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जरी-जरदोजी का बरेली में ठप हुआ कारोबार, जरा ध्यान दे दो सरकार

जरी का हुनर और कारोबार लगभग पूरी तरह से चौपट हो गया है. यूपी का बरेली जनपद अपनी जरी जरदोजी की वजह से देश-विदेश में प्रसिद्ध है, लेकिन इससे जुड़े लोगों के हालात इन दिनों अच्छे नहीं हैं. इस कारोबार से जुड़े लोग अब बेरोजगार होने की कगार पर हैं. इसके पीछे कई वजह हैं, देखिये ये स्पेशल रिपोर्ट...

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Feb 21, 2021, 10:29 PM IST

बरेली: सुरमे के साथ ही बरेली जनपद जरी जरदोजी की करीगरी के लिए भी मशहूर है. इसे जरी नगरी के नाम से भी जाना जाता है. यहां की जारी जरदोजी का हर कोई कायल है. फिलहाल, बरेली के जरी उद्योग के लिए समय सही नहीं चल रहा है. पहले नोटबंदी और फिर लॉकडाउन के चलते जरी के कारीगर इस काम को छोड़कर मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं. इसके अलावा चीन की बनी मशीनों ने भी हुनरमंदों का काम छीन लिया है.

स्पेशल रिपोर्ट.

बरेली में हाथ से बनी साड़‍ियों पर जरदोजी होती थी. पहले जरी का काम बरेली से देश के बाहर तक सप्लाई किया जाता था. इसके चलते सभी लोग इस कारोबार से जुड़े थे. अमेरिका, दुबई, जापान, टर्की, गल्फ कंट्रीज तक बरेली की हाथों से बनी और सजी साड़ियों को भेजा जाता था. इसके सहारे बहुत से कारीगरों को रोजगार मिलता था. आज सब कुछ ठप सा हो गया है.

विदेशों में भी प्रसिद्ध है बरेली का जरी कारोबार.
विदेशों में भी प्रसिद्ध है बरेली का जरी कारोबार.

पुराने समय से कर रहे लोग तुलना
जरी का काम करने वाले शान मियां बताते हैं कि जरी का काम उनके बड़े-बुजुर्ग से समय से होता आ रहा है. हमेशा से ही यह कारोबार अच्छा चलता रहा है. लॉकडाउन ने सब कुछ चौपट कर दिया है. इस लॉकडाउन के बाद से जरी का काम ठप हो गया है. बाहर से ऑर्डर नहीं मिलता है तो धंधा मंदी के दौर से गुजर रहा है.

जरी कारोबारियों की स्थिति खराब.
जरी कारोबारियों की स्थिति खराब.

मशीनों के काम को लोग अधिक पसंद कर रहे
सैय्यद शाहिद अली बताते हैं कि पहले उनके पिता और अन्य सदस्य इस काम को करते थे. पिछले 12 साल से वह खुद जरी के काम से जुड़े हुए हैं. उनका कहना है कि इतने सालों में जरी के कारोबार में किसी तरह की समस्या नहीं हुई. लेकिन, कोरोना काल ने सब बिगाड़ दिया. लॉकडाउन के दौरान दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों से आने वाले ऑर्डर बंद हो गए. अभी तक उसकी भरपाई नहीं हुई है. अब कुछ लोग भी इस काम से मुंह मोड़ने लगे हैं. मशीनों के आने की वजह से सूरत के माल को लोग अधिक पसंद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि ऑर्डर के अभाव में बरेली के बाजार में कई शोरूम बंद तक हो चुके हैं.

ये हैं हालात
खुर्शीद सकलैनी ने बताया कि पहले वह एक से बढ़कर एक डिजाइन तैयार कराते थे, लेकिन जीएसटी के बाद उनका काम प्रभावित हो गया. अब वह दुकान की जगह फेरी लगाकर जरी काम कर रहे हैं. बुजुर्ग जाहिद खान कहना है कि पूर्व में वह भी जरी का काम करते थे, लेकिन इस काम को उन्होंने छोड़ दिया है. अब वह एक शॉपिंग मॉल में चौकीदारी करते हैं.

'धरातल पर नहीं आया बदलाव'
नाजिम कहते हैं कि सरकार की तरफ से भी मदद की बातें होती हैं, लेकिन बैंक से लेकर दफ्तरों के चक्कर लगाने पर भी आज तक कुछ नहीं मिला. कहा कि सरकार जरी कारीगरों के उत्थान के लिए बहुत कुछ कर रही है, लेकिन धरातल पर अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ है.

बरेली: सुरमे के साथ ही बरेली जनपद जरी जरदोजी की करीगरी के लिए भी मशहूर है. इसे जरी नगरी के नाम से भी जाना जाता है. यहां की जारी जरदोजी का हर कोई कायल है. फिलहाल, बरेली के जरी उद्योग के लिए समय सही नहीं चल रहा है. पहले नोटबंदी और फिर लॉकडाउन के चलते जरी के कारीगर इस काम को छोड़कर मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं. इसके अलावा चीन की बनी मशीनों ने भी हुनरमंदों का काम छीन लिया है.

स्पेशल रिपोर्ट.

बरेली में हाथ से बनी साड़‍ियों पर जरदोजी होती थी. पहले जरी का काम बरेली से देश के बाहर तक सप्लाई किया जाता था. इसके चलते सभी लोग इस कारोबार से जुड़े थे. अमेरिका, दुबई, जापान, टर्की, गल्फ कंट्रीज तक बरेली की हाथों से बनी और सजी साड़ियों को भेजा जाता था. इसके सहारे बहुत से कारीगरों को रोजगार मिलता था. आज सब कुछ ठप सा हो गया है.

विदेशों में भी प्रसिद्ध है बरेली का जरी कारोबार.
विदेशों में भी प्रसिद्ध है बरेली का जरी कारोबार.

पुराने समय से कर रहे लोग तुलना
जरी का काम करने वाले शान मियां बताते हैं कि जरी का काम उनके बड़े-बुजुर्ग से समय से होता आ रहा है. हमेशा से ही यह कारोबार अच्छा चलता रहा है. लॉकडाउन ने सब कुछ चौपट कर दिया है. इस लॉकडाउन के बाद से जरी का काम ठप हो गया है. बाहर से ऑर्डर नहीं मिलता है तो धंधा मंदी के दौर से गुजर रहा है.

जरी कारोबारियों की स्थिति खराब.
जरी कारोबारियों की स्थिति खराब.

मशीनों के काम को लोग अधिक पसंद कर रहे
सैय्यद शाहिद अली बताते हैं कि पहले उनके पिता और अन्य सदस्य इस काम को करते थे. पिछले 12 साल से वह खुद जरी के काम से जुड़े हुए हैं. उनका कहना है कि इतने सालों में जरी के कारोबार में किसी तरह की समस्या नहीं हुई. लेकिन, कोरोना काल ने सब बिगाड़ दिया. लॉकडाउन के दौरान दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों से आने वाले ऑर्डर बंद हो गए. अभी तक उसकी भरपाई नहीं हुई है. अब कुछ लोग भी इस काम से मुंह मोड़ने लगे हैं. मशीनों के आने की वजह से सूरत के माल को लोग अधिक पसंद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि ऑर्डर के अभाव में बरेली के बाजार में कई शोरूम बंद तक हो चुके हैं.

ये हैं हालात
खुर्शीद सकलैनी ने बताया कि पहले वह एक से बढ़कर एक डिजाइन तैयार कराते थे, लेकिन जीएसटी के बाद उनका काम प्रभावित हो गया. अब वह दुकान की जगह फेरी लगाकर जरी काम कर रहे हैं. बुजुर्ग जाहिद खान कहना है कि पूर्व में वह भी जरी का काम करते थे, लेकिन इस काम को उन्होंने छोड़ दिया है. अब वह एक शॉपिंग मॉल में चौकीदारी करते हैं.

'धरातल पर नहीं आया बदलाव'
नाजिम कहते हैं कि सरकार की तरफ से भी मदद की बातें होती हैं, लेकिन बैंक से लेकर दफ्तरों के चक्कर लगाने पर भी आज तक कुछ नहीं मिला. कहा कि सरकार जरी कारीगरों के उत्थान के लिए बहुत कुछ कर रही है, लेकिन धरातल पर अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ है.

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