बरेलीः बरेली के कैंट थाने में एक इंस्पेक्टर के खिलाफ प्लाट दिलाने के नाम पर आठ लाख रुपए की ठगी का मुकदमा दर्ज किया गया है. पीड़ित ने आरोप लगाया कि उसे एक प्लाट खरीदना था और प्लान दिलाने वाले ने खुद को इंस्पेक्टर बताकर किसी दूसरे का प्लाट दिखाकर बतौर एडवांस आठ लाख रुपए ले लिए. जब प्लाट नहीं मिला तो रुपए वापस मांगे तो आरोपी गाली-गलौज करने लगा. वहीं, पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. पुलिस का कहना है कि जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि आरोपी इंस्पेक्टर है या नहीं.
बरेली के कैंट थाना क्षेत्र के कंधरपुर के रहने वाले राकेश ने थाने में ठगी की लिखित शिकायत की है. उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें लगभग डेढ़ वर्ष पहले मकान बनवाने के लिए प्लाट की जरूरत थी. उनकी मुलाकात वीरेंद्र मोहन मिश्रा से हुई, जिसने खुद को भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात बताया. उसने प्लाट दिखाकर एक व्यक्ति से मिलवाया, उस व्यक्ति ने खुद को प्लाट मालिक बताया. पूरे प्लाट का सौदा 14 लाख रुपए में तय हुआ.
आरोप है कि वीरेंद्र मोहन मिश्रा ने प्लाट खरीदने के लिए एडवांस के रूप में कई बार में आठ लाख रुपए ले लिए. जब प्लाट की रजिस्ट्री का वक्त आया तो वीरेंद्र मोहन मिश्रा टाल मटोल करने लगा और जब उसने प्लांट के बारे में सही जानकारी की तो पता चला कि जिस व्यक्ति को वीरेंद्र मोहन मिश्रा ने मालिक बताया था वह मालिक नहीं बल्कि उसका एक फर्जी साथी है. इसके बाद उसे ठगी का अहसास हुआ.
पीड़ित राकेश का आरोप है कि खुद को आईटीबीपी में इंस्पेक्टर बताने वाले वीरेंद्र मोहन मिश्र से प्लाट खरीदने को दिए गए आठ लाख रुपए मांगे तो वह टालमटोल करने लगा. साथ ही झूठे मुकदमे में जेल भेजने की धमकी दी. वहीं, बरेली आइटीबीपी में तैनात कमर जैदी ने बताया कि वीरेंद्र मोहन मिश्रा नाम का कोई भी इंस्पेक्टर यहां तैनात नहीं है. यह कोई फर्जी व्यक्ति होगा जिसे खुद को इंस्पेक्टर बताया है.
बरेली के कैंट थाना क्षेत्र के रहने वाले राकेश ने पूरे मामले की शिकायत बरेली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से की . वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के आदेश पर कैंट थाने में वीरेंद्र मोहन मिश्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. क्षेत्राधिकारी प्रथम श्वेता यादव ने बताया कि एक व्यक्ति की तहरीर पर प्लाट खरीदने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है. मामले की जांच की जा रही है. जो भी तथ्य निकलकर सामने आएंगे उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. आरोपी इंस्पेक्टर के पद पर तैनात है या नहीं यह जांच के बाद ही स्पष्ट होगा.
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