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बस्ती: कृषि विज्ञान केंद्र को मिला प्रोत्साहन अवार्ड, मंत्री ने दी बधाई - कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही

बस्ती जिले के कृषि विज्ञान केंद्र को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की ओर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि विज्ञान प्रोत्साहन अवार्ड दिया गया है. कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र को बधाई दी.

कृषि विज्ञान केंद्र को मिला प्रोत्साहन अवार्ड
कृषि विज्ञान केंद्र को मिला प्रोत्साहन अवार्ड
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Published : Jul 18, 2020, 12:21 AM IST

बस्ती: नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के बस्ती जिले के कृषि विज्ञान केंद्र को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की ओर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि विज्ञान प्रोत्साहन अवार्ड से सम्मानित किया गया है. यह पहला अवसर है जब आचार्य नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय के अधीन कृषि विज्ञान केंद्र को सम्मान प्राप्त हुआ है. वहीं शुक्रवार को बस्ती पहुंचे कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कृषि विज्ञान केंद्र को बधाई दी.

जानकारी देते कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही.

दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही बस्ती के कृषि विज्ञान केन्द्र बंजरिया पहुंचे थे. मंत्री ने कृषि वैज्ञानिक और प्रगतिशील कृषक सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि विज्ञान केन्द्र किसानों को नए बीज और आधुनिक तरीकों से खेती करने के लिए प्रशिक्षण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उन्होंने कहा कि बस्ती कृषि विज्ञान केन्द्र को भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ उत्कृष्ट विज्ञान केन्द्र में चयन किया है और 7.5 लाख का पुरस्कार कृषि विज्ञान केन्द्र को दिया गया है.

कृषि मंत्री ने बस्ती कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि कोविड-19 के दौर में हमने सभी केन्द्रों को कहा है कि वो अपने यहां प्रवासी श्रमिकों और स्थानीय लोगों को कौशल विकास मिशन के तहत ट्रेनिंग दें. इससे लोगों की कौशल क्षमता बढ़ेगी और उनकी आय दोगुनी होगी.

कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश के 37 कृषि विज्ञान केन्द्रों को तीन साल के अंदर अपग्रेड करने का निर्णय लिया गया है. इसी क्रम में बस्ती के कृषि विज्ञान केन्द्र को 3.17 करोड़ की धनराशि दी गई है. इससे कृषि विज्ञान केन्द्र के आधारभूत संरचना को खड़ा किया जा रहा है. कृषि मंत्री ने बताया कि इस केंद्र की स्थापना 1984 में हुई थी.

उन्होंने आगे कहा कि पिछले 10 वर्षों से हमारे केवीके और कृषि विश्वविद्यालय उपेक्षित रहे. कृषि शिक्षा पर 200 करोड़ की धनराशि देकर हमने कोशिश की है कि नई-नई प्रजातियों का शोध किया जा सके. जहां जल जमाव होता है और जहां पर सूखे की स्थिति रहती है वहां पर कौन की प्रजाति लगाई जा सकती है. उस तरह की प्रजाति डेवलप करके किसानों को उपलब्ध कराई जाए. जिससे की किसानों को इस का लाभ मिल सके.

बस्ती: नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के बस्ती जिले के कृषि विज्ञान केंद्र को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की ओर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि विज्ञान प्रोत्साहन अवार्ड से सम्मानित किया गया है. यह पहला अवसर है जब आचार्य नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय के अधीन कृषि विज्ञान केंद्र को सम्मान प्राप्त हुआ है. वहीं शुक्रवार को बस्ती पहुंचे कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कृषि विज्ञान केंद्र को बधाई दी.

जानकारी देते कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही.

दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही बस्ती के कृषि विज्ञान केन्द्र बंजरिया पहुंचे थे. मंत्री ने कृषि वैज्ञानिक और प्रगतिशील कृषक सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि विज्ञान केन्द्र किसानों को नए बीज और आधुनिक तरीकों से खेती करने के लिए प्रशिक्षण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उन्होंने कहा कि बस्ती कृषि विज्ञान केन्द्र को भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ उत्कृष्ट विज्ञान केन्द्र में चयन किया है और 7.5 लाख का पुरस्कार कृषि विज्ञान केन्द्र को दिया गया है.

कृषि मंत्री ने बस्ती कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि कोविड-19 के दौर में हमने सभी केन्द्रों को कहा है कि वो अपने यहां प्रवासी श्रमिकों और स्थानीय लोगों को कौशल विकास मिशन के तहत ट्रेनिंग दें. इससे लोगों की कौशल क्षमता बढ़ेगी और उनकी आय दोगुनी होगी.

कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश के 37 कृषि विज्ञान केन्द्रों को तीन साल के अंदर अपग्रेड करने का निर्णय लिया गया है. इसी क्रम में बस्ती के कृषि विज्ञान केन्द्र को 3.17 करोड़ की धनराशि दी गई है. इससे कृषि विज्ञान केन्द्र के आधारभूत संरचना को खड़ा किया जा रहा है. कृषि मंत्री ने बताया कि इस केंद्र की स्थापना 1984 में हुई थी.

उन्होंने आगे कहा कि पिछले 10 वर्षों से हमारे केवीके और कृषि विश्वविद्यालय उपेक्षित रहे. कृषि शिक्षा पर 200 करोड़ की धनराशि देकर हमने कोशिश की है कि नई-नई प्रजातियों का शोध किया जा सके. जहां जल जमाव होता है और जहां पर सूखे की स्थिति रहती है वहां पर कौन की प्रजाति लगाई जा सकती है. उस तरह की प्रजाति डेवलप करके किसानों को उपलब्ध कराई जाए. जिससे की किसानों को इस का लाभ मिल सके.

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