लखनऊ: निजी प्रैक्टिस के मामले में केजीएमयू के डॉक्टरों पर शिकंजा कसने लगा है. कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने विभागाध्यक्षों के साथ बैठक कर निजी प्रैक्टिस न करने की हिदायत दी. ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होगी. बीते दिनों शासन ने सभी मेडिकल संस्थानों को पत्र भेजकर प्राइवेट प्रैक्टिस न करने की चेतावनी दी थी. इसके बाद केजीएमयू प्रशासन ने आदेश पर अमल करने की दिशा में सख्ती शुरू कर दी है. इस संबंध में करीब 64 विभागों के अध्यक्षों की बैठक हुई.
विभागाध्यक्षों को दो टूक प्राइवेट प्रैक्टिस न करने की हिदायत दी गया. साथ ही प्राइवेट प्रैक्टिस न करने संबंधी शपथ पत्र देने के लिए कहा गया. इसमें क्लीनिकल व नॉन क्लीनिक विभाग के डॉक्टर शामिल हैं. यही नहीं विभाग के डॉक्टरों से शपथ पत्र लेने की जिम्मेदारी विभागाध्यक्षों को दी गयी. कुलपति ने कहा कि यदि किसी डॉक्टर के खिलाफ प्राइवेट प्रैक्टिस की शिकायत मिलती है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी.
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केजीएमयू के बहुत से डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोपों में घिरें हैं. एक विभागाध्यक्ष को प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप में चार्ज शीट सौंपी गई है. अधिकारी कार्रवाई के बजाए टालमटोल कर रहे हैं. जबकि अब भी कई डॉक्टर घर या अस्पतालों में प्रैक्टिस कर रहे हैं. हुसैनगंज, बीकेटी, त्रिवेणीनगर, विकासनगर, आईटी कॉलेज, आशियाना समेत दूसरे इलाकों में डॉक्टर क्लीनिक चला रहे हैं. फैजुल्लागंज के कई अस्पतालों में डॉक्टर मरीजों को देख रहे हैं.
पूर्व कुलपति डॉ. सरोज चूडामणि गोपाल ने प्राइवेट प्रैक्टिस करने वालों के खिलाफ सख्ती दिखाई थी. उस वक्त प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले 12 से अधिक डॉक्टरों की वीडियोग्राफी कराई थी. शिकंजा कसने के बाद कुछ डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ दी थी. कुछ ने नियमित नौकरी छोड़कर संविदा पर केजीएमयू में नौकरी ज्वाइन की थी.
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