बरेलीः ग्रीनपीस इंडिया की जारी रिपोर्ट में देश के 25 सबसे प्रदूषित शहरों में बरेली जिला छठवें स्थान पर है. इसके लिए प्रशासनिक मशीनरी सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. साथ इसके लिए टूटी सड़कें, अधूरे निर्माण कार्य और डीजल वाहन भी बराबर के जिम्मेदार हैं. निर्माण में होने वाली बेवजह देरी ने बरेली को देश के प्रदूषित शहरों में 6वें पायदान पर बिठा दिया है.
मानक के ऊपर है शहर में प्रदूषण का स्तर
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी रोहित सिंह ने बताया कि शहर में वायु प्रदूषण बढ़ा है. इसका प्रमुख कारण शहर में जगह-जगह हो रहे पुलों के निर्माण कार्य हैं. हालांकि प्रदूषण की रोकथाम के लिए कई विभागों की संयुक्त टीम हैं, जो अपने-अपने स्तर पर कार्य करती है. उन्होंने यह भी कहा कि बाइपास बनने से शहर में बड़े वाहनों के आगमन पर काफी रोक लगी है. दरअसल दिवाली के आसपास या ठंड की शुरुआत में पीएम-10 की मात्रा 400-500 तक पहुंच गई थी. फिलहाल यह कम है पर अभी भी मानक से दोगुना है, जो कि वाकई खतरनाक है.
पुराने डीजल वाहन उगल रहे धुआं
जिले में हजारों की संख्या में ऐसे डीजल वाहन दौड़ रहे हैं, जिनसे काला धुआं निकल रहा है. कहने को चेकिंग टीमें हाइवे और शहर की सड़कों पर रहती हैं, लेकिन कंडम हो चुके इन वाहनों पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है. जिले की सड़कों पर दौड़ रहे विक्रम, मैक्स, मैजिक, बस, ट्रक और डीसीएम 15-15 साल पुराने हो चुके हैं. दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर 15 साल पुराने डीजल वाहनों पर रोक लगा दी गई थी, जबकि शहर की सड़कों पर ऐसे वाहन लगातार दौड़ रहे हैं. वहीं साल 2019 में कई पुराने वाहनों के रजिस्ट्रेशन निरस्त किए जाने के बावजूद इन वाहनों पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है, जिसके चलते शहर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है.
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वायु प्रदूषण बढ़ने से तमाम बीमारियों का खतरा बना रहता है. जैसे- उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक के साथ ही कई गंभीर बीमारियां इससे पनपती हैं. इसके परिणाम स्वरूप समय से इलाज न मिलने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. इस तरह की घातक बीमारियों से बचने के लिए हर सम्भव प्रयास करने चाहिए, जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है.