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बस्ती: 46 साल बाद भी सरयू नहर परियोजना को पहचान की दरकार - बस्ती में सरयू नहर परियोजना का विकास

किसानों के खेतों तक पानी की सुविधा पहुंचाने के लिए सिंचाई विभाग ने साल 1978 में सरयू नहर परियोजना शुरू की थी. जिसके लिए 1660 किलोमीटर लंबाई में नहरों का निर्माण किया जाना था, लेकिन सरकारों की उदासीनता और प्रशासन की लापरवाही के चलते योजना का ठीक से विकास नहीं हो पाया, जिसके चलते योजना ठंडे बस्ते में चली गई.

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Aug 13, 2020, 10:20 PM IST

Updated : Sep 22, 2022, 1:38 PM IST

बस्ती: जिले में बाढ़ रोकने और लंबी नहरों का जाल बिछाकर खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सिंचाई विभाग ने साल 1978 में 'सरयू नहर परियोजना' की शुरूआत की थी. इस योजना का सबसे महत्वपूर्ण काम किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाना था. सरकारों की उदासीनता और धन के अभाव में इस योजना का तो विकास नहीं हो पाया, इसके इतर योजना अंधकार में जरूर चली गई. वहीं समय के साथ इस परियोजना की लागत भी बढ़कर 16 हजार करोड़ पहुंच गई है.

दरअसल, विकास योजनाओं के प्रति सरकारों का लापरवाह नजरिया और उससे होने वाला नुकसान कोई नई बात नहीं है. योजना के तहत बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, बस्ती, संतकबीर नगर और गोरखपुर तक लगभग 9 हजार किलोमीटर लंबी नहरें बननी थी, जिससे हर खेत तक पानी पहुंचाया जा सके. 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली खेतों में हरियाली तो नहीं बिखरी, मगर योजना धन के अभाव में फाइलों में जरूर कैद हो गई.

1978 में शुरू हुई इस परियोजना की शुरूआती लागत 78 करोड़ की थी. 9 जिलों में करीब 12 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई करने वाली और बाढ़ नियंत्रण में कारगर यह परियोजना अपने समय से करीब 30 साल पीछे चल रही है. जिससे आज इसकी लागत बढ़कर 16 हजार करोड़ तक पहुंच गई है.

'सरयू नहर परियोजना' का उदय तो किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने के लिए हुआ था, लेकिन परियोजना के पूरा न होने से किसान खासा नाराज हैं. किसानों का कहना है कि अगर यह योजना समय रहते पूरी कर ली गई होती, तो आज न जाने कितने किसानों के खेत लहलहा रहे होते.

हालांकि सरयू नहर परियोजना से जुड़े अधिकारी काम लगभग पूरा होने की बात कह रहे हैं. सरयू नहर खण्ड 4 के अधिशासी अभियंता राकेश कुमार गौतम ने बताया कि इस योजना में समय-समय पर कई बदलाव किए गए हैं. बस्ती जिले में 144 नहरें हैं, जिनकी लंबाई 880 किलोमीटर है. परियोजना में देरी होने की वजह से आज इसकी लागत 16 हजार करोड़ तक पहुंच चुकी है. वहीं शासन का निर्देश है कि इसी बजट में योजना को पूरा किया जाए, जिसके लिए नहर के गैप को खत्म किया जा रहा है.

वहीं कमिश्नर अनिल सागर ने कहा कि सरयू नहर परियोजना जो काफी समय पहले शुरू हुई थी, जिसमें कालांतर में काफी गैप पाए गए थे. इसका रिव्यू कराकर गैप को खत्म कराया जा रहा है. योजना का लगभग 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है. यह किसानों से भूमि अधिग्रहण नियम के तहत जमीन लेकर किया जा रहा है. वहीं कुछ जगह अभी बाकी है, जिन्हें भी अधिग्रहण कर जल्द ही पूरा किया जाएगा.

बस्ती: जिले में बाढ़ रोकने और लंबी नहरों का जाल बिछाकर खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सिंचाई विभाग ने साल 1978 में 'सरयू नहर परियोजना' की शुरूआत की थी. इस योजना का सबसे महत्वपूर्ण काम किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाना था. सरकारों की उदासीनता और धन के अभाव में इस योजना का तो विकास नहीं हो पाया, इसके इतर योजना अंधकार में जरूर चली गई. वहीं समय के साथ इस परियोजना की लागत भी बढ़कर 16 हजार करोड़ पहुंच गई है.

दरअसल, विकास योजनाओं के प्रति सरकारों का लापरवाह नजरिया और उससे होने वाला नुकसान कोई नई बात नहीं है. योजना के तहत बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, बस्ती, संतकबीर नगर और गोरखपुर तक लगभग 9 हजार किलोमीटर लंबी नहरें बननी थी, जिससे हर खेत तक पानी पहुंचाया जा सके. 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली खेतों में हरियाली तो नहीं बिखरी, मगर योजना धन के अभाव में फाइलों में जरूर कैद हो गई.

1978 में शुरू हुई इस परियोजना की शुरूआती लागत 78 करोड़ की थी. 9 जिलों में करीब 12 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई करने वाली और बाढ़ नियंत्रण में कारगर यह परियोजना अपने समय से करीब 30 साल पीछे चल रही है. जिससे आज इसकी लागत बढ़कर 16 हजार करोड़ तक पहुंच गई है.

'सरयू नहर परियोजना' का उदय तो किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने के लिए हुआ था, लेकिन परियोजना के पूरा न होने से किसान खासा नाराज हैं. किसानों का कहना है कि अगर यह योजना समय रहते पूरी कर ली गई होती, तो आज न जाने कितने किसानों के खेत लहलहा रहे होते.

हालांकि सरयू नहर परियोजना से जुड़े अधिकारी काम लगभग पूरा होने की बात कह रहे हैं. सरयू नहर खण्ड 4 के अधिशासी अभियंता राकेश कुमार गौतम ने बताया कि इस योजना में समय-समय पर कई बदलाव किए गए हैं. बस्ती जिले में 144 नहरें हैं, जिनकी लंबाई 880 किलोमीटर है. परियोजना में देरी होने की वजह से आज इसकी लागत 16 हजार करोड़ तक पहुंच चुकी है. वहीं शासन का निर्देश है कि इसी बजट में योजना को पूरा किया जाए, जिसके लिए नहर के गैप को खत्म किया जा रहा है.

वहीं कमिश्नर अनिल सागर ने कहा कि सरयू नहर परियोजना जो काफी समय पहले शुरू हुई थी, जिसमें कालांतर में काफी गैप पाए गए थे. इसका रिव्यू कराकर गैप को खत्म कराया जा रहा है. योजना का लगभग 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है. यह किसानों से भूमि अधिग्रहण नियम के तहत जमीन लेकर किया जा रहा है. वहीं कुछ जगह अभी बाकी है, जिन्हें भी अधिग्रहण कर जल्द ही पूरा किया जाएगा.

Last Updated : Sep 22, 2022, 1:38 PM IST
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