बस्ती: सूबे में बेसिक शिक्षा व्यवस्था की बदहाली किसी से छुपी नहीं है. इसके लिए जितनी जिम्मेदार सरकार है उससे कहीं ज्यादा वो शिक्षक हैं जो मोटा वेतन लेकर भी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने नहीं जाते है. मामला जिले के विकास खंड गौर का है, जहां के प्राथमिक स्कूल बैरीखाला में तैनात एक महिला शिक्षामित्र 2 सालों से पढ़ाने नहीं गई. इसके बावजूद मिली भगत से उनके खाते में लगातार वेतन जा रहा है.
प्रधान ने की इसकी शिकायत-
दरअसल ग्राम प्रधान जीतपुर उमेश चंद्र ने उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर इस बात का जानकारी दी. कि शिक्षा मित्र प्रतिभा शुक्ला द्वितीय दो साल से स्कूल नहीं आई हैं. प्रधानाध्यापक और खण्ड शिक्षाधिकारी की मिलीभगत से लगातार वेतन उनके खाते में जा रहा है. वहीं, प्रधानाध्यापक विद्यालय के विकास के लिए मिलने वाले पैसे का बंदरबाट कर रहे हैं.
जर्जर हालत में पड़ा स्कूल-
वहींं, विद्यालय भी अपनी जर्जरता पर आंसू बहा रहा है. कमरों की छतों पर दरारें पड़ गई है, जमीन का फर्श उखड़ा आया है. इतना ही नहीं बच्चों को अभी तक ड्रेस, जूते और किताबों भी नहीं मिले हैं. इस बारे में बच्चों का कहना है कि रोज पूछने पर हमें कल कहकर टाल दिया जाता है. मामले के संज्ञान में आने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कार्रवाई की बात कही है. लेकिन इस तरह सालों विद्यालय से शिक्षकों का गायब रहना, कहीं व कहीं शिक्षा विभाग पर सवाल खड़े करता है.
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