बस्ती: सरकार गांव के विकास के लिए करोड़ों रुपये बजट के तौर पर खर्च करती है. सरकार ने गांव के लोगों की समस्याओं को एक साथ बैठकर निपटाने की योजना बनाई थी. जिसमें हर गांव में एक पंचायत भवन का निर्माण होना था और इस पंचायत भवन में बैठकर गांव के लोग अपनी समस्या पर चर्चा करते और उसका निदान भी होता है. लेकिन बस्ती जिले में सरकार की योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई और गांव की समस्याओं को निपटाने की मंशा भी धरातल पर धराशाई हो गई.
पंचायत भवन पर अवैध कब्जा
बस्ती स्थित पंचायत भवन का निर्माण तो अभी कुछ साल पहले ही हुआ है, लेकिन इसकी इमारतें बताती हैं कि निर्माण में सरकार का बजट कम प्रधान जी के भ्रष्टाचार का काम ज्यादा हुआ है. जर्जर हालत में दिख रहे कूदरहा ब्लॉक के इजरगढ़ गांव में बने इस पंचायत भवन पर अवैध कब्जा भी है. प्रधान की मिलीभगत से यह पंचायत भवन अब सार्वजनिक नहीं रह गया है. गांव की जनता के लिए यह पंचायत भवन सफेद हाथी साबित हो रहा है, जो बनकर तो तैयार हुआ मगर उसका प्रयोग आज तक नहीं हो सका.
ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत भवन का निर्माण जिस मकसद से किया गया था वह कभी पूरा ही नहीं हो पाया. उन्होंने बताया कि दबंग प्रधान ने अपने चहेते को पंचायत भवन पर कब्जा करने की इजाजत दे दी है. लाखों रुपये सरकारी बजट खर्च करने के बाद भी आज यह पंचायत भवन गांव के लोगों के लिए निष्प्रयोज्य है. गांव के लोगों का कहना है कि कई बार जिम्मेदारों से शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
जिला पंचायत राज अधिकारी विनय सिंह से जब इस बाबत बात की गई तो उन्होंने पंचायत भवन पर किए गए कब्जे की शिकायत को गंभीरता से लिया. उन्होंने कहा कि 3 दिन के अंदर इस मामले की जांच कराकर कब्जा करने वाले व्यक्ति से रिकवरी की कार्रवाई जाएगी. साथ ही पंचायत भवन से कब्जा हटवाने का एक्शन भी लेंगे.