्चों को शिक्षित करने के लिए करोड़ों रुपए खर्ज कर रही है, वहीं उनको शिक्षा देने वाले सरकार के अरमानों पर पानी फेर रहे हैं. बस्ती जिले के शिक्षक घर बैठे वेतन प्राप्त कर रहे हैं.

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घर बैठे सैलरी प्राप्त कर रहे शिक्षक.
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Published : Dec 6, 2019, 4:50 PM IST

बस्ती: सर्व शिक्षा अभियान के नाम पर करोड़ों रुपए जरूर खर्च हो रहे हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. दरअसल जिले के कुदरहा ब्लाक के प्राइमरी स्कूल में शिक्षक घर बैठकर स्कूल के रजिस्टर में बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं और घर बैठे वेतन प्राप्त कर रहे है. इस मामले में ईटीवी भारत ने कुछ ऐसे ही स्कूलों की जमीनी हकीकत की जांच पड़ताल की.

घर बैठे वेतन प्राप्त कर रहे शिक्षक.

घर बैठे वेतन लेते हैं प्रिंसिपल
सबसे पहले ईटीवी भारत ने जिले के चकिया पूर्व माध्यमिक स्कूल का दौरा किया. सरकार बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां पर तैनात शिक्षकों पर हर महीने दो लाख रुपए खर्च कर रही है, लेकिन रजिस्टर्ड बच्चों की संख्या मात्र 18 ही है. इन 18 बच्चों में भी सिर्फ 8 बच्चे ही आते हैं. मौके पर सहायक अध्यापक जय प्रकाश मौजूद मिले, लेकिन प्रिंसिपल अजय चौधरी घर पर ही सैलरी लेते नजर आए.

अध्यापक जय प्रकाश ने बताया कि यहा तीन अध्यापक हैं. शिक्षक विनोद दो दिन की डायट ट्रेनिंग पर गए हैं और प्रिंसिपल अजय चौधरी स्कूल नहीं आए. यहां पढ़ने वाले गरीब बच्चों का भविष्य भी चौपट किया जा रहा है.

कभी स्कूल ही नहीं आतीं शिक्षिका
इसके बाद ईटीवी भारत के संवाददाता इसी ब्लाक के डिहिकपुरा प्राइमरी स्कूल पहुंचे. यहां जांच के दौरान पता चला कि इस स्कूल में तैनात शिक्षिका आकांक्षा यादव कभी स्कूल ही नहीं आतीं. इतना ही नहीं दो रजिस्टर बनाकर स्कूल में आने वाले अधिकारी को भी धोखा दिया जा रहा है. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पूरा दिन टीचर के अभाव में उछाल कूद करते हैं.

शिक्षामित्र चला रहे स्कूल
इसके बाद कूदरहा ब्लाक के पिपरपती प्राइमरी स्कूल पर ईटीवी भारत की टीम पहुंची. इस स्कूल का नजारा बेहद चौंकाने वाला था. यहा पता चला कि प्रिंसिपल प्रियंका यादव कभी स्कूल ही नहीं आती और सरकार की नौकरी को घर बैठे कर रही है. महीने के अंत में आकर सिग्नेचर बनाकर सैलरी लेकर चली जाती हैं. इन्हें इन गरीब बच्चों के भविष्य से कोई लेना-देना नहीं है. इस स्कूल में मौजूद शिक्षामित्र ही किसी तरह से स्कूल को चला रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- शाहजहांपुर: शिक्षक बन डीएम ने बेसिक स्कूल के बच्चों को पढ़ाया

स्कूल बिना गए कुछ अध्यापकों के हस्ताक्षर बनने की शिकायत मिली है और वह लोग स्कूल में पढ़ाते भी नहीं हैं. इस मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी. रिपोर्ट मिलने के बाद दोषी अध्यापकों पर कार्रवाई भी होगी.
-अनिल सागर, कमिश्नर

बस्ती: सर्व शिक्षा अभियान के नाम पर करोड़ों रुपए जरूर खर्च हो रहे हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. दरअसल जिले के कुदरहा ब्लाक के प्राइमरी स्कूल में शिक्षक घर बैठकर स्कूल के रजिस्टर में बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं और घर बैठे वेतन प्राप्त कर रहे है. इस मामले में ईटीवी भारत ने कुछ ऐसे ही स्कूलों की जमीनी हकीकत की जांच पड़ताल की.

घर बैठे वेतन प्राप्त कर रहे शिक्षक.

घर बैठे वेतन लेते हैं प्रिंसिपल
सबसे पहले ईटीवी भारत ने जिले के चकिया पूर्व माध्यमिक स्कूल का दौरा किया. सरकार बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां पर तैनात शिक्षकों पर हर महीने दो लाख रुपए खर्च कर रही है, लेकिन रजिस्टर्ड बच्चों की संख्या मात्र 18 ही है. इन 18 बच्चों में भी सिर्फ 8 बच्चे ही आते हैं. मौके पर सहायक अध्यापक जय प्रकाश मौजूद मिले, लेकिन प्रिंसिपल अजय चौधरी घर पर ही सैलरी लेते नजर आए.

अध्यापक जय प्रकाश ने बताया कि यहा तीन अध्यापक हैं. शिक्षक विनोद दो दिन की डायट ट्रेनिंग पर गए हैं और प्रिंसिपल अजय चौधरी स्कूल नहीं आए. यहां पढ़ने वाले गरीब बच्चों का भविष्य भी चौपट किया जा रहा है.

कभी स्कूल ही नहीं आतीं शिक्षिका
इसके बाद ईटीवी भारत के संवाददाता इसी ब्लाक के डिहिकपुरा प्राइमरी स्कूल पहुंचे. यहां जांच के दौरान पता चला कि इस स्कूल में तैनात शिक्षिका आकांक्षा यादव कभी स्कूल ही नहीं आतीं. इतना ही नहीं दो रजिस्टर बनाकर स्कूल में आने वाले अधिकारी को भी धोखा दिया जा रहा है. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पूरा दिन टीचर के अभाव में उछाल कूद करते हैं.

शिक्षामित्र चला रहे स्कूल
इसके बाद कूदरहा ब्लाक के पिपरपती प्राइमरी स्कूल पर ईटीवी भारत की टीम पहुंची. इस स्कूल का नजारा बेहद चौंकाने वाला था. यहा पता चला कि प्रिंसिपल प्रियंका यादव कभी स्कूल ही नहीं आती और सरकार की नौकरी को घर बैठे कर रही है. महीने के अंत में आकर सिग्नेचर बनाकर सैलरी लेकर चली जाती हैं. इन्हें इन गरीब बच्चों के भविष्य से कोई लेना-देना नहीं है. इस स्कूल में मौजूद शिक्षामित्र ही किसी तरह से स्कूल को चला रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- शाहजहांपुर: शिक्षक बन डीएम ने बेसिक स्कूल के बच्चों को पढ़ाया

स्कूल बिना गए कुछ अध्यापकों के हस्ताक्षर बनने की शिकायत मिली है और वह लोग स्कूल में पढ़ाते भी नहीं हैं. इस मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी. रिपोर्ट मिलने के बाद दोषी अध्यापकों पर कार्रवाई भी होगी.
-अनिल सागर, कमिश्नर

Intro:बस्ती न्यूज रिपोर्ट
प्रशांत सिंह
9161087094
8317019190


बस्ती: बस्ती में सर्व शिक्षा अभियान के नाम पर करोड़ों रुपए जरूर खर्च हो रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. यहां के शिक्षक ही शिक्षा का ऐसा जनाजा निकाल रहे हैं जिसे सुनकर मुख्यमंत्री योगी भी अपना सर पकड़ लेंगे. क्योंकि यहां के अध्यापक घर बैठकर स्कूल के रजिस्टर में बच्चों को पढ़ा रहे हैं. बस्ती के कुदरहा ब्लॉक के किसी प्राइमरी स्कूल में अगर आप एक अध्यापक हैं तो आपको घर बैठे सैलरी मिलेगी. चौंक गए, जी हां ये ऑफर इस एरिया के खंड शिक्षा अधिकारी की मेहरबानी से संभव है.

ईटीवी भारत ने जब ऐसे कुछ स्कूलों की जमीनी हकीकत की पड़ताल की तो सर्व शिक्षा अभियान की ऐसी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. जिसे देखने के बाद आप भी माथा पटक लेंगे. पेश है हमारे संवाददाता एक रिपोर्ट....

सबसे पहले चकिया पूर्व माध्यमिक स्कूल का नजारा देखिए. यहां पर सरकार बच्चों को पढ़ाने के लिए तैनात शिक्षकों पर हर महीने दो लाख रुपए खर्च कर रही है लेकिन रजिस्टर्ड बच्चो की संख्या मात्र 18 है और उसमें भी आते सिर्फ 8 ही हैं. पड़ताल में मौके पर टीचर जय प्रकाश मौजूद मिले लेकिन प्रिंसिपल अजय चौधरी मोटी सैलरी लेते तो जरूर है लेकिन गरीब बच्चो को पढ़ाने में इन्हे कोई रुचि नहीं. इस स्कूल पर मौजूद टीचर ने बताया कि यहां 3 अध्यापक है, विनोद नाम के टीचर दो दिन की डायट पर ट्रेनिंग पर गए हैं. जबकि प्रिंसिपल अजय चौधरी स्कूल नहीं आये हैं. अब ऐसे में सरकार के 2 लाख रुपए का इस स्कूल पर दुरुपयोग किया जा रहा है. जबकि यहां पढ़ने के लिए आने वाले गरीब बच्चो का भविष्य भी चौपट हो रहा है.

इसके बाद हमारे संवाददाता इसी ब्लॉक के डिहिकपुरा प्राइमरी स्कूल पर पहुंचे. जहां पढ़ने आने वाले गरीब बच्चो को पढ़ाने का जिन्हें सरकार ने जिम्मा दिया है वो अपने निजी कामो में व्यस्त है. इस स्कूल की शिक्षिका आकांक्षा यादव कभी स्कूल ही नहीं आती. इतना ही नहीं दो रजिस्टर बनाकर स्कूल में आने वाले अधिकारी को भी धोखा दिया जा रहा है. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पूरा दिन टीचर के अभाव में उछाल कूद करते है क्योंकि इन्हे पढ़ाने वाला कोई टीचर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है.

Body:इसके बाद कूदरहा ब्लॉक के पिपरपती प्राइमरी स्कूल पर हमारी टीम पहुंची और इस स्कूल का नजारा बेहद चौंकाने वाला था. यहां पता चला कि प्रिंसिपल प्रियंका यादव कभी स्कूल ही नहीं आती और सरकार की नौकरी को घर बैठे कर रही है. महीने के अंत में आकर सिग्नेचर बना 70 हज़ार सैलरी लेकर चल देती है. इन्हे इन गरीब बच्चो के भविष्य से कोई लेना देना नहीं है. इस स्कूल में मौजूद शिक्षामित्र किसी तरह से स्कूल चला रहा है.

इन सभी स्कूलों में पढ़ने आने वाले बच्चों को स्वेटर जूता और ड्रेस तक नहीं दिए गए हैं. अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि सरकार का करोड़ों रुपए सिर्फ शिक्षा के बजट पर खर्च हो रहा है तो जमीन पर मॉनिटरिंग करने के लिए जिम्मेदार क्या कर रहे हैं.

इस पूरे मामले को लेकर कमिश्नर अनिल सागर ने बताया कि कुछ अध्यापकों की स्कूल बिना जाए हस्ताक्षर बनने की शिकायत मिली है. और वे लोग अपनी तैनाती स्कूल पर पढ़ाते भी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच कराकर कार्रवाई करेंगे. कमिश्नर ने साफ तौर पर कहा कि रिपोर्ट मिलने के बाद दोषी अध्यापकों पर कार्रवाई होगी.

बाइट - छात्रा, डीहुकपुरा
बाइट....पीटीसी, प्रशांत सिंह
बाइट - शिक्षामित्र,,, प्रा.स्कूल पीपरपाती
बाइट - जयप्रकाश....टीचर, प्रा.स्कूल चकिया
बाइट - अनिल सागर... कमिश्नर


बस्ती यूपीConclusion:
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