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'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे के साथ ग्रामीणों ने किया चुनाव का बहिष्कार !

बस्ती के मानपुर माझा गांव में मूलभूत सुविधाओं के न होने की वजह से ग्रामीणों में जमकर रोष व्याप्त है. यहां ग्रामीणों ने 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे के साथ प्रदर्शन किया.

मुलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन.
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Published : Mar 15, 2019, 12:11 AM IST

बस्ती: आजादी के 70 साल बीत गए, कई सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन विकास किस चिडिया का नाम है इसका पता मानपुर माझा गांव के लोगों को अब तक नहीं पता चला. इस गांव में न सड़क है, न अस्पताल, न शौचालय, न राशन की सुविधा. सरकार की योजनाओं के नाम पर इस गांव के लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन.

मानपुर माझा गांव के लोग जब राजनेताओं से गुहार लगाकर थक गए, तब इन लोगों ने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का मन बना लिया. अब यहां के लोग जगह-जगह होर्डिंग और पोस्टर लगा रहे हैं, जिन पर लिखा है 'रोड नहीं तो वोट नहीं'.. ग्रामीणों का आरोप है कि किसी भी पार्टी के नेता को गांव में वोट मांगने के लिये तब तक नहीं आने दिया जाएगा, जब तक गांव में रोड नहीं बन जाती.

दरअसल गांव में अभी तक विकास की किरण नहीं पहुंच पाई है. ग्रामीण जगह-जगह नए तरीके से विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों ने 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे सहित प्रशासन के खिलाफ भी विरोध भी प्रकट किया. ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी हमारे गांव में एक रोड तक नहीं बन पाई. ऐसे में हमारे गांव का विकास कैसे होगा.

ग्रामीणों का कहना है कि अब सभी ग्रामीण मिलकर 2019 लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे और किसी भी दल के नेता को गांव में नहीं घुसने देंगे. अगर गांव में किसी दल के नेता ने घुसने का प्रयास किया, तो पत्थरबाजी कर गांव से खदेड़ने का भी काम करेंगे. हम गांव वाले खुद तो चुनाव का बहिष्कार करेंगे इसके साथ ही आस-पास के गांवों के लोगों से भी चुनाव बहिष्कार का समर्थन मांगेंगे. जब तक हमारे गांव का रोड नहीं बन जाएगी, तब तक हम लोग चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे.

एक तरफ सरकार चुनावों में मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए तरह-तरह के प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं. ऐसे में 2019 लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या कैसे बढ़ेगी, यह अपने आप में सबसे बड़ा सवाल है.

बस्ती: आजादी के 70 साल बीत गए, कई सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन विकास किस चिडिया का नाम है इसका पता मानपुर माझा गांव के लोगों को अब तक नहीं पता चला. इस गांव में न सड़क है, न अस्पताल, न शौचालय, न राशन की सुविधा. सरकार की योजनाओं के नाम पर इस गांव के लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन.

मानपुर माझा गांव के लोग जब राजनेताओं से गुहार लगाकर थक गए, तब इन लोगों ने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का मन बना लिया. अब यहां के लोग जगह-जगह होर्डिंग और पोस्टर लगा रहे हैं, जिन पर लिखा है 'रोड नहीं तो वोट नहीं'.. ग्रामीणों का आरोप है कि किसी भी पार्टी के नेता को गांव में वोट मांगने के लिये तब तक नहीं आने दिया जाएगा, जब तक गांव में रोड नहीं बन जाती.

दरअसल गांव में अभी तक विकास की किरण नहीं पहुंच पाई है. ग्रामीण जगह-जगह नए तरीके से विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों ने 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे सहित प्रशासन के खिलाफ भी विरोध भी प्रकट किया. ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी हमारे गांव में एक रोड तक नहीं बन पाई. ऐसे में हमारे गांव का विकास कैसे होगा.

ग्रामीणों का कहना है कि अब सभी ग्रामीण मिलकर 2019 लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे और किसी भी दल के नेता को गांव में नहीं घुसने देंगे. अगर गांव में किसी दल के नेता ने घुसने का प्रयास किया, तो पत्थरबाजी कर गांव से खदेड़ने का भी काम करेंगे. हम गांव वाले खुद तो चुनाव का बहिष्कार करेंगे इसके साथ ही आस-पास के गांवों के लोगों से भी चुनाव बहिष्कार का समर्थन मांगेंगे. जब तक हमारे गांव का रोड नहीं बन जाएगी, तब तक हम लोग चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे.

एक तरफ सरकार चुनावों में मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए तरह-तरह के प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं. ऐसे में 2019 लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या कैसे बढ़ेगी, यह अपने आप में सबसे बड़ा सवाल है.

Intro:रिपोर्ट- सतीश श्रीवास्तव
बस्ती यूपी
मो- 9889557333

- इस गांव से बचके रहना नेता जी

- आजादी के 70 साल बीत गये, कई सरकारे आयी और चली गयी लेकिन विकास किस चिडिय़ा का नाम है इसका पता बस्ती जिले के गोण्डा बार्डर से सटे 14 पुरेवा मानपुर माझा के ग्रामीण को अब तक नही पता है, इस गांव में न सडक है, न अस्पताल न शौचालय न राशन की लोगो को सुविधा है, सरकार की कई महत्वपूर्ण व जनहित योजनाओ के नाम पर इस गांव के ग्रामीणों को अभी तक केवल ठगा गया है, और तो और इन ग्रामीणो के साथ सौतेला व्यवहार बस्ती के प्रतिनिधियों द्वारा किया गया, जब मानापुर माझा गांव के ग्रामीण राजनेताओं से गुहार लगा कर थक गये तब इन लोगो ने आगामी 2019 की लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का मन बना लिया है, जगह जगह होडिंग व पोस्टर चपका दिये है रोड नही तो वोट नही, ग्रामीणों मे काफी रोष व्याप्त है, आरोप लगा रहे कि किसी भी पार्टी के नेता को गांव मे वोट मांगने के लिये तब तक प्रवेश नही करने देगें जब तक हमारे लिये रोड नही बन जाती है ।




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गौरतलब है कि सरकार के सबका साथ सबका विकास के इस दावें की पोल ग्रामीण खुद खोल रहे हैं, गांव में 70 साल के बाद भी पूरी तरह से विकास की किरण अभी तक नहीं पहुंच पाई है, ग्रामीण जगह जगह नए तरीके से विरोध कर रहे हैं, मीडिया की टीम गांव में विकास का जायजा लेने के लिए पहुंची तो ग्रामीण इकट्ठा होकर रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे सहित प्रशासन के खिलाफ भी विरोध प्रकट किया,

ग्रामीणों ने कहा कि आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी हमारे गांव में एक रोड तक नहीं बन पाया तो हमारे गांव में और विकास कैसे होगा, इसलिए हम सब ग्रामीण मिलकर 2019 लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे और किसी भी दल के नेता को गांव में नहीं घुसने देंगे, अगर गांव में किसी दल के नेता घुसने का प्रयास करेंगे तो पत्थर बाजी कर गांव से खदेड़ने का भी काम करेंगे, हम गांव वाले खुद तो चुनाव का बहिष्कार करेंगे और आस-पास के गांव में जो इस रोड के किनारे बसे हैं उनसे चुनाव बहिष्कार का समर्थन मांगेंगे जब तक हमारे गांव का रोड नहीं बन जाएगा तब तक हम लोग चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे । एक तरफ सरकार चुनावों में मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए तरह-तरह के प्रयास कर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रही है वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं ऐसे में 2019 लोकसभा चुनाव कैसे मतदाताओं की संख्या बढ़ेगी यह अपने आप में एक सबसे बड़ा सवाल खडा कर रहा है..



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