बस्ती: उत्तर प्रदेश के न्यायालयों में मूलभूत सुविधाओं और कर्मचारियों की बेहद कमी है. इस वजह से फरियादियों को समय पर न्याय मिल पाना संभव नजर नहीं आ रहा. हालात ऐसे हैं कि मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ने की वजह से आम आदमी परेशान हो रहा और न्याय विभाग पर काम का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन अब न्याय विभाग ही इसके खिलाफ आवाज मुखर करनी शुरू कर दी है.
बस्ती से न्याय की मशाल उठाए दीवानी न्यायालय कर्मचारी संघ के कर्मचारियों ने एक बैठक की. उसमें तय फैसले के तहत उच्च न्यायालय इलाहाबाद (Allahabad High Court) और शासन को संबोधित ज्ञापन भेजा. कर्मचारी यूनियन के नेताओं का आरोप है कि सुविधाओं के लिहाज से बजट आवंटित नहीं होने से प्रदेश के अधिकतर कोर्ट में पेय जल, स्वच्छता और शौचालय से लेकर अन्य सुविधाओं का अभाव है, जिस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. इतना ही नहीं कर्मचारियों की कमी के चलते कोर्ट पर मुकदमों का बोझ बढ़ रहा. फिर भी कर्मचारियों की भर्ती नहीं की जा रही है. लिहाजा, कार्यरत कर्मचारियों पर लगातार वर्क लोड बढ़ रहा है. आरोप है कि सुबह साढ़े 9 से रात 9, 10 बजे तक काम करना पड़ता है. कर्मचारियों के वेतन विसंगति को लेकर भी आज तक शासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए. इसीलिए दीवानी न्यायालय कर्मचारी संघ अपने कर्मचारियों के हित के लिए आवाज मुखर कर रहा है.
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यह सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगेगा कि न्याय विभाग अब खुद न्याय मांग रहा है, लेकिन अपने अधिकार और हक की आवाज उठाना लोकतांत्रिक व्यवस्था में आता है. दीवानी न्यायालय कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष अशोक सिंह ने बताया कि संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए एक ज्ञापन हाईकोर्ट को भेजा गया है. इसके अलावा दीवानी न्यायालय कर्मचारी संघ ने यूनियन के सदस्य संतोष कुमार त्रिपाठी को उपाध्यक्ष चुना और उन्हें माला पहनाकर पद की शपथ भी दिलाई .
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