बस्ती: प्राथमिक विद्यालय का नाम सुनते ही लोगों के सामने टूटी टेबल, गंदे टॉयलेट, जर्जर पड़े कमरे, बिना ब्लैक बोर्ड के क्लास रूम की तस्वीरें आंखों के सामने आने लगती है. मगर बस्ती के एक गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर को बदल दिया है. जिले के पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों की मेहनत ने यहां के स्कूलों की काया पलट कर दी है. ओरवारा गांव के इस मॉडल पंचायत भवन और प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश करते ही आपको अहसास होगा कि ये दोनों भवन किसी अंग्रेजी मीडियम स्कूल और प्राइवेट हॉल से कम नहीं है. इन दोनों भवनों की चर्चा अब पूरे जिले में हो रही है. गांव के अभिभावक अब बड़े ही चाव से अपने बच्चों का प्रवेश यहां करवा रहे हैं, क्योंकि इस प्राथमिक स्कूल का पूरी तरह से कायाकल्प हो चुका है. इसके अलावा पंचायत भवन का निर्माण भी बेहतर तरीके से कराया गया है.
दूसरे गांवों के लिए बना रोल मॉडल
पंचायती राज विभाग के अधिकारियों की मेहनत रंग लाने लगी है. सदर तहसील के ओरवारा गांव का प्राइमरी स्कूल और पंचायत भवन मॉडल के तौर पर बनकर तैयार हो गए हैं. पहले इस गांव के यह दोनों भवन गंदगी से अटे पड़े थे. गांव के लोग यहां शौच करने आते थे. दोनों भवन की सुरक्षा को लेकर कोई बाउंड्री तक नहीं थी. इस वजह से प्राइमरी स्कूल में न तो बच्चों की पर्याप्त संख्या थी और न ही बच्चे पढ़ने आते थे. शहर से सटा होने की वजह से डीपीआरओ विनय सिंह एक बार निरीक्षण करने के लिए यहां आए ते. पंचायत भवन और प्राइमरी स्कूल का हाल देखकर उन्होंने निर्णय लिया कि अब इन दोनों भवनों को मॉडल के तौर पर बनाया जाएगा. इसके बाद सरकारी बजट का आवंटन हुआ और देखते ही देखते दोनों भवनों का कायाकल्प हो गया. रंगरोगन, बाउंड्री वॉल, वॉल पेंटिंग, टाइल्स लगने की वजह से अब ये दोनों सरकारी भवन जिले के अन्य पंचायत भवन और प्राइमरी स्कूल के लिए रोल मॉडल बन गए हैं.
सब करते हैं काम की प्रशंसा
इस गांव के सेक्रेटरी ने बताया कि इन दोनों भवनों को मॉडल के रूप में स्थापित करने के लिए काफी मेहनत की गई है. डीपीआरओ ने विशेष तौर पर ऑरवारा गांव पर ध्यान केंद्रित किया. उनके मार्गदर्शन और निर्देश पर आज इन दोनों भवनों की दिशा और दशा दोनों बदल गई हैं. स्कूल की प्रिंसिपल और गांव के प्रधान ने भी माना कि उन्हें अच्छा काम करने के लिए पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों से प्रेरणा मिली.
धरातल पर फैला है भ्रष्टाचार
आज इस गांव के पंचायत भवन और प्राइमरी स्कूल के भवन को देखकर लोग सरहाना करते नहीं थकते. पंचायत भवनों के लिए सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है. लेकिन, धरातल पर भ्रष्टाचार होने के कारण विकास थम गया है. इसके बीच मॉडल पंचायत भवन और प्राइमरी स्कूल का बनना वाकई काबिले तारिफ है.