बरेलीः अदृश्य दुश्मन कोरोना ने आम आदमी के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा कर दिया है. हालात जहां पिछले साल से ही लोगों के खराब थे, वहीं दूसरी लहर ने तो कॉमन मैन के सामने और भी बुरे दौर को लाकर खड़ा कर दिया है. वैश्विक महामारी कोरोना में दो वक्त की रोटी के जुगाड़ के लिए लोगों ने वो सब किया, जिससे उनके घर का चूल्हा जल सके. इस दौरान काफी लोगों ने तो पेट पालने के लिए अपना व्यसाय ही बदल दिया. ETV BHARAT ने ऐसे हो लोगों से उनके सामने आ रही दिक्कतों को जानने का प्रयास किया है.
ETV BHARAT से लोगों ने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से लगाए लॉकडाउन में पेट भरने के लिए संकट था. क्योंकि लॉक डाउन नियमों की वजह से कामकाज बन्द हो गए सिर्फ आवश्यक उपयोग की दुकानें ही खुल रही थीं. ऐसे वक्त में लोगों को परिवार का पेट भरने को कोई काम न होने पर ऐसे काम धंधे शुरू करने पड़े जिससे दो वक्त की रोटी का इंतजाम किया जा सके. कुछ लोग ऐसे भी थे, जो पहले अच्छा खासा व्यापार करते थे, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर की वजह से मास्क, सब्जियां और फल के ठेले लगाने पड़े.
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मास्क और सब्जी बेचकर कर रहे दो वक्त की रोटी का इंतजाम
रेडीमेट कपड़े बेचने वाले अमित सक्सेना ने बताया कि हालत काफी खराब है. परिवार का गुजारा नहीं हो पा रहा है. जब अपना धंधा बन्द करके घर में बैठे-बैठे भूखों मरने की नौबत आई तो पेट भरने के लिए मास्क बेच रहे हैं. वहीं, साइकिल लेकर चौक चौराहों पर मास्क बेचने वाले मोहसीन ने बताया कि पहले वह एक दुकान पर नौकरी करता था. लॉकडाउन में दुकान बंद हुई तो रोटी के लाले पड़ गए. ऐसे में अब लेट तो भरना है ऐसे में अब मास्क बेचकर रोटी के जुगाड़ में लगा है. इसी तरह अफरोज की कॉस्मेटिक की शॉप थी लेकिन रोटी के जुगाड़ में अब मास्क बेचने को मजबूर है. वहीं, सिलाई कारीगर ने बताया कि कोरोना ने उसका काम ठप करा दिया. मुस्ताक कहते हैं उनका बड़ा सम्मान भी समाज में है, लेकिन उस सम्मान से पेट नहीं भरता. पेट की आग बुझाने को कुछ तो करना पड़ेगा, लिहाजा सब्जी का ठेला लगाया है. सभी ने बताया कि हर हाल में परिवार को रोटी मिलती रहे, यही प्राथमिकता है.