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प्रदूषित शहरों की सूची में देश में 6वें स्थान पर बरेली जिला

यूपी के बरेली जिले को देश के 25 सबसे प्रदूषित शहरों में 6वें स्थान पर रखा गया है. ग्रीनपीस इंडिया की जारी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि शहर में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा है.

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Published : Feb 8, 2020, 7:30 AM IST

Updated : Feb 8, 2020, 9:35 AM IST

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प्रदूषण के मामले में बरेली 6वें स्थान पर.

बरेलीः ग्रीनपीस इंडिया की जारी रिपोर्ट में देश के 25 सबसे प्रदूषित शहरों में बरेली जिला छठवें स्थान पर है. इसके लिए प्रशासनिक मशीनरी सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. साथ इसके लिए टूटी सड़कें, अधूरे निर्माण कार्य और डीजल वाहन भी बराबर के जिम्मेदार हैं. निर्माण में होने वाली बेवजह देरी ने बरेली को देश के प्रदूषित शहरों में 6वें पायदान पर बिठा दिया है.

बरेली में बढ़ा प्रदूषण.

मानक के ऊपर है शहर में प्रदूषण का स्तर
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी रोहित सिंह ने बताया कि शहर में वायु प्रदूषण बढ़ा है. इसका प्रमुख कारण शहर में जगह-जगह हो रहे पुलों के निर्माण कार्य हैं. हालांकि प्रदूषण की रोकथाम के लिए कई विभागों की संयुक्त टीम हैं, जो अपने-अपने स्तर पर कार्य करती है. उन्होंने यह भी कहा कि बाइपास बनने से शहर में बड़े वाहनों के आगमन पर काफी रोक लगी है. दरअसल दिवाली के आसपास या ठंड की शुरुआत में पीएम-10 की मात्रा 400-500 तक पहुंच गई थी. फिलहाल यह कम है पर अभी भी मानक से दोगुना है, जो कि वाकई खतरनाक है.

पुराने डीजल वाहन उगल रहे धुआं
जिले में हजारों की संख्या में ऐसे डीजल वाहन दौड़ रहे हैं, जिनसे काला धुआं निकल रहा है. कहने को चेकिंग टीमें हाइवे और शहर की सड़कों पर रहती हैं, लेकिन कंडम हो चुके इन वाहनों पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है. जिले की सड़कों पर दौड़ रहे विक्रम, मैक्स, मैजिक, बस, ट्रक और डीसीएम 15-15 साल पुराने हो चुके हैं. दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर 15 साल पुराने डीजल वाहनों पर रोक लगा दी गई थी, जबकि शहर की सड़कों पर ऐसे वाहन लगातार दौड़ रहे हैं. वहीं साल 2019 में कई पुराने वाहनों के रजिस्ट्रेशन निरस्त किए जाने के बावजूद इन वाहनों पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है, जिसके चलते शहर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- बरेली से शाहीन बाग जाने वालों पर पुलिस की नजर, खुफिया तंत्र जुटा रहा डिटेल

वायु प्रदूषण बढ़ने से तमाम बीमारियों का खतरा बना रहता है. जैसे- उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक के साथ ही कई गंभीर बीमारियां इससे पनपती हैं. इसके परिणाम स्वरूप समय से इलाज न मिलने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. इस तरह की घातक बीमारियों से बचने के लिए हर सम्भव प्रयास करने चाहिए, जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है.

बरेलीः ग्रीनपीस इंडिया की जारी रिपोर्ट में देश के 25 सबसे प्रदूषित शहरों में बरेली जिला छठवें स्थान पर है. इसके लिए प्रशासनिक मशीनरी सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. साथ इसके लिए टूटी सड़कें, अधूरे निर्माण कार्य और डीजल वाहन भी बराबर के जिम्मेदार हैं. निर्माण में होने वाली बेवजह देरी ने बरेली को देश के प्रदूषित शहरों में 6वें पायदान पर बिठा दिया है.

बरेली में बढ़ा प्रदूषण.

मानक के ऊपर है शहर में प्रदूषण का स्तर
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी रोहित सिंह ने बताया कि शहर में वायु प्रदूषण बढ़ा है. इसका प्रमुख कारण शहर में जगह-जगह हो रहे पुलों के निर्माण कार्य हैं. हालांकि प्रदूषण की रोकथाम के लिए कई विभागों की संयुक्त टीम हैं, जो अपने-अपने स्तर पर कार्य करती है. उन्होंने यह भी कहा कि बाइपास बनने से शहर में बड़े वाहनों के आगमन पर काफी रोक लगी है. दरअसल दिवाली के आसपास या ठंड की शुरुआत में पीएम-10 की मात्रा 400-500 तक पहुंच गई थी. फिलहाल यह कम है पर अभी भी मानक से दोगुना है, जो कि वाकई खतरनाक है.

पुराने डीजल वाहन उगल रहे धुआं
जिले में हजारों की संख्या में ऐसे डीजल वाहन दौड़ रहे हैं, जिनसे काला धुआं निकल रहा है. कहने को चेकिंग टीमें हाइवे और शहर की सड़कों पर रहती हैं, लेकिन कंडम हो चुके इन वाहनों पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है. जिले की सड़कों पर दौड़ रहे विक्रम, मैक्स, मैजिक, बस, ट्रक और डीसीएम 15-15 साल पुराने हो चुके हैं. दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर 15 साल पुराने डीजल वाहनों पर रोक लगा दी गई थी, जबकि शहर की सड़कों पर ऐसे वाहन लगातार दौड़ रहे हैं. वहीं साल 2019 में कई पुराने वाहनों के रजिस्ट्रेशन निरस्त किए जाने के बावजूद इन वाहनों पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है, जिसके चलते शहर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- बरेली से शाहीन बाग जाने वालों पर पुलिस की नजर, खुफिया तंत्र जुटा रहा डिटेल

वायु प्रदूषण बढ़ने से तमाम बीमारियों का खतरा बना रहता है. जैसे- उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक के साथ ही कई गंभीर बीमारियां इससे पनपती हैं. इसके परिणाम स्वरूप समय से इलाज न मिलने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. इस तरह की घातक बीमारियों से बचने के लिए हर सम्भव प्रयास करने चाहिए, जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है.

Intro:एंकर:-ग्रीनपीस इंडिया की जारी रिपोर्ट में देश के 25 सबसे प्रदूषित शहरों में बरेली यूं ही शामिल नहीं हुई। इसके लिए प्रशासनिक मशीनरी सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। जिस पीएम-10 यानि की पार्टिकुलेट मैटर के आधार पर रिपोर्ट तैयार हुई वह वातावरण में महीन धूल के कणों को मापती है। यह महीन धूल के सबसे बड़े तीन कारण है. एक टूटी सड़कें, दूसरा अधूरे निर्माण कार्य और तीसरा डीजल वाहन। निर्माण में होने वाली बेवजह की देरी ने बरेली को देश के प्रदूषित शहरों में 25वें पायदान पर बिठा दिया। 


Body:Vo:-प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी रोहित सिंह कहते हैं, शहर में वायु प्रदूषण बढ़ा है। उसका प्रमुख कारण शहर में जगह-जगह जो पुलों के निर्माण कार्य हो रहे हैं। हालांकि प्रदूषण की रोकथाम को कई विभागों की संयुक्त टीम हैं, जो अपने-अपने स्तर पर कार्य करती है। बाइपास बनने से शहर में बड़े वाहनों के आगमन पर काफी रोक लगी है। जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं। दरअसल दिवाली के आसपास या ठंड की शुरुआत में पीएम-10 की मात्रा 400-500 तक पहुंच गई थी। फिलहाल यह कम है पर अभी भी मानक से दोगुना है, जो वाकई खतरनाक है।


बाईट:- रोहित सिंह छत्रिय अधिकारी प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड


Vo2:-पुराने डीजल वाहन भी उगल रहे धुआं 


Vo2:-बरेली में हजारों की संख्या में ऐसे डीजल वाले वाहन हैं, जिनमें से काला धुआं निकलता है। कहने को चेकिंग टीमें हाइवे और शहर की सड़कों पर रहती हैं, लेकिन उन कंडम हो चुके वाहनों पर कोई लगाम नहीं है। विक्रम, मैक्स, मैजिक, बस, ट्रक और डीसीएम 15-15 साल पुराने हैं। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर 15 साल पुराने डीजल वाहनों पर रोक लगा दी, जबकि अपने यहां सड़कों पर ऐसे वाहन दौड़ रहे हैं।2019 में कई पुराने वाहनों के रजिस्ट्रेशन निरस्त किए गए। प्रदूषण की चेकिंग को कैंप भी लगते हैं। जागरूक अभियान भी चलाते हैं। वहीं स्थानीय निवासियों का कहना है प्रदूषण के लिए एक हद तक हम ख़ुद ज़िम्मेदार है कायदे में हमें अपने आस पास सफाई रखनी चाहिए और कोशिश ये करनी चाहिए कि हर तरह से स्वच्छ रहे।

बाईट:- फैज़ल रियाज़

बाईट:-अतुल




Conclusion:Fvo:-वायु प्रदूषण बढ़ने से इंसानों में तमाम बीमारियों का जन्म होता है. जैसे उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक और भी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बन जाता है, इसके परिणाम स्वरूप समय से इलाज न मिलने पर व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इस तरह की घातक बीमारियों से बचने के लिए हर सम्भव प्रयास करने चाहिए जो कि बहुत ज़रूरी है।

रंजीत शर्मा

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Last Updated : Feb 8, 2020, 9:35 AM IST
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