बरेली: शिक्षा का महत्व सिर्फ शिक्षक को ही पता होता है. हर टीचर यही चाहता है कि वह सभी छात्रों का मार्गदर्शन करे, इसी को अपने जीवन का उद्देश्य बनाकर जिले के एक रिटायर्ड टीचर शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. रिटायर्ड शिक्षक अनवर खान प्राइमरी स्कूल जसौली में शिक्षण कार्य करते हैं, वह भी एकदम नि:शुल्क, इसके लिए उन्होंने जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी से इजाजत भी ले रखी है.
बेहद गरीबी में गुजरा बचपन
अनवर खान का बचपन बेहद गरीबी में गुजरा है. उनके घर में बिजली नहीं थी, लेकिन पढ़ाई का शौक जो न करवाए वही थोड़ा है. उन्होंने स्ट्रीट लाइट की रोशनी में पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने छोटी सी नौकरी भी की. साल 1974 में उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग में बतौर शिक्षक जॉइन किया.
शिक्षा का समझा महत्व
अनवर खान टीचर हैं और शिक्षा का महत्व बखूबी जानते हैं. उन्होंने रिटायर होने के बाद भी नौकरी करने की सोची. इसके लिए उन्होंने जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी से इजाजत भी ले ली है. वह आज भी निशुल्क जसौली के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को पढ़ाते हैं.
मिल चुका है राष्ट्रपति पुरस्कार
अनवर खान 16 अगस्त 1974 को टीचर बने थे. करीब 43 साल बाद 31 मार्च 2017 को रिटायर हुए. अपनी नौकरी में उन्होंने बहुत मेहनत की. उस वजह से उन्हें 1996 में राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है. इनकी पत्नी भी इस कार्य में उनका सहयोग करती हैं.
जीना नहीं चाहते थे रिटायर्ड लाइफ
अनवर खान कुछ अलग करना चाहते थे. इस वजह से वह रिटायर्ड लाइफ जीना नहीं चाहते थे. वह चाहते थे कि बबच्चों का भविष्य बने और वो अपने पैरों पर खड़े हो सकें, इसलिये उन्होंने दोबारा नौकरी जॉइन करने की ठानी. उन्होंने जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी से पढ़ाने की अनुमति मांगी. इजाजत मिलने के बाद वह लगातार पढ़ाने का काम कर रहे हैं.
लगातार आगे बढ़ रहे बच्चे
प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य हरीश बाबू शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि अनवर खान बहुत ही सम्मानित व्यक्ति हैं. उन्होंने बताया कि जब से इन्होंने पढ़ाने का कार्य शुरू किया है, तब से हमारे स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ रही है. इस समय प्राथमिक स्कूल में करीब 339 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त अनवर खान ने कई गीत भी लिखे हैं.