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बरेली: तहसील से गायब हुई सात फाइलें, डीएम ने पेशकार को माना जिम्मेदार

उत्तर प्रदेश के बरेली की सदर तहसील में 14 से 21 अक्तूबर के बीच जमीन संबंधी विभिन्न मुकदमों की सात फाइलें गायब होने का मामला सामने आया था. तीन नवंबर को सूचना मिली कि छह फाइलें करगैना पुलिस चौकी के सामने एक कबाड़ी की दुकान पर मौजूद हैं. डीएम ने इस प्रकरण की अब गहनता से जांच कराने की बात कही है.

दर तहसील से गायब हुई सात फाइलें.
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Published : Nov 19, 2019, 5:16 PM IST

बरेली: सदर तहसील में भू माफियाओं का खेल लगातार जारी है. भूमाफिया जमीन की फाइलें गायब करने और जमीन के पेपर अपने मुताबिक करने के लिए हर प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं. अभी कुछ समय पहले ही 6 फाइलें गायब होने का मामला डीएम के सामने आया था, जिसमें तहसील सदर के न्यायालय से गायब हुई छह फाइलें करगैना में कथित रूप से एक कबाड़ी की दुकान पर मिली थी.

दर तहसील से गायब हुई सात फाइलें.

हालांकि प्रथम दृष्टया इस मामले में कस्टोडियन पेशकार को जिम्मेदार माना है. डीएम ने इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए स्पष्ट तौर पर कहा है कि इसमें शामिल सभी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी.

तहसील से गायब हुई फाइलें

  • तहसीलदार सदर न्यायालय से 14 से 21 अक्तूबर के बीच जमीन संबंधी विभिन्न मुकदमों की सात फाइलें गायब होने का मामला सामने आया था.
  • पेशकार के काफी ढूंढने के बावजूद तहसील के किसी भी कार्यालय में ये फाइलें नहीं मिलीं थी .
  • तहसीलदार सदर ने दो नवंबर को तत्कालीन डीएम वीरेंद्र कुमार सिंह को रिपोर्ट भेज दी था.
  • इस पर डीएम ने एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दे दिया था.

इसे भी पढ़ें- बरेली में एसीएमओ ने खुद को बताया CMO, झोलाछाप डॉक्टर से ठगे 55,000

तीन नवंबर को एक वकील के जरिये सूचना मिली कि छह फाइलें तहसील से करीब पांच किमी दूर करगैना पुलिस चौकी के सामने एक कबाड़ी की दुकान पर मौजूद हैं. यह सूचना भी उसी बाबू को मिली जिस पर फाइल रखने की जिम्मेदारी थी. स्टाफ कबाड़ी की दुकान पर पहुंचा तो वहां सिर्फ छह फाइलें मिलीं.

इस मामले में मौजूदा डीएम ने तहसील के अधिकारियों से पूछताछ की तो पता चला कि फाइलों को हिफाजत के साथ रखने की जिम्मेदारी पेशकार विक्रम सिंह की थी. ऐसे में प्रथम दृष्टया उनकी ही भूमिका संदिग्ध मिली है. इस प्रकरण की अब गहनता से जांच कराई जा रही है.

बरेली: सदर तहसील में भू माफियाओं का खेल लगातार जारी है. भूमाफिया जमीन की फाइलें गायब करने और जमीन के पेपर अपने मुताबिक करने के लिए हर प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं. अभी कुछ समय पहले ही 6 फाइलें गायब होने का मामला डीएम के सामने आया था, जिसमें तहसील सदर के न्यायालय से गायब हुई छह फाइलें करगैना में कथित रूप से एक कबाड़ी की दुकान पर मिली थी.

दर तहसील से गायब हुई सात फाइलें.

हालांकि प्रथम दृष्टया इस मामले में कस्टोडियन पेशकार को जिम्मेदार माना है. डीएम ने इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए स्पष्ट तौर पर कहा है कि इसमें शामिल सभी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी.

तहसील से गायब हुई फाइलें

  • तहसीलदार सदर न्यायालय से 14 से 21 अक्तूबर के बीच जमीन संबंधी विभिन्न मुकदमों की सात फाइलें गायब होने का मामला सामने आया था.
  • पेशकार के काफी ढूंढने के बावजूद तहसील के किसी भी कार्यालय में ये फाइलें नहीं मिलीं थी .
  • तहसीलदार सदर ने दो नवंबर को तत्कालीन डीएम वीरेंद्र कुमार सिंह को रिपोर्ट भेज दी था.
  • इस पर डीएम ने एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दे दिया था.

इसे भी पढ़ें- बरेली में एसीएमओ ने खुद को बताया CMO, झोलाछाप डॉक्टर से ठगे 55,000

तीन नवंबर को एक वकील के जरिये सूचना मिली कि छह फाइलें तहसील से करीब पांच किमी दूर करगैना पुलिस चौकी के सामने एक कबाड़ी की दुकान पर मौजूद हैं. यह सूचना भी उसी बाबू को मिली जिस पर फाइल रखने की जिम्मेदारी थी. स्टाफ कबाड़ी की दुकान पर पहुंचा तो वहां सिर्फ छह फाइलें मिलीं.

इस मामले में मौजूदा डीएम ने तहसील के अधिकारियों से पूछताछ की तो पता चला कि फाइलों को हिफाजत के साथ रखने की जिम्मेदारी पेशकार विक्रम सिंह की थी. ऐसे में प्रथम दृष्टया उनकी ही भूमिका संदिग्ध मिली है. इस प्रकरण की अब गहनता से जांच कराई जा रही है.

Intro:एंकर:- बरेली तहसील में भू माफियाओं का खेल लगातार जारी है भूमाफिया जमीन की फाइलें गायब करने और जमीन के पेपर अपने मुताबिक करने के लिए हर प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं अभी कुछ टाइम पहले ही 6 फाइलें गायब होने का मामला  डीएम के सामने आया था जिसमें तहसील सदर के न्यायालय से गायब हुई छह फाइलें करगैना में कथित रूप से एक कबाड़ी की दुकान पर मिलने और एक फाइल के अब भी गायब होने के मामले में डीएम ने एडीएम ( प्रशासन ) से इस प्रकरण की जांच शुरू करी थी । हालांकि प्रथम दृष्टया इस मामले में कस्टोडियन पेशकार को जिम्मेदार माना है । डीएम ने इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए स्पष्ट तौर पर कहा है कि इसमें शामिल सभी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी ।


Body:Vo1:- तहसीलदार सदर न्यायालय से 14 से 21 अक्तूबर के बीच जमीन संबंधी विभिन्न मुकदमों की सात फाइलें गायब होने का | मामला सामने आया था । पेशकार के काफी ढूंढने के बावजूद तहसील के किसी भी कार्यालय में ये फाइलें नहीं मिलीं तो तहसीलदार सदर ने दो नवंबर को तत्कालीन डीएम वीरेंद्र कुमार सिंह को रिपोर्ट भेज दी । इस पर डीएम ने एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दे दिया , लेकिन अगले ही दिन यानी तीन नवंबर को एक वकील के जरिये सूचना मिली कि छह फाइलें तहसील से करीब पांच किमी दूर करगैना पुलिस चौकी के सामने एक कबाड़ी की दुकान पर मौजूद हैं । यह सूचना भी उसी बाबू को मिली जिस पर फाइल रखने की जिम्मेदारी थी । स्टाफ कबाड़ी की दुकान पर पहुंचा तो वहां सिर्फ छह फाइलें मिलीं । 


बाइट:-अशोक गुप्ता ( तहसीलदार सदर)


Vo2:-हालांकि ग्रामसभा सफरी बनाम उस्मान अली रजा खान की पत्रावली अब भी गायब है । इस मामले में मौजूदा डीएम ने तहसील के अधिकारियों से पूछताछ की तो पता चला कि फाइलों को हिफाजत के साथ रखने की जिम्मेदारी पेशकार विक्रम सिंह की थी । ऐसे में प्रथम दृष्टया उनकी ही भूमिका संदिग्ध मिली है । हालांकि इस प्रकरण की अब गहनता से जांच कराई जा रही है

Vo3:-एक - एक कर जमीनों के घोटाले सामने आते गए लेकिन अफसरों की बेपरवाही का सिलसिला नहीं टूटा । गंभीर मामलों में भी दोषियों को बचा दिए जाने का नतीजा यह हुआ कि राजस्व विभाग का पूरा सिस्टम भूमाफिया की मुट्ठी में आ गया । अब अंदेशा जताया जा रहा है कि जिन अलमारियों में - राजस्व विभाग का महत्वपूर्ण रिकॉर्ड रखा जाता है , उनकी डुप्लीकेट चाबियां भी भूमाफिया के कब्जे में हैं । इसी आशंका से तहसीलदार ने सभी अलमारियों के ताले बदलने के निर्देश दिए हैं । इसके साथ न्यायालयों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे । तहसीलदार सदर के न्यायालय से गायब हुई - करोड़ों की जमीनों पर कब्जे की छह महत्वपूर्ण फाइलें एफआईआर दर्ज होने की नौबत आने के बाद एक कबाड़ी की दुकान से मिलने के  बाद अफसरों को यह मामला संभालना मुश्किल पड़ रहा है । ऊपर जवाब देने के लिए इस सवाल का उत्तर तलाशा जा रहा है कि - न्यायालय से ये रिकार्ड कैसे गायब हुए । यह आशंका भी जताई जा रही है कि तहसील की जिन अलमारियों में यह महत्वपूर्ण रिकार्ड रखा हुआ है , तहसील स्टाफ के जरिये उनकी डुप्लीकेट चाबियां भूमाफिया के कब्जे में हो सकती हैं । ऐसे में न्यायालय के आदेश और दूसरे महत्वपूर्ण रिकॉर्ड में बड़े पैमाने पर हेराफेरी किए जाने की आशंका पैदा हो गई है । बता दें कि इसी साल जनवरी में तत्कालीन एडीएम सिटी रहे ओपी वर्मा की जांच में नवाबगंज के गांव डंडिया नजमुल निशां में सौ बीघा जमीन के रिकार्ड को अभिलेखागार से ही निकालकर उसमें जालसाजी किए जाने का खुलासा हुआ था ।




Conclusion:Fvo:- हद तो तब हो गयी जब सरकारी स्टाफ ने ही इस मामले में उप संचालक चकबंदी न्यायालय के आदेश को व्हाइटनर लगाकर बदल दिया था । ऐसे कई पुराने मामले सामने होने की वजह से अफसरों को आशंका है कि तहसील के रिकाडों में हेराफेरी करने के लिए स्टाफ ने डुप्लीकेट चाबियां बनवाकर भूमाफिया तक तो नहीं पहुंचा दी हैं । तहसीलदार ने पेशकार को सभी ताले बदलने के निर्देश दिए है । बताया जा रहा है कि न्यायालय कक्ष में निगरानी के लिए  वहां सीसीटीवी कैमरा लगाने का इंतजाम भी को जल्द होगा ।
रंजीत शर्मा
ई टी वी भारत
9536666643

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