बाराबंकी : बेसहारा और छुट्टा जानवरों के लिए बनवाए गए आश्रय स्थल अब इनके लिए मौत के घर साबित होने लगे हैं. कम से कम बाराबंकी का तो यही हाल है. यहां महज 34 दिन में ही 25 बेजुबानों ने दम तोड़ दिया. ये हाल केवल एक केंद्र का है. कमोबेश कुछ ऐसा ही हाल दूसरे केंद्रों का भी है. केंद्रों पर न तो इनके खाने-पीने का समुचित इंतजाम है और न ही पानी-कीचड़ से बचने के इंतजाम. बस इन्हें यहां लाकर जैसे ठूंस दिया गया हो.
नगर सीमा के जिन्हौली गांव में बने पशु आश्रय स्थल का पिछले 10 फरवरी को शुरुआत हुई थी. शहर और नगरपालिका सीमा के 211 गोवंशों को पकड़कर यहां बन्द किया गया था. शासन के निर्देश पर आनन-फानन यह आश्रय स्थल जरूर बन गया, लेकिन पर्याप्त व्यवस्था नही की गई. न तो इन बेजुबानों के खाने का ही समुचित इंतजाम हुआ न कीचड़ और गड्ढों से बचने का. लिहाजा एक-एक कर गोवंश मरने लगे और हालत यह हो गई कि आज तक 26 बेजुबानों की मौत हो चुकी है. कागजों में 211 बेसहारा लाये गए थे और आज 185 बचे हैं. सूखा भूसा और वो भी कीचड़ में खड़े होकर आखिर खाएं तो कैसे. खाने के अभाव में शरीर टूट रहा है, हड्डियां नज़र आने लगी हैं. ऐसा भी नहीं कि जिम्मेदारों को इसकी खबर नही दी गई. महीने भर से यहां ड्यूटी कर रहे सोहनलाल बताते हैं कि कई बार कहा गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
इन बेजुबानों की जांच पड़ताल पर नजर रखने वाले पशुधन प्रसार अधिकारी ने बताया कि महज सूखे भूसे से ये ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह सकते. इसके लिए नगर पालिका ईओ को बताया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इन्होंने बताया कि अब तक 22 गोवंश मर चुके हैं. उधर जब हमने इस लापरवाही के बाबत नगरपालिका ईओ संगीता कुमारी से पूछा तो उन्होंने सब कुछ ठीक-ठाक होने का दावा किया. ईओ किस कदर झूठ बोल रही हैं यह आपने देखा. अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इन बेजुबानों की मौत का जिम्मेदार कौन है.