बस्ती: योगी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह से उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ता भिड़ गए. कार्यकर्ताओं ने कुछ दिन पहले हुए जिले के सभी सीएचसी के प्रभारी चिकित्सकों का स्थानांतरण पैसा लेकर रोके जाने का गंभीर आरोप लगाया. इस पर मंत्री जी को भी कहना पड़ा कि हां ये बात सही है, लेकिन आप लिखकर दीजिए तब कार्यवाही होगी. स्वास्थ्य मंत्री ने मामले पर अनिभिज्ञता जताते हुए कहा कि हमें जिले के किसी भी चिकित्सकों की शिकायत अभी तक नहीं मिली है. जिलाधिकारी या मुख्यचिकित्साधिकारी सीएचसी प्रभारियों का स्थानांतरण नहीं कर सकते हैं, फिर भी ऐसा किया गया. इसलिए शासन ने संज्ञान लेकर स्थानांतरण को कैंसिल कर दिया.
सवाल यह उठता है कि क्या सीनियर चिकित्सकों के रहते जूनियर को अधीक्षक बनाया जाना चाहिए. क्या एक अधीक्षक को आजीवन एक ही केन्द्र पर रहना चाहिए. क्या अधीक्षक को मनमानी की छूट है. यदि नहीं, तो जिलाधिकारी व मुख्यचिकित्साधिकारी द्वारा किए गए नीतिगत स्थानांतरण को शासन ने क्यों कैंसिल कर दिया. लोगों ने कहा कि क्या जिलाधिकारी व मुख्यचिकित्साधिकारी द्वारा किया गया स्थानांतरण नीति विरुद्ध, न्याय विरुद्ध था. यदि हां, तो ऐसे अधिकारी के विरुद्ध क्या कार्रवाई हुई.
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि हाल ही में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कप्तानगंज में एक मरीज का इलाज करवाने गए बीजेपी नेता विनीत तिवारी से प्रभारी सीएचसी की नोकझोंक हुई, जिसके बाद डॉक्टर समर्थकों ने बीजेपी नेता की जमकर धुनाई कर दी. इस मामले में दोनों पक्षों में मुकदमा हुआ और डीएम के आदेश पर सीएमओ ने जिले के सभी सीएचसी प्रभारी का ट्रांसफर कर दिया. मगर सीएमओ के इस आदेश को डॉक्टरों ने चुनौती दी और आदेश कैंसिल हो गया. इसके बाद सारे डॉक्टर अपनी तैनाती स्थल पर अब भी जमे हुए है.
बीजेपी कार्यकर्ता सीएचसी कप्तानगंज के प्रभारी डॉक्टर विनोद के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई न होने से बेहद नाराज दिखे. उन्होंने बस्ती पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री की गाड़ी को रोककर उनके सामने जमकर अपनी भड़ास निकाली. स्वास्थ्य मंत्री कार्यकर्ताओं के सवालों का माकूल जवाब नहीं दे पाए और कुछ ही समय बाद मौके से निकलने में ही अपनी भलाई समझे.