बस्ती: सर्व शिक्षा अभियान के नाम पर करोड़ों रुपए जरूर खर्च हो रहे हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. दरअसल जिले के कुदरहा ब्लाक के प्राइमरी स्कूल में शिक्षक घर बैठकर स्कूल के रजिस्टर में बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं और घर बैठे वेतन प्राप्त कर रहे है. इस मामले में ईटीवी भारत ने कुछ ऐसे ही स्कूलों की जमीनी हकीकत की जांच पड़ताल की.
घर बैठे वेतन लेते हैं प्रिंसिपल
सबसे पहले ईटीवी भारत ने जिले के चकिया पूर्व माध्यमिक स्कूल का दौरा किया. सरकार बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां पर तैनात शिक्षकों पर हर महीने दो लाख रुपए खर्च कर रही है, लेकिन रजिस्टर्ड बच्चों की संख्या मात्र 18 ही है. इन 18 बच्चों में भी सिर्फ 8 बच्चे ही आते हैं. मौके पर सहायक अध्यापक जय प्रकाश मौजूद मिले, लेकिन प्रिंसिपल अजय चौधरी घर पर ही सैलरी लेते नजर आए.
अध्यापक जय प्रकाश ने बताया कि यहा तीन अध्यापक हैं. शिक्षक विनोद दो दिन की डायट ट्रेनिंग पर गए हैं और प्रिंसिपल अजय चौधरी स्कूल नहीं आए. यहां पढ़ने वाले गरीब बच्चों का भविष्य भी चौपट किया जा रहा है.
कभी स्कूल ही नहीं आतीं शिक्षिका
इसके बाद ईटीवी भारत के संवाददाता इसी ब्लाक के डिहिकपुरा प्राइमरी स्कूल पहुंचे. यहां जांच के दौरान पता चला कि इस स्कूल में तैनात शिक्षिका आकांक्षा यादव कभी स्कूल ही नहीं आतीं. इतना ही नहीं दो रजिस्टर बनाकर स्कूल में आने वाले अधिकारी को भी धोखा दिया जा रहा है. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पूरा दिन टीचर के अभाव में उछाल कूद करते हैं.
शिक्षामित्र चला रहे स्कूल
इसके बाद कूदरहा ब्लाक के पिपरपती प्राइमरी स्कूल पर ईटीवी भारत की टीम पहुंची. इस स्कूल का नजारा बेहद चौंकाने वाला था. यहा पता चला कि प्रिंसिपल प्रियंका यादव कभी स्कूल ही नहीं आती और सरकार की नौकरी को घर बैठे कर रही है. महीने के अंत में आकर सिग्नेचर बनाकर सैलरी लेकर चली जाती हैं. इन्हें इन गरीब बच्चों के भविष्य से कोई लेना-देना नहीं है. इस स्कूल में मौजूद शिक्षामित्र ही किसी तरह से स्कूल को चला रहे हैं.
इसे भी पढ़ें- शाहजहांपुर: शिक्षक बन डीएम ने बेसिक स्कूल के बच्चों को पढ़ाया
स्कूल बिना गए कुछ अध्यापकों के हस्ताक्षर बनने की शिकायत मिली है और वह लोग स्कूल में पढ़ाते भी नहीं हैं. इस मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी. रिपोर्ट मिलने के बाद दोषी अध्यापकों पर कार्रवाई भी होगी.
-अनिल सागर, कमिश्नर