बरेली: कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहा चीन महज नौ दिनों में एक हजार बेड का अस्पताल बना दिया और बरेली के खुर्रम गौटिया पर 300 बेड का अस्पताल कई साल से नहीं बन पाया. मंत्री से लेकर अधिकारी तक बस तारीख पर तारीख बता रहे हैं, होता कुछ नहीं. अब जनवरी के बाद अस्पताल शुरू होने की बात कही जा रही थी, लेकिन फरवरी माह का एक पखवाड़ा बीतने जा रहा, लेकिन अस्पताल अब तक स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर ही नहीं हो सका है.
रटा-रटाया दिया जाता है जवाब
दरअसल 300 बेड का अस्पताल शुरू करना स्वास्थ्य विभाग के लिए लोहे के चने चबाने जैसा हो गया है. जब भी किसी मंत्री लखनऊ से किसी बड़े अफसर का दौरा होता है तो 300 बेड का अस्पताल में चूना छिड़क दिया जाता है. सवाल का अधिकारी रटा-रटाया जवाब देते हैं. बस अगले महीने शुरू हो जाएगा, लेकिन वो महीना कब आएगा , कोई नहीं जानता. यहां तो साल बीत गया है.
वैसे ये अधिकारी भी जानते हैं कि इस अस्पताल को शुरू करना आसान नहीं है , वजह है डाक्टरों-स्टॉफ की कमी. एक तरफ स्वास्थ्य विभाग को खोजे डाक्टर नहीं मिल रहे हैं , वहीं दूसरी तरह जिले के 6 डाक्टरों के त्यागपत्र भी शासन से मंजूर हो गए हैं. ऐसे में भला अस्पताल शुरू करने के लिए डॉक्टर कहां से आए.
बड़ी समस्या पैरामेडिकल स्टॉफ की है. जिला अस्पताल समेत सीएचसी-पीएचसी पर ही स्टाफ की कमी है , तो भला 300 बेड अस्पताल के लिए स्टाफ कहां से आएगा. यहीं वजह है कि भले ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी 300 बेड अस्पताल जल्द शुरू करने का दावा कर रहे हों , उसका निर्माण कार्य जल्द पूरा कराने में उनकी दिलचस्पी नहीं है.
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