बस्ती: यूपी सरकार की प्राथमिकता गांव की गलियों तक स्वच्छता है. इसी प्राथमिकता के तहत गांव में सफाई कर्मियों की नियुक्ति की गई है, लेकिन गांव में सफाई कर्मी काम नहीं कर रहे हैं. इतना ही नहीं जहां महिला सफाई कर्मियों की नियुक्ति है, वहां उनकी जगह उनके पति जाते हैं, वह भी सिर्फ हस्ताक्षर करने के लिये. चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब प्रधान और एडीओ पंचायत की मिलीभगत से हो रहा है. ऐसे में ग्रामीण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं.
कभी नहीं आते सफाई कर्मी ग्रामीण
ताजा मामला बहादुरपुर ब्लाक के डारीडीहा ग्राम पंचायत का है. डारीडीहा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले 4 गांव (सेमरा, सेमरा पूरे प्रसाद, मसानडीह, डारीडीहा) में चार सफाई कर्मियों की तैनाती है. इन सफाई कर्मियों में दो महिलाएं मायादेवी, कंचन लता और दो पुरुष विजय कुमार, हरिश्चंद्र नियुक्त हैं. जिसमें महिलाएं कभी आती ही नहीं है, वहीं पुरुष आते भी हैं तो चौराहे पर नेतागिरी करते दिखते हैं.
ग्राम प्रधान की मिलीभगत से वेतन ले रहे सफाई कर्मी
सफाई न होने से गांव में जल जमाव हो रहा है, जिससे ग्रामीणों को आने जाने में काफी परेशानी हो रही है. ग्रामीणों ने बताया कि इस ग्राम पंचायत के सफाई कर्मी कभी गांव में नहीं आते हैं. ग्राम प्रधान की मिलीभगत से प्रतिमाह वेतन ले रहे हैं. ग्रामीण परशुराम, राकेश, रामचंद्र, अलगुराम और राम मनोरथ समेत कई ग्रामीणों ने सफाई न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बरसात में काफी परेशानी हो रही है. प्रधान से शिकायत भी की जाती है, लेकिन कोई नहीं सुनता है. सफाई कर्मियों के पति आते हैं, वह भी दिन भर चौराहे पर बैठकर वापस चले जाते हैं, गांव में चारो तरफ गंदगी फैली हुई है.
इससे पहले भी काम न करने पर सफाई कर्मियों पर कार्रवाई की गई थी. ऐसे किसी भी सफाई कर्मी को बख्शा नहीं जाएगा, जिसके क्षेत्र में गंदगी पाई जाएगी. वहीं ड्यूटी न करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
ब्रह्मचारी दुबे, डीपीआरओ