बरेली: वैश्विक महामारी कोरोना ने न सिर्फ जिंदगियां लील लीं, बल्कि पिछले एक साल से भी अधिक समय से हर किसी को बेबश लाचार कर दिया है. इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव छोटे दुकानदारों पर पड़ा है. जोकि बहुत ही चिंताजनक है. दो वक्त की रोटी के लिए जुटे इन कारोबारियों में कोरोना की दूसरी लहर से होने वाले दुष्परिणाम से हर कोई चिंतित है. ईटीवी भारत ने ऐसे दुकानदारों से चर्चा कर उनकी मनोदशा को समझने की कोशिश की.
कोरोना को लेकर देश में स्थिति बेहद ही दुखद है. लोग खासे परेशान हैं. आम-आदमी को घर चलाना बड़ा दुष्वार हो गया है. कोरोना वायरस से यूं तो हर कोई परेशान है, लेकिन सबसे ज्यादा छोटे दुकानदार परेशान है. वर्तमान समय में खास तौर से छोटी दुकानें और व्यवसायिक प्रतिष्ठान चलाने वाले लोगों के सामने रोजी रोटी का सवाल खड़ा हो गया है. दुकानदारों का कहना है कि अगर वे घर बैठ जाएंगे तो हालात और भी खराब होंगे. घर चलाना मुश्किल हो जाएगा. कोरोना के खौफ से लोग मार्केट भी कम ही पहुंच रहे हैं. जिसके चलते पहले से धंधा मंदा हो गया है.
कोरोना का असर
मेहनत मजदूरी करने वाले लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ रहा है. दुकानदारों का कहना है कि वे किसी तरह अपने परिवार का पेट पाल रहे थे. पिछले 1 साल से उनके सामने आर्थिक मंदी जैसे हालात हो गए हैं. दुकानदारों का कहना है कि कोरोना ने उनकी अर्थव्यवस्था व रोजगार को चौपट कर रखा है.
शादी सीजन भी हो गया बेकार
दुकानदारों ने बताया कि अभी शादी सीजन चल रहा है, लेकिन कोरोना की वजह से बारातियों के सीमित समारोह में शामिल होने के नियम ने व्यापार पर गहरा असर डाला है. दर्जी हो, कपड़ा व्यवसायी हो, केटर्स वाले हो या फिर शादी समारोह में फुल सजाने वाले दुकानदार सभी का कहना है कि उन्होंंने इतना बुरा दौर कभी नहीं देखा था.
दुकानदारों का कहना है कि हालात ऐसे हो गए हैं कि समझ में नहीं आ रहा है कि रोजगार करें या जीवन बचाएं. अगर जीवन बचाने के चक्कर में घर बैठते हैं तो खाएंगे क्या. ऐसे भयानक स्थिति पर कुछ दुकानदार इसे सरकार की विफलता भी बता रहे हैं.
इसे भी पढे़ं- प्रतापगढ़: कोरोना ने खींची राखी दुकानदारों के माथे पर चिंता की लकीरें