बस्ती: किसान अन्न उगाते हैं तो उन्हें जीवन दाता कहा जाता है. इसीलिए गन्ना किसानों की दयनीय हालत को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी ने अपने उस वायदे को पूरा करने की कवायद शुरू कर दी है. जिसे उन्होंने चुनाव के दौरान किसानों से किया था. गौरतलब है कि वर्ष 2016 में सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान वाल्टरगंज में स्थित फेनिल ग्रुप की शुगर मिल घाटे में होने की वजह से बंद हो गई थी. जिससे किसान और मिल कर्मी खाने को मोहताज होने लगे थे. कई आंदोलन हुए लेकिन सरकार ने कोई पहल नहीं की और अब योगी सरकार 2.0 ने इस मिल को चलाने के लिए पहल शुरू कर दी है. इलाके के लाखों गन्ना किसानों का सपना अब योगी सरकार पूरा करने जा रही है.
बस्ती चीनी मिल बंद: किसी जमाने में बस्ती जनपद को चीनी का कटोरा कहा जाता था, लेकिन धीरे-धीरे करके सभी चीनी मिल बंद होती गई और बस्ती की नकदी फसल गन्ना से किसानों का मोहभंग होता चला गया. जनपद की दो चीनी मिलें जिसमें किसानों की रूह बसती थी, पहली वाल्टरगंज और दूसरी बस्ती. दोनों एक एक करके बंद हो गई. हालांकि, मिल को चलाने के लिए कई बार प्रयास किया गया, लेकिन प्रयास सफल नहीं हुआ.
मिल दोबारा शुरू:गन्ना किसानों के इस दर्द को देखते हुए जनपद का एक युवा ने दोनों चीनी मिल खरीदने का इरादा लिए हुए जिला प्रशासन और मिल प्रबंधन से लगातार बातचीत कर रहा है. जिसको लेकर सरकार से एमओयू का भी करार हो चुका है. जल्द ही मिल की चिमनी फिर से गरम होकर इलाके को रोशन करेगी. कमरुद्दीन नाम के एक व्यापारी ने इस मिल को चलाने का बीड़ा उठाया है. इससे पहले गन्ना किसान, मिल कर्मचारी और मिल पर बकाया बिजली बिल सहित कुल 84 करोड़ का भुगतान करने का भी सरकार से वादा किया है. उसके बाद वे मिल को चलाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे, ताकि हर गन्ना किसान खुश होकर वाल्टरगंज शुगर मिल को अपनी मेहनत की फसल से फिर गुलजार कर सके.
कौन है कमरुद्दीन: जिले के छोटे से गांव में जन्मे एक नौजवान ने यह पंक्ति सही साबित कर दी है कि कौन कहता है आसमा मे छेद नहीं हो सकता, कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारो. अपनी मेहनत और जुनून के बल पर जो सफलता इस नौजवान ने पाई है वह युवाओं के लिए एक मिसाल है.इस नौजवान ने देश व विदेश में आधा दर्जन से अधिक मल्टीनेशनल कंपनीयो की स्थापना करके बस्ती जनपद का मान बढ़ाया है. यह नौजवान हैं गांव पेडरिया थाना पैकोलिया निवासी डीजल इंजन के मकैनिक जलालुद्दीन के घर में जन्मे कमरुद्दीन.
कमरुद्दीन ने अपनी प्राथमिक पढ़ाई गांव के स्कूल से की और हाई स्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा में अव्वल दर्जे में पास करके आईआईएम कोलकाता में एमबीए में दाखिला लिया. यही से कमरूद्दीन ने अपने जिले को नई पहचान देने का निर्णय किया. 2011 में एमबीए की परीक्षा पास कई बड़ी कंपनियों में अपनी सेवाएं दी, लेकिन नौकरी न करके युवाओं को रोजगार देने का जज्बा लेकर के खुद की कंपनी बना ली. और देखते ही देखते कंपनी नई ऊंचाइयों पर पहुंचने लगी. इसके साथ ही वर्ष 2007 में एमबीए पास रोहमा पुत्री मोहम्मद अकबर से विवाह किया.
कमरुद्दीन बस्ती में बंद पड़ी वाल्टरगंज और बस्ती चीनी मिल खरीदने की मंशा रखते हुए फेनिल शुगर लिमिटेड के डायरेक्टरों से वार्ता भी कर रहे हैं जोकि अंतिम दौर में चल रही है.उन्हें उम्मीद है कि यदि चीनी मिल उन्हें मिलती है. तो निश्चित तौर पर बस्ती जनपद के किसानों को खुशहाल बनाने में वह सफल रहेंगे.
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