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बस्ती में कागजों पर हरियाली, जमीन पर सूख गये पौधे

यूपी के बस्ती में किए गए पौधरोपण का हाल बेहाल है. जिले में 2019 में 37 लाख पौधे लगाए गए थे. जिसमें अधिकतर सूख चुके हैं या देखभाल के अभाव में नष्ट हो चुके हैं. जब डीएफओ से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि पिछले साल रोपे गए पौधे सूख गए हैं, उसमें रेंज ऑफिसर और फारेस्ट गार्ड पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है.

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Published : Aug 14, 2020, 8:20 PM IST

पौधारोपण का हाल बेहाल.
पौधारोपण का हाल बेहाल.

बस्ती: मुख्यमंत्री योगी ने पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए पौधरोपण पर जोर दिया है. कागजों पर लिखे आंकड़ों के मुताबिक हर साल लाखों की संख्या में पौधे लगाए तो जाते हैं. मगर जमीन पर पौधे नहीं दिखते. जिले में पौधरोपण का हाल हमेशा की तरह बेहाल है. हर साल लाखों पौधे रोपे जाते हैं, लेकिन वह कहां गायब हो जाते हैं, इसकी खोज-खबर लेने कोई जरूरत नहीं समझता.

पौधरोपण पर खास रिपोर्ट.

मुख्यमंत्री योगी ने पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए पौधरोपण पर दिया था जोर

हाल ही में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया, हर साल की तरह इस साल इस बार भी सरकार द्वारा पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए कई कार्यक्रम किए गए. लोगों को जागरुक किया गया. बड़ी संख्या में पौधरोपण किया गया. मुख्यमंत्री योगी ने पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए पौधरोपण पर जोर भी दिया है. उन्होंने प्रदेश में 25 करोड़ पौधरोपण करने के लक्ष्य निर्धारित किया था. इसी क्रम में बस्ती में भी एक दिन में 27 लाख पौधे लगाए गए.

2019 में रोपे गए थे 37 लाख पौधे

बीते साल 2019 में जिले में 37 लाख पौधे रोपे गये. वहीं 2018 में लगभग 22 लाख पौधे रोपे गए, साथ ही इस साल भी प्रदेश में 25 करोड़ पौधरोपण के लक्ष्य के सापेक्ष जिले में एक दिन में 27 लाख पौधे रोपे गए. उनकी रक्षा की शपथ भी ली गयी. इसके बावजूद भी यहां लगाए गए अधिकांश पौधे अब नहीं दिखते. इसका कारण यह है कि पौधे रोपते हुए अपनी तस्वीरें खिंचवा चुके लोगों को उन पौधों की कोई फिक्र नहीं. फोटो सेशन करने वाले नदारद हैं. कागजों पर ही हरियाली है. जमीन पर नहीं. 2019 में रोपे गये ज्यादातर पौधे देखभाल के अभाव में पानी की वजह से खराब हो गए.

पौधरोपण को आम जनमानस से जोड़ने की जरूरत

इस बाबत पर्यावरण के जानकार राजेन्द्र नाथ तिवारी से जब बात की गयी तो उन्होंने बताया कि हर साल लाखों-करोड़ों पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन यह अभियान फोटो मात्र तक सीमित रह जाता है. पौधरोपण को आम जनमानस से जोड़ने की जरूरत है. जब तक एक वृक्ष सौ पुत्र समान के भाव को चरितार्थ नहीं किया जाएगा, ये कभी सफल नहीं होगा. पौधरोपण के प्रति सरकार को लोगों से सीधे जुड़ना होगा. सिर्फ सरकारी विभागों के भरोसे पर्यावरण को ठीक करने का ये अभियान फेल होता रहेगा. सिर्फ लाखों रुपये खर्च किये जाते रहेंगे.

क्या बोले जिम्मेदार

वहीं जब पौधों की देखभाल न करने को लेकर डीएफओ नवीन शाक्य से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सीएम योगी के निर्देश पर इस वर्ष भी 27 लाख पौधरोपण का लक्ष्य मिला था, जो पूरा किया गया है. वहीं पिछले साल रोपे गए जो पौधे सूख गए हैं, उसमें रेंज ऑफिसर और फॉरेस्ट गार्ड पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है. साथ ही इस बार के पौधरोपण की कड़ी में उन पौधों को भी दोबारा लगाया जाएगा. उन्होंने कहा कि जो पौधे सूखे हैं उसका मुख्य कारण पानी है. यह पौधे जलजमाव की जगह पर नहीं लगते हैं. साथ ही देखभाल में भी कमी पाई गई है.

बस्ती: मुख्यमंत्री योगी ने पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए पौधरोपण पर जोर दिया है. कागजों पर लिखे आंकड़ों के मुताबिक हर साल लाखों की संख्या में पौधे लगाए तो जाते हैं. मगर जमीन पर पौधे नहीं दिखते. जिले में पौधरोपण का हाल हमेशा की तरह बेहाल है. हर साल लाखों पौधे रोपे जाते हैं, लेकिन वह कहां गायब हो जाते हैं, इसकी खोज-खबर लेने कोई जरूरत नहीं समझता.

पौधरोपण पर खास रिपोर्ट.

मुख्यमंत्री योगी ने पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए पौधरोपण पर दिया था जोर

हाल ही में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया, हर साल की तरह इस साल इस बार भी सरकार द्वारा पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए कई कार्यक्रम किए गए. लोगों को जागरुक किया गया. बड़ी संख्या में पौधरोपण किया गया. मुख्यमंत्री योगी ने पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए पौधरोपण पर जोर भी दिया है. उन्होंने प्रदेश में 25 करोड़ पौधरोपण करने के लक्ष्य निर्धारित किया था. इसी क्रम में बस्ती में भी एक दिन में 27 लाख पौधे लगाए गए.

2019 में रोपे गए थे 37 लाख पौधे

बीते साल 2019 में जिले में 37 लाख पौधे रोपे गये. वहीं 2018 में लगभग 22 लाख पौधे रोपे गए, साथ ही इस साल भी प्रदेश में 25 करोड़ पौधरोपण के लक्ष्य के सापेक्ष जिले में एक दिन में 27 लाख पौधे रोपे गए. उनकी रक्षा की शपथ भी ली गयी. इसके बावजूद भी यहां लगाए गए अधिकांश पौधे अब नहीं दिखते. इसका कारण यह है कि पौधे रोपते हुए अपनी तस्वीरें खिंचवा चुके लोगों को उन पौधों की कोई फिक्र नहीं. फोटो सेशन करने वाले नदारद हैं. कागजों पर ही हरियाली है. जमीन पर नहीं. 2019 में रोपे गये ज्यादातर पौधे देखभाल के अभाव में पानी की वजह से खराब हो गए.

पौधरोपण को आम जनमानस से जोड़ने की जरूरत

इस बाबत पर्यावरण के जानकार राजेन्द्र नाथ तिवारी से जब बात की गयी तो उन्होंने बताया कि हर साल लाखों-करोड़ों पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन यह अभियान फोटो मात्र तक सीमित रह जाता है. पौधरोपण को आम जनमानस से जोड़ने की जरूरत है. जब तक एक वृक्ष सौ पुत्र समान के भाव को चरितार्थ नहीं किया जाएगा, ये कभी सफल नहीं होगा. पौधरोपण के प्रति सरकार को लोगों से सीधे जुड़ना होगा. सिर्फ सरकारी विभागों के भरोसे पर्यावरण को ठीक करने का ये अभियान फेल होता रहेगा. सिर्फ लाखों रुपये खर्च किये जाते रहेंगे.

क्या बोले जिम्मेदार

वहीं जब पौधों की देखभाल न करने को लेकर डीएफओ नवीन शाक्य से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सीएम योगी के निर्देश पर इस वर्ष भी 27 लाख पौधरोपण का लक्ष्य मिला था, जो पूरा किया गया है. वहीं पिछले साल रोपे गए जो पौधे सूख गए हैं, उसमें रेंज ऑफिसर और फॉरेस्ट गार्ड पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है. साथ ही इस बार के पौधरोपण की कड़ी में उन पौधों को भी दोबारा लगाया जाएगा. उन्होंने कहा कि जो पौधे सूखे हैं उसका मुख्य कारण पानी है. यह पौधे जलजमाव की जगह पर नहीं लगते हैं. साथ ही देखभाल में भी कमी पाई गई है.

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