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...कैसे मिटेगी इन स्वेटरों से ठंड, पूछ रहे नौनिहाल - उत्तर प्रदेश समाचार

बरेली के परिषदीय विद्यालयों में मानक के अनुरूप बच्चों को स्वेटर बांटे गए हैं. स्वेटर मिलने के बाद भी बच्चों को ठंड में सिकुड़ना पड़ रहा है. इस रिपोर्ट में देखिये क्या है इसकी वजह...

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स्कूलों में मानक के अनुरूप बच्चों को स्वेटर बांट गए.
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Published : Dec 8, 2019, 2:02 PM IST

बरेली: हर साल परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सर्दियों में स्वेटर वितरित किए जाते हैं, जिससे स्वेटर पहनकर बच्चे स्कूल आ सकें. ठंड को देखते हुए प्रमुख सचिव के सख्त तेवर के बाद बेसिक स्कूलों के बच्चों को स्वेटर मिलने तो शुरू हो गए, लेकिन फर्म ने सस्ते स्वेटर खरीदकर स्कूलों में बंटवा दिया.

परिषदीय विद्यालयों में स्वेटर घोटाला.

स्कूलों में बांटा गया निम्न गुणवत्ता का स्वेटर

  • ठंड का मौसम आते ही स्कूलों में स्वेटर वितरण का कार्य शुरू हो जाता है.
  • पिछले साल सरकार ने स्कूलों में शिक्षकों के माध्यम से स्वेटर वितरण कराया था.
  • इस बार हर जिले में फर्म का ऑनलाइन चयन किया गया था.
  • कानपुर की फर्म शुभम हैंडलूम ने पहले सिर्फ 58764 स्वेटर ही भेजे हैं.
  • जिले में 337135 छात्र - छात्राओं के लिए स्वेटर बांटे जाने हैं
  • बरेली में अभी आधे से ज्यादा छात्रों को स्वेटर नहीं मिल पाया है.
  • इस बार मिले स्वेटरों की गुणवत्ता बहुत ही ज्यादा खराब है.
  • कोटा पूरा करने के लिए पांच - पांच कंपनियों से स्वेटर खरीदे गए हैं.
  • 21 नवंबर को प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने फर्म को ब्लैकलिस्टेड करने का आदेश दिया था.
  • उसके बाद नगर क्षेत्र के स्कूलों में भी स्वेटर बांटे गए.

बरेली: हर साल परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सर्दियों में स्वेटर वितरित किए जाते हैं, जिससे स्वेटर पहनकर बच्चे स्कूल आ सकें. ठंड को देखते हुए प्रमुख सचिव के सख्त तेवर के बाद बेसिक स्कूलों के बच्चों को स्वेटर मिलने तो शुरू हो गए, लेकिन फर्म ने सस्ते स्वेटर खरीदकर स्कूलों में बंटवा दिया.

परिषदीय विद्यालयों में स्वेटर घोटाला.

स्कूलों में बांटा गया निम्न गुणवत्ता का स्वेटर

  • ठंड का मौसम आते ही स्कूलों में स्वेटर वितरण का कार्य शुरू हो जाता है.
  • पिछले साल सरकार ने स्कूलों में शिक्षकों के माध्यम से स्वेटर वितरण कराया था.
  • इस बार हर जिले में फर्म का ऑनलाइन चयन किया गया था.
  • कानपुर की फर्म शुभम हैंडलूम ने पहले सिर्फ 58764 स्वेटर ही भेजे हैं.
  • जिले में 337135 छात्र - छात्राओं के लिए स्वेटर बांटे जाने हैं
  • बरेली में अभी आधे से ज्यादा छात्रों को स्वेटर नहीं मिल पाया है.
  • इस बार मिले स्वेटरों की गुणवत्ता बहुत ही ज्यादा खराब है.
  • कोटा पूरा करने के लिए पांच - पांच कंपनियों से स्वेटर खरीदे गए हैं.
  • 21 नवंबर को प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने फर्म को ब्लैकलिस्टेड करने का आदेश दिया था.
  • उसके बाद नगर क्षेत्र के स्कूलों में भी स्वेटर बांटे गए.
Intro:एंकर:-हर साल परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सर्दियों में स्वेटर वितरित किए जाते हैं, जिससे स्वेटर पहनकर बच्चे स्कूल आ सकें. बच्चों को ठंड से निजात मिल सकेगी. इन दिनों ठंड पड़ रही है इस ठंड को देखते हुए प्रमुख सचिव के सख्त तेवर के बाद बेसिक स्कूलों के बच्चों को स्वेटर मिलने तो शुरू हो गए लेकिन फर्म ने सस्ते स्वेटर खरीदकर अपनी जेब गर्म कर ली । बच्चे ठंडे के ठंडे ही रह गए घटिया स्वेटर मिलने से बच्चे ठिठुरते हुए स्कूल आने को मजबूर हो रहे हैं. ऐसे में बच्चे स्कूल में ठीक ढंग से पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे हैं. बच्चों का पूरा ध्यान ठंड में लगा रहता है।


Body:Vo1:-प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने के बाद स्वेटर वितरण शुरू हुआ है । पिछले साल जब सरकार स्वेटर के लिए फर्म नहीं मिली तो शिक्षकों के माध्यम से स्वेटर बंटवाए गए थे । इस बार हर जिले में फर्म का ऑनलाइन चयन किया गया । कानपुर की फर्म को बरेली में स्वेटर भेजने का काम मिला । अभी आधे छात्रों के लिए भी स्वेटर नहीं पहुंचे हैं । जो आए हैं उनका साइज शिक्षकों के लिए मुसीबत बना हुआ है । स्वेटर की गुणवत्ता इतनी खराब है कि इनसे ठंड बचने की उम्मीद कम ही है । आपूर्ति पूरी करने के चक्कर में मैरून रंग के साथ लाल स्वेटर भी बांटे जा रहे हैं । कोटा पूरा करने के लिए पांच - पांच कंपनियों से स्वेटर खरीदे गए हैं । जिले में 337135 छात्र - छात्राओं के लिए स्वेटर बांटे जाने हैं । कानपुर की फर्म शुभम हैंडलूम ने पहले सिर्फ 58764 स्वेटर ही भेजे । 21 नवंबर को बरेली आए प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने फर्म को ब्लैकलिस्टेड करने का आदेश दिया । उसके बाद से नगर क्षेत्र के स्कूलों में भी स्वेटर बांटे गए । 


बाइट:-सतेन्द्र सिंह सीडीओ

Vo2:-स्वेटर की गुणवत्ता देखकर शिक्षकों का कहना है कि ये स्वेटर एक सीजन भी नहीं चल पाएंगे । गुणवत्ता इतनी खराब है कि ठंड से बचना मुश्किल है । बेसिक स्कूलों में स्वेटर का मैरून रंग तय है । जबकि , लाल रंग के भी भेज दिए । शुभम हैंडलूम ने बरेली सहित 16 जिलों में स्वेटर वितरण का काम लिया था । यह दूसरी बात है कि किसी भी जिले में वो पूरी सप्लाई नहीं कर पाई । ब्लैकलिस्टेड होने का खौफ दिखा तो अलग - अलग कंपनियों से स्वेटर लेकर सप्लाई की गई । एक ही स्कूल में पांच - पांच ब्रांड के स्वेटर भेजे । 


बाइट:-कुसुम लता प्रिंसिपल

बाईट:-स्नेह छात्रा

बाईट:- ज़ाहिद छात्र

बाईट:-अजय छात्र


Vo3:-बेसिक स्कूलों के शिक्षक इन दिनों पढाई - लिखाई भलकर स्वेटरों के वितरण में उलझे हुए हैं । इनकी खरीद में ऐसा खेल हुआ कि शिक्षक माथा पीटकर रह जा रहे हैं । अलग - अलग फर्मों के एक ही नंबर के स्वेटरों का साइज अलग - अलग हैं । नंबर देखकर शिक्षक जब एक उम्र के छात्रों को स्वेटर दे रहे हैं तो किसी के छोटा तो किसी के स्वेटर बड़ा निकलता है ।  बरेली के स्कूलों में पांच - पांच ब्रांड के स्वेटर पहुंचे हैं । इनके साइज भी अलग - अलग हैं । शिक्षक बीआरसी से जाकर स्वेटर लेकर आ रहे हैं । उसके बाद छात्र संख्या और साइज के आधार पर बांट रहे हैं। 




Conclusion:Fvo:-जब सर्दी का मौसम चालू हो जाता है, तो बच्चों को स्वेटर दिए जाने की याद आती है. टेंडर प्रक्रिया भी काफी विलंब से शुरू की जाती है. अगर टेंडर प्रक्रिया समय से शुरू कर दी जाए, तो नौनिहालों को समय से स्वेटर वितरित हो जाए. वर्तमान समय में सर्दी का मौसम चल रहा है. तराई के जनपद में ठंड पड़ रही है.ऐसे मौसम में घटिया स्वेटर पहनकर बच्चे स्कूल पढ़ने के लिए जा रहे हैं, जो किसी भी दशा में उचित नहीं है. 


रंजीत शर्मा।

9536666643

ईटीवी भारत, बरेली।

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