बरेली : राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि सरकार के द्वारा जो कृषि कानून लाए गए हैं, उनसे किसानों पर दूरगामी दुष्प्रभाव पड़ेगा. इस मौके पर उन्होंने कृषि कानूनों के सरकार के द्वारा वापस नहीं लिए जाने पर कहा कि सरकार किसानों की नहीं सुनेगी तो कुर्सी से बेदखल होगी. लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों के विरोध में किसान महापंचायत को सम्बोधित करने जाने से पहले जयंत चौधरी ने ईटीवी भारत से एक्सक्लुसिव बातचीत की.
जयंत चौधरी गुरुवार को विशेष विमान से बरेली पहुंचे. इस मौके पर युवा नेता का पार्टी कार्यकर्ताओं ने त्रिशूल हवाईअड्डे पर गर्मजोशी से स्वागत किया.
'कृषि कानूनों के हैं दूरगामी दुष्प्रभाव'
युवा नेता ने कहा कि जो तीन कृषि कानून सरकार के द्वारा बनाए गए हैं, ये किसी भी तरह से किसान के हित में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इन कानूनों का दूरगामी परिणाम किसानों पर दुष्प्रभाव डालेगा.
अमीर वर्ग को लाभ पहुंचा रही सरकार
जयंत चौधरी ने सरकार को घेरते हुए कहा कि देश का जो एक प्रतिशत सबसे अमीर वर्ग है, सिर्फ उसको सरकार लाभ पहुंचाना चाहती है. कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए जयंत ने कहा कि किसान से लेकर मंडी तक और किसान से लेकर ग्राहक तक जो भी तमाम कड़ियां हैं, उन सभी को इन कानूनों से नुकसान होगा.
सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी
जयंत ने कहा कि दिल्ली में जो धरना चल रहा है, उसमें सब किसान तो नहीं पहुंच सकते, लेकिन किसानों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. उन्होंने कहा कि सरकार के अहंकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी है. बड़ी-बड़ी पंचायतें हो रही हैं. लोग कानून वापस चाहते हैं. खास बात ये है कि लोग इन पंचायतों में अपने-अपने संसाधनों से आ रहे हैं. किसानों के जीविका के मुद्दों को तरजीह मिलेगी तो ही सब ठीक रहेगा.
रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि अब आंदोलन का स्वरूप बदल गया है. जयंत ने कहा कि सरकार कह रही थी कि ये जो आंदोलन है, सीमित लोगों का आंदोलन है. ये जाटों का आंदोलन है या ये सिर्फ पंजाब का आंदोलन है. अब आंदोलन का स्वरूप बदल चुका है. तमाम विपक्षी पार्टियां भी जनता से कनेक्ट हो रही हैं. जनता को समझ आ रहा है. सरकार नहीं समझ रही. उन्होंने कहा कि अगर ये सरकार जिद नहीं छोड़ेगी तो गद्दी छोड़ेगी. कानून व्यवस्था के मुद्दे पर जयंत ने कहा कि कहा कि कानून तो है लेकिन व्यवस्था नहीं है.