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बरेली: दिव्यांग महिमा के हौसलों को मिली मंजिल, अब बन सकेगी डॉक्टर - नीट का एग्जाम

अगर हौसले बुलंद हों तो कामयाबी कदम चूमती है. बरेली की रहने वाली सेरिवल पैलसी बीमारी से ग्रसित छात्रा ने इन पंक्तियों को सच कर दिखाया है. उसने पहली ही बार में नीट की परीक्षा पास कर एक मिसाल कायम की है. अब वह वेटनरी डॉक्टर बन जानवरों की सेवा करना चाहती है.

सेरिवल पैलसी बीमारी से ग्रसित महिमा ने पास की नीट की परीक्षा.
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Published : Jun 13, 2019, 12:42 PM IST

बरेली: मन में कुछ करने की लगन हो तो कामयाबी भी कदम चूमती है. चाहे राह में कितनी भी बाधाएं क्यों न आएं, लेकिन इंसान अपनी मंजिल को पा ही लेता है. ऐसा ही कर दिखाया है बरेली की रहने वाली छात्रा महिमा ने. महिमा सेरिवल पैलसी बीमारी से ग्रसित है. उसने पहले ही अटेंप्ट में नीट की परीक्षा पास कर एक नई सोच को जन्म दिया. अब वह वेटनरी डॉक्टर बन जानवरों की सेवा करना चाहती है.

सेरिवल पैलसी बीमारी से ग्रसित महिमा ने पास की नीट की परीक्षा.

सेरिवल पैलसी बीमारी से ग्रसित महिमा का कहना है उसकी सफलता के पीछे उसकी मेहनत, मम्मी-पापा और उसके टीचरों का अहम योगदान है. परीक्षा में राइटर मिलने पर महिमा ने पीएम मोदी को शुक्रिया कहा. महिमा पीएम मोदी को अपना आदर्श मानती हैं

बेटी की इस कामयाबी को लेकर महिमा के परिवार में जश्न का माहौल है. महिमा के पिता शैलेंद्र शाह बताते हैं कि मैंने महिमा को कई संघर्ष भरी कहानियां सुनाई, उन कहानी को महिमा ने अपने जीवन में उतार कर सिद्ध कर दिया. वहीं महिमा की मदर स्मित शाह कहती है कि बचपन से मेरी बेटी का जीवन बहुत संघर्षमय रहा है.

फिलहाल महिमा की इस कामयाबी ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी विद्यार्थियों के लिए एक नई मिसाल पेश की है. महिमा की इस कामयाबी ने बता दिया कि रास्ते कितने भी भयानक क्यों न हों, अगर मन में दृढ़ इच्छाशक्ति है तो किसी भी मंजिल को पाया जा सकता है.

बरेली: मन में कुछ करने की लगन हो तो कामयाबी भी कदम चूमती है. चाहे राह में कितनी भी बाधाएं क्यों न आएं, लेकिन इंसान अपनी मंजिल को पा ही लेता है. ऐसा ही कर दिखाया है बरेली की रहने वाली छात्रा महिमा ने. महिमा सेरिवल पैलसी बीमारी से ग्रसित है. उसने पहले ही अटेंप्ट में नीट की परीक्षा पास कर एक नई सोच को जन्म दिया. अब वह वेटनरी डॉक्टर बन जानवरों की सेवा करना चाहती है.

सेरिवल पैलसी बीमारी से ग्रसित महिमा ने पास की नीट की परीक्षा.

सेरिवल पैलसी बीमारी से ग्रसित महिमा का कहना है उसकी सफलता के पीछे उसकी मेहनत, मम्मी-पापा और उसके टीचरों का अहम योगदान है. परीक्षा में राइटर मिलने पर महिमा ने पीएम मोदी को शुक्रिया कहा. महिमा पीएम मोदी को अपना आदर्श मानती हैं

बेटी की इस कामयाबी को लेकर महिमा के परिवार में जश्न का माहौल है. महिमा के पिता शैलेंद्र शाह बताते हैं कि मैंने महिमा को कई संघर्ष भरी कहानियां सुनाई, उन कहानी को महिमा ने अपने जीवन में उतार कर सिद्ध कर दिया. वहीं महिमा की मदर स्मित शाह कहती है कि बचपन से मेरी बेटी का जीवन बहुत संघर्षमय रहा है.

फिलहाल महिमा की इस कामयाबी ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी विद्यार्थियों के लिए एक नई मिसाल पेश की है. महिमा की इस कामयाबी ने बता दिया कि रास्ते कितने भी भयानक क्यों न हों, अगर मन में दृढ़ इच्छाशक्ति है तो किसी भी मंजिल को पाया जा सकता है.

Intro:महिमा के पिता का मोबाइल नम्बर 8958878584 *हाथ पैरों से दिव्यांग महिमा ने पहली बार मे पास की नीट की परीक्षा, सेरिवल पैलसी बीमारी से ग्रसित है महिमा।* एंकर- अगर हौसला बुलंद हो तो कामयावी कदम चूमती है फिर चाहे वो neet की परीक्षा ही क्यों न हो ऐसा ही एक दिव्यांग छात्रा ने कर दिखाया जो अच्छे अच्छे नहीं कर सकते । जो दिव्यांग पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर है। जो अपने पैरों पर चल फिर भी नही सकती, जिसके न हाथ काम करते है उसने पहली ही बार नीट की परीक्षा पास कर ली और अब वो वैटनरी डॉक्टर बन जानवरो की सेवा करना चाहती है । 


Body:वीओ 1- हंसती मुस्कुराती यह छात्रा महिमाए है जबकि दिव्यांगों को पास होने के लिए मात्र 120 नम्बर ही चाहिए। पहली ही बार मे नीट परीक्षा पास कर ली और अब उसके घर मे खुशी का माहौल है । अब वो बरेली की ही आईवीआरआई में ही वैटनरी की डॉक्टर की पढ़ाई करना चाहती है ।  बाइट महिमा शाह  छात्रा  वहीं महिमा के पास हो जाने से परिवार में खुशी की लहर है खासतौर पर महिमा के पिता शैलेंद्र शाह फूले नहीं समा रहे हैं क्योंकि शैलेंद्र शाह ने हमेशा महिमा के अंदर एक हीरो की छवि बनाई है और हमेशा आगे बढ़ने के लिए उसे प्रेरित क्या है महिमा के पिता खास तौर पर प्रधानमंत्री मोदी और ईटीवी का धन्यवाद करते हैं बाइट:- शैलेंद्र शाह महिमा के पिता वीओ 2- दिव्यांग महिमा ने वो कर दिखाया जो अच्छे अच्छे नहीं कर पाते ।दिव्यांग छात्रा ने पहली बार मे जो नीट की परीक्षा पास की उसके बाद सब खुश है। उसकी माँ ने उसे हमेशा सहारा दिया। महिमा की मां ने कदम कदम पर महिमा को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है उसकी दिनचर्या के काम मैं हमेशा मां ने साथ दिया है। बाइट स्मिता शाह माँ


Conclusion:दिव्यांग छात्रा के नीट की परीक्षा पास करने पर हर कोई उसकी मेहनत की तारीफ कर रहा है और महिमा भी बहुत खुश है।
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