बरेली : पूरे देश में कोरोना काल के दौरान सभी स्कूल बंद रहे. तमाम प्रयासों के बाद भी बच्चे शिक्षा से वंचित होने लगे. ऐसे में प्राइमरी स्कूल डभौरा गंगापुर की प्रधानाध्यापिका दीपमाला ने अभिनव प्रयोग किया. उन्होंने छात्र-छात्राओं की माताओं को पहले घर जाकर, फिर स्कूल बुलाकर साक्षर बनाने की मुहिम शुरू की. इसका नतीजा यह रहा कि कुछ ही महीने में उन्होंने 51 महिलाओं को अपना नाम लिखना और हस्ताक्षर करना सिखा दिया.
दरअसल कोरोना काल में छात्रों को स्कूल आने की मनाही थी. ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से ही छात्रों को शिक्षा दी जा रही थी. लेकिन ऑनलाइन कक्षाओं से समय निकालकर प्रधानाध्यापिका दीपमाला पांडे ने पहले गांव का सर्वे किया. इसमें उन्होंने पाया कि 18 वर्ष से 60 वर्ष तक की लगभग 80 फीसदी महिलाएं निरक्षर हैं. यह महिलाएं शिक्षक-अभिभावक या स्कूल प्रबंध समिति की बैठक हो, अंगूठा ही लगाती थीं.
इसके बाद शिक्षिका दीपमाला ने इन्हें हस्ताक्षर सिखाने का अभियान शुरू किया. शुरू में महिलाएं इस अभियान से जुड़ने में संकोच कर रही थीं, लेकिन दीपमाला ने उनका मनोबल बढ़ाया. अब यह महिलाएं अपने नाम के साथ-साथ हस्ताक्षर भी कर लेती हैं. साथ ही साथ वर्णमाला के शुरुआती शब्द भी पढ़ लेती हैं. इस मुहिम से जुड़कर अभी तक 51 महिलाएं अपने हस्ताक्षर करना सीख चुकी हैं.
शिक्षा ग्रहण करके खुश हैं महिलाएं
वहीं इस मुहिम से जुड़ कर गांव की महिलाएं भी काफी खुश हैं. गांव की महिलाओं का कहना है कि जब हम यहां पर आते थे और मीटिंग में शामिल होते थे तो हम हस्ताक्षर की जगह अंगूठा लगाते थे, जिससे हमें काफी शर्म आती थी, लेकिन मैडम के प्रयास से अब हम हस्ताक्षर करना सीख गए हैं. अब बैंक में भी हम हस्ताक्षर करते हैं. साथ ही हमारे बच्चे भी हमें सिखाते हैं.