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बरेली: 30 साल बाद हिंदुस्तानी हुईं पाकिस्तान की शहला और राना मुख्तार

तीस साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार दो पाकिस्तानी महिलाओं को भारत की नागरिकता मिल ही गयी. प्रदेश के बरेली जिले में रहने वाली पाकिस्तानी महिलाओं राना मुख्तार और शहला की मुराद पूरी हो गयी.

30 साल बाद हिंदुस्तानी हुईं दोे पाक महिलाएं.
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Published : Jun 29, 2019, 4:32 PM IST

बरेली: जिले में दो महिलाओं को तीस साल के लंबे इंतजार के बाद भारत की नागरिकता मिल गई. भारत की नागरिकता मिलने के बाद राना मुख्तार और शहला ने खुश होकर बताया कि अब वह भी देश की सरकार चुनने में मदद करेंगी. जिले के एडीएम सिटी महेंद्र कुमार सिंह ने इनको बुलाकर भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र सौंपा.

30 साल बाद हिंदुस्तानी हुईं दोे पाक महिलाएं.

दुल्हन बन कर आई थीं दोनों
राना मुख्तार और शहला ने बताया कि वह बरेली दुल्हन बनकर आयी थीं. राना मुख्तार ने बताया कि 1947 में उनका परिवार कराची चला गया था. उनके पिता कराची के बड़े व्यापारी थे. 1987 में राना मुख्तार की शादी बरेली के काकर टोला के सैयद कमर अली से हुई थी.

दो साल पहले हुई थी पति की मौत
राना मुख्तार उस समय भावुक हो गयीं जब उनको अपने पति की याद आयी. दो साल पहले बीमारी से उनकी मौत हो गयी थी. राना के दो बच्चे हैं. लड़की गूगल में और लड़का सऊदी में नौकरी करता है.

बंटवारा के बाद बदली जिंदगी
वहीं दूसरी महिला शहला ने बताया कि बंटवारे के बाद उनका परिवार कराची चला गया था. 1990 में उनका निकाह छीपी टोला के रईस अहमद से हुआ था. निकाह करने के लिए रईस कराची गए थे. उसके बाद शहला बरेली आ गयी. शहला के चार बच्चे हैं.

तीस साल से कर रही थीं प्रयास
राना मुख्तार और शहला दोनों ने बताया कि भारत की नागरिकता पाने के लिए वह पिछले 30 साल से प्रयास कर रही थीं. दोनों ने बताया कि उन्होंने इसके लिए काफी भागदौड़ की, तब जाकर उनकी मेहनत सफल हुई.

डिजिटलिकरण से काम हुआ आसान
राना मुख्तार ने बताया कि पीएम मोदी के डिजिटलीकरण अभियान से उनको काफी मदद मिली. डिजिटल इंडिया से उनको नागरिकता पाने के लिए सारे डाक्यूमेंट्स अपलोड करने में कोई दिक्कत नहीं हुई.

एडीएम सिटी ने सौंपा प्रमाण पत्र
इस मसले पर एडीएम सिटी महेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सभी औपचारिकता पूरी करके प्रशासन ने दोनों पाकिस्तानी महिलाओं को भारत की नागरिकता सौंप दी गयी है.

बरेली: जिले में दो महिलाओं को तीस साल के लंबे इंतजार के बाद भारत की नागरिकता मिल गई. भारत की नागरिकता मिलने के बाद राना मुख्तार और शहला ने खुश होकर बताया कि अब वह भी देश की सरकार चुनने में मदद करेंगी. जिले के एडीएम सिटी महेंद्र कुमार सिंह ने इनको बुलाकर भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र सौंपा.

30 साल बाद हिंदुस्तानी हुईं दोे पाक महिलाएं.

दुल्हन बन कर आई थीं दोनों
राना मुख्तार और शहला ने बताया कि वह बरेली दुल्हन बनकर आयी थीं. राना मुख्तार ने बताया कि 1947 में उनका परिवार कराची चला गया था. उनके पिता कराची के बड़े व्यापारी थे. 1987 में राना मुख्तार की शादी बरेली के काकर टोला के सैयद कमर अली से हुई थी.

दो साल पहले हुई थी पति की मौत
राना मुख्तार उस समय भावुक हो गयीं जब उनको अपने पति की याद आयी. दो साल पहले बीमारी से उनकी मौत हो गयी थी. राना के दो बच्चे हैं. लड़की गूगल में और लड़का सऊदी में नौकरी करता है.

बंटवारा के बाद बदली जिंदगी
वहीं दूसरी महिला शहला ने बताया कि बंटवारे के बाद उनका परिवार कराची चला गया था. 1990 में उनका निकाह छीपी टोला के रईस अहमद से हुआ था. निकाह करने के लिए रईस कराची गए थे. उसके बाद शहला बरेली आ गयी. शहला के चार बच्चे हैं.

तीस साल से कर रही थीं प्रयास
राना मुख्तार और शहला दोनों ने बताया कि भारत की नागरिकता पाने के लिए वह पिछले 30 साल से प्रयास कर रही थीं. दोनों ने बताया कि उन्होंने इसके लिए काफी भागदौड़ की, तब जाकर उनकी मेहनत सफल हुई.

डिजिटलिकरण से काम हुआ आसान
राना मुख्तार ने बताया कि पीएम मोदी के डिजिटलीकरण अभियान से उनको काफी मदद मिली. डिजिटल इंडिया से उनको नागरिकता पाने के लिए सारे डाक्यूमेंट्स अपलोड करने में कोई दिक्कत नहीं हुई.

एडीएम सिटी ने सौंपा प्रमाण पत्र
इस मसले पर एडीएम सिटी महेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सभी औपचारिकता पूरी करके प्रशासन ने दोनों पाकिस्तानी महिलाओं को भारत की नागरिकता सौंप दी गयी है.

Intro:बरेली। तीस साल के लंबे इंतज़ार के बाद आखिरकार दो पाकिस्तानी महिलाओं को भारत की नागरिकता मिल ही गयी। प्रदेश के बरेली जिले में रहने वाली पाकिस्तानी महिलाओं राना मुख्तार और शहला की मुराद पूरी हो गयी।

जिले के एडीएम सिटी महेंद्र कुमार सिंह ने इनको बुलाकर भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र सौंपा।


Body:दुल्हन बन कर आईं थी

राना मुख्तार और शहला ने बताया कि वह बरेली दुल्हन बनकर आयी थीं। राना मुख्तार ने बताया कि वह 1947 में उनका परिवार कराची चला गया था। उन्होंने बताया कि उनके पिता कराची के बड़े व्यापारी थे। 1987 में राना मुख्तार की शादी बरेली के काकर टोला के सैयद कमर अली से हुई थी।

दो साल पहले हुई थी पति की मौत

राना मुख्तार उस समय भावुक हो गयीं जब उनको अपने पति की याद आयी। दो साल पहले बीमारी से उनकी मौत हो गयी थी। राना के दो बच्चे हैं। लड़की गूगल में और लड़का सऊदी में नौकरी करता है।

बंटवारा के बाद बदली जिंदगी

वहीं दूसरी महिला शहला ने बताया कि बंटवारे के बाद उनका परिवार कराची चला गया था। शहला ने बताया कि 1990 में उनका निकाह छीपी टोला के रईस अहमद से हुआ था। उन्होंने बताया कि निकाह करने के लिए रईस कराची गए थे। उसके बाद शहला बरेली आ गयी। शहला के चार बच्चे हैं।

तीस साल से कर रही थीं प्रयास

राना मुख्तार और शहला दोनों ने बताया कि भारत की नागरिकता पाने के लिए वह पिछले 30 साल से प्रयास कर रही थीं। दोनों ने बताया कि उन्होंने इसके लिए काफी भागदौड़ की। तब जाकर उनकी मेहनत सफल हुई।

डिजिटलिकरण से काम हुआ आसान

राना मुख्तार ने बताया कि पीएम मोदी की डिजिटलीकरण से उनको काफी मदद मिली। डिजिटल इंडिया से उनको नागरिकता पाने के लिए सारे डाक्यूमेंट्स अपलोड करने में कोई दिक्कत नहीं हुई।

एडीएम सिटी ने सौंपा प्रमाण पत्र

इस मसले पर एडीएम सिटी महेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सभी औपचारिकता पूरी करके प्रशासन ने दोनों पाकिस्तानी महिलाओं को भारत की नागरिकता सौंप दी गयी है।


Conclusion:भारत की नागरिकता मिलने के बाद राना मुख्तार और शहला ने खुश होकर बताया कि अब वह भी देश की सरकार चुनने में मदद करेंगी। उन्होंने कहा कि अब बहुत अच्छा लग रहा है।

अनुराग मिश्र

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पहली महिला राना मुख्तार और दूसरी शहला हैं।
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