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कोरोना के बाद अब बर्ड फ्लू की मार, संकट में पोल्ट्री व्यवसाय

वैश्विक महामारी कोरोना के बाद यूपी में बर्ड फ्लू की दस्‍तक से हड़कंप मचा हुआ है. कोरोना काल में संकट के दौर से गुजरे पोल्‍ट्री उद्योग पर एक बार फिर मंदी की मार का संकट गहराने लगा है. बर्ड फ्लू की देश में दस्‍तक के बीच अब लोगों को इसका डर सताने लगा है. इसका सीधा असर पोल्‍ट्री उद्योग से जुड़े व्‍यापार पर पड़ रहा है.

संकट में पोल्ट्री व्यवसाय
संकट में पोल्ट्री व्यवसाय
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Published : Feb 5, 2021, 7:27 PM IST

बरेली: कोरोना के कहर ने जहां आम जनजीवन को प्रभावित किया वहीं बर्ड फ्लू दस्तक ने पॉल्ट्री से सम्बंधित व्यवसाय को प्रभावित किया. कोरोना के बाद बर्ड फ्लू से पॉल्ट्री फार्म से जुड़े व्यवसाय पर काफी असर पड़ा है. बरेली जिले में पिछले साल कोरोना काल से पहले एक हजार से भी ज्यादा पोल्ट्री फार्म संचालित थे, जिनसे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तौर पर हजारों लोगों की आजीविका टिकी थी, लेकिन कोरोना के देश में दस्तक देते ही और लॉक डाउन के चलते पॉल्ट्री पर इसका खासा असर देखा गया.

कोरोना काल के बाद अब बर्ड फ्लू की मार
पहले लॉकडाउन और अब बर्ड फ्लू का खतरालॉकडाउन में बाजार बंद रहे, सिर्फ बेहद जरूरी उपयोग के प्रतिष्ठानों को खोलने की अनुमति थी. पॉल्ट्री उत्पादों पर भी तब रोक लगी थी. इसका सीधा असर पॉल्ट्री फार्म पर पड़ा. कोरोना काल में संकट के दौर से गुजरे पोल्‍ट्री उद्योग पर एक बार फिर मंदी की मार का संकट गहराने लगा है.
पोल्‍ट्री उद्योग पर मंदी की मार
पोल्‍ट्री उद्योग पर मंदी की मार
आर्थिक तौर पर पहुंच रहा नुकसानपोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना की वजह से काफी लोग अपने फार्म बंद कर चुके हैं, क्योंकि इससे काफी नुकसान हो रहा है. पोल्ट्री फार्म चलाकर रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे सुखपाल ने बताया कि उन्हें लॉकडाउन में एक लाख रुपये का नुकसान हुआ है और बर्ड फ्लू ने तो जैसे उन्हें तोड़कर ही रख दिया है. पॉल्ट्री फार्म चलाने वालों की मानें तो बर्ड फ्लू की देश में दस्तक के बाद से उनकी हालत और भी खराब है. ओने-पौने दाम में मिट्टी के भाव उन्हें फार्म को खाली करना पड़ा, जबकि जो खर्चे हैं उनमें कोई कटौती नहीं आई है.
संकट के दौर गुजर रहा पोल्‍ट्री व्यवसाय
संकट के दौर गुजर रहा पोल्‍ट्री व्यवसाय


घट गए ग्राहक, रेट भी कम

पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े ताहिर हुसैन कहते हैं कि "उन्हें खुद समझ नहीं आ रहा कि वो करें तो क्या करें, क्योंकि कोरोना से उभर भी नहीं पाए ऐसे में बर्डफ्लू के खतरे की वजह से ग्राहक काफी घट गए हैं. अब रेट भी काफी कम हो गए हैं, लेकिन लोग रिस्क लेना नहीं चाहते. यही वजह है कि उनकी दुकानदारी पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा है." बरेली में काफी संख्या में रेस्टोरेंट्स है, जहां चिकन परोसा जाता है, लेकिन बर्ड फ्लू के डर ने यहां भी संन्नाटा ला दिया है. बरेली में बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं है, इसके बावजूद यहां चिकन और अंडे की मांग में गिरावट देखने को मिल रही है.

बर्ड फ्लू का रेस्टोरेंट्स पर भी पड़ा असर
बर्ड फ्लू का रेस्टोरेंट्स पर भी पड़ा असर
व्यवसाय में 75 प्रतिशत की गिरावट

रेस्टोरेंट संचालक मोहम्मद कासिम ने बताया कि उनके काम पर भी इसका करीब 75% तक फर्क पड़ा है, फिलहाल जहां पूरे दिन उनके रेस्टोरेंट में चहल-पहल रहा करती थी वहीं अब चिकन के शौकीन अब पहले की तरह दिखाई नहीं देते. पोल्ट्री फर्मों से लेकर छोटे दुकानदार हों या फिर बड़े ठेकेदार या नॉनवेज रेस्टोरेंट् संचालक हर कोई इससे प्रभावित है.

बरेली: कोरोना के कहर ने जहां आम जनजीवन को प्रभावित किया वहीं बर्ड फ्लू दस्तक ने पॉल्ट्री से सम्बंधित व्यवसाय को प्रभावित किया. कोरोना के बाद बर्ड फ्लू से पॉल्ट्री फार्म से जुड़े व्यवसाय पर काफी असर पड़ा है. बरेली जिले में पिछले साल कोरोना काल से पहले एक हजार से भी ज्यादा पोल्ट्री फार्म संचालित थे, जिनसे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तौर पर हजारों लोगों की आजीविका टिकी थी, लेकिन कोरोना के देश में दस्तक देते ही और लॉक डाउन के चलते पॉल्ट्री पर इसका खासा असर देखा गया.

कोरोना काल के बाद अब बर्ड फ्लू की मार
पहले लॉकडाउन और अब बर्ड फ्लू का खतरालॉकडाउन में बाजार बंद रहे, सिर्फ बेहद जरूरी उपयोग के प्रतिष्ठानों को खोलने की अनुमति थी. पॉल्ट्री उत्पादों पर भी तब रोक लगी थी. इसका सीधा असर पॉल्ट्री फार्म पर पड़ा. कोरोना काल में संकट के दौर से गुजरे पोल्‍ट्री उद्योग पर एक बार फिर मंदी की मार का संकट गहराने लगा है.
पोल्‍ट्री उद्योग पर मंदी की मार
पोल्‍ट्री उद्योग पर मंदी की मार
आर्थिक तौर पर पहुंच रहा नुकसानपोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना की वजह से काफी लोग अपने फार्म बंद कर चुके हैं, क्योंकि इससे काफी नुकसान हो रहा है. पोल्ट्री फार्म चलाकर रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे सुखपाल ने बताया कि उन्हें लॉकडाउन में एक लाख रुपये का नुकसान हुआ है और बर्ड फ्लू ने तो जैसे उन्हें तोड़कर ही रख दिया है. पॉल्ट्री फार्म चलाने वालों की मानें तो बर्ड फ्लू की देश में दस्तक के बाद से उनकी हालत और भी खराब है. ओने-पौने दाम में मिट्टी के भाव उन्हें फार्म को खाली करना पड़ा, जबकि जो खर्चे हैं उनमें कोई कटौती नहीं आई है.
संकट के दौर गुजर रहा पोल्‍ट्री व्यवसाय
संकट के दौर गुजर रहा पोल्‍ट्री व्यवसाय


घट गए ग्राहक, रेट भी कम

पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े ताहिर हुसैन कहते हैं कि "उन्हें खुद समझ नहीं आ रहा कि वो करें तो क्या करें, क्योंकि कोरोना से उभर भी नहीं पाए ऐसे में बर्डफ्लू के खतरे की वजह से ग्राहक काफी घट गए हैं. अब रेट भी काफी कम हो गए हैं, लेकिन लोग रिस्क लेना नहीं चाहते. यही वजह है कि उनकी दुकानदारी पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा है." बरेली में काफी संख्या में रेस्टोरेंट्स है, जहां चिकन परोसा जाता है, लेकिन बर्ड फ्लू के डर ने यहां भी संन्नाटा ला दिया है. बरेली में बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं है, इसके बावजूद यहां चिकन और अंडे की मांग में गिरावट देखने को मिल रही है.

बर्ड फ्लू का रेस्टोरेंट्स पर भी पड़ा असर
बर्ड फ्लू का रेस्टोरेंट्स पर भी पड़ा असर
व्यवसाय में 75 प्रतिशत की गिरावट

रेस्टोरेंट संचालक मोहम्मद कासिम ने बताया कि उनके काम पर भी इसका करीब 75% तक फर्क पड़ा है, फिलहाल जहां पूरे दिन उनके रेस्टोरेंट में चहल-पहल रहा करती थी वहीं अब चिकन के शौकीन अब पहले की तरह दिखाई नहीं देते. पोल्ट्री फर्मों से लेकर छोटे दुकानदार हों या फिर बड़े ठेकेदार या नॉनवेज रेस्टोरेंट् संचालक हर कोई इससे प्रभावित है.

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