बरेलीः जिले के फरीदपुर के रहने वाले 60 वर्षीय प्रेमदास 1998 से रामपुरा बुजुर्ग गांव में बने मंदिर पर पुजारी के तौर पर पूजा पाठ किया करते थे. गांव के बाहर बने मंदिर में आसपास के भक्त लोग आकर पूजा पाठ किया करते हैं. पुजारी रामदास मंदिर परिसर में ही बने एक कमरे में रहते थे और उन्होंने विवाह नहीं किया था. मंदिर के पुजारी के रूप में इलाके में प्रेमदास की खासी पहचान थी और हर कोई उनको बाबा प्रेमदास के नाम से जानता था. पुजारी रामदास का शव मंदिर में बने कमरे के गुंडे से रस्सी के सहारे लटकता मिलने से हड़कंप मच गया. साथ ही आसपास के गांव के लोगों की भीड़ जमा हो गई. घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंच गई. पुलिस की माने तो रामदास ने रस्सी के सहारे लटक का आत्महत्या की है पर आत्महत्या का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है.
मंदिर के पुजारी ने क्यों की आत्महत्या
पुजारी प्रेमदास ने आखिरकार मंदिर परिसर में शाम के वक्त आत्महत्या क्यों की. इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं. न तो उनके परिवार में कोई था जिसको लेकर वह परेशान होते. न ही उनकी ऐसी छवि थी जिस कारण उनको आत्महत्या करना पड़ती. पुजारी की आत्महत्या पर हर कोई सवाल कर रहा है कि आखिर ऐसी क्या वजह थी, जिसके चलते पुजारी ने सुसाइड कर लिया. फिलहाल जो भी हो यह जांच का विषय है. वहीं पुलिस ने कहा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर ही कुछ कह पाना संभव है.
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