बरेली: बरेली में 9 विधानसभा सीटें हैं और इन सीटों में से एक फरीदपुर विधानसभा सीट के बारे में कहा जाता है कि जिस पार्टी के प्रत्याशी को यहां से सफलता मिल गई, उसी की प्रदेश में सरकार बनती है. वहीं, 2007 के विधानसभा चुनाव से जिस पार्टी का विधायक यहां से चुना जाता है, उसी पार्टी की प्रदेश में सरकार बनती है. इतना ही नहीं जो यहां से एक बार विधयाक बनता है उसे अगली बार जनता रिपीट नहीं करती. हालांकि कुछ लोग इसे मात्र संजोग मांगते हैं तो कुछ लोगों का कहना है कि यह पिछले कई विधानसभा चुनावों से चला आ रहा है. बरेली की फरीदपुर विधानसभा सीट आरक्षित सीट है और इस सीट से भाजपा के प्रो. श्याम बिहारी लाल विधायक हैं. वहीं, पार्टी ने एक बार फिर से उन पर भरोसा व्यक्त करते हुए उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है. इधर, समाजवादी पार्टी ने विजय पाल सिंह को बतौर उम्मीदवार मैदान में उतारा है. बता दें कि विजय पाल सिंह इससे पहले 2007 में बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर यहां से चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन कुछ माह पहले ही वो बसपा छोड़ सपा में आए हैं और सपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है.
2007 के बाद दिखा अनोखा संयोग
बरेली की फरीदपुर विधानसभा सीट पर वैसे तो 2002 में समाजवादी पार्टी के डॉ. सियाराम सागर चुनाव जीतकर विधायक बने थे. लेकिन 2002 के विधानसभा चुनाव के बाद सूबे में बहुजन समाज पार्टी की कुछ दिनों तक सरकार रही थी और उसके बाद मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने सरकार बनाई थी. इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में फरीदपुर की विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी के विजय पाल सिंह चुनाव जीतकर विधायक बने तो सूबे में मायावती के नेतृत्व में बसपा की सरकार बनी. इतना ही नहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रो. श्याम बिहारी लाल ने कमल खिला कर विधायकी अपने नाम किया तो प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी.
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अब 2022 के विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा की टिकट पर मौजूदा विधायक प्रो. श्याम बिहारी लाल मैदान में हैं तो वहीं सपा ने विजय पाल को अपना प्रत्याशी बनाया है. इधर, कांग्रेस से समाजवादी पार्टी में रहे पूर्व विधायक स्वर्गीय डॉ. सियाराम सागर के बेटे विशाल सागर मैदान में हैं, जबकि बसपा से शालिनी सिंह चुनाव लड़ रही हैं. हालांकि स्थानीयों की मानें तो यहां मुख्य रूप से मुकाबला भाजपा के प्रो. श्याम बिहारी लाल और सपा के विजय पाल सिंह के बीच ही है.
वहीं, राजनीति के जानकार चंद्रसेन सागर कहते हैं कि वैसे तो 2002 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से डॉ. सियाराम सागर यहां से चुनाव जीते थे. लेकिन मायावती मुख्यमंत्री बनी थी. हालांकि, बाद में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी. इसके बाद यह सिलसिला शुरू हुआ था और 2007 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के विजयपाल सिंह और 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के डॉ. सियाराम सागर और 2017 में श्याम बिहारी लाल विधायक बने थे. जिसके बाद इन तीनों की सरकारें बनी थी. खैर, 2022 में क्या होगा और किस पार्टी को यहां सफलता मिलेगी यह तो यहां की जनता पर निर्भर है. लेकिन इस सीट की खास बात यह भी है कि यहां विधायक रिपीट नहीं होता.
भाजपा प्रत्याशी प्रो. श्याम बिहारी लाल कहते हैं कि इस बार भी वो भारी मतों से जीत दर्ज करने जा रहे हैं और प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी. वहीं, सपा उम्मीदवार विजय पाल सिंह भी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि क्षेत्र में जनता का पूरा सहयोग मिल रहा है और जनता बदलाव चाहती है. इसलिए इस बार समाजवादी पार्टी की जीत होगी और वो यहां से विधायक बनेंगे.
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