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गोशालाओं में दम तोड़ रहे बेजुबान, एक महीने में 25 की मौत

पशु आश्रय स्थल में बेजुबान, बेसहारा जानवर लगातार दम तोड़ रहे हैं. खाने-पीने की समुचित व्यव्स्था न होने के कारण गोवंश हड्डियों के ढांचे में तब्दाल हो गए हैं. आश्रय स्थलों में रखे गए छुट्टा गोवंश धीरे-धीरे भुखमरी का शिकार होते जा रहे हैं. प्रशासन भी अब इस मुद्दे पर बोलने से कतराता नजर आ रहा है और न ही कार्रवाई के आसार नजर आ रहे हैं.

पशु आश्रय स्थल
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Published : Feb 15, 2019, 3:11 PM IST

बाराबंकी : बेसहारा और छुट्टा जानवरों के लिए बनवाए गए आश्रय स्थल अब इनके लिए मौत के घर साबित होने लगे हैं. कम से कम बाराबंकी का तो यही हाल है. यहां महज 34 दिन में ही 25 बेजुबानों ने दम तोड़ दिया. ये हाल केवल एक केंद्र का है. कमोबेश कुछ ऐसा ही हाल दूसरे केंद्रों का भी है. केंद्रों पर न तो इनके खाने-पीने का समुचित इंतजाम है और न ही पानी-कीचड़ से बचने के इंतजाम. बस इन्हें यहां लाकर जैसे ठूंस दिया गया हो.

गौशालाओं में दम तोड़ रहे बेजुबान

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नगर सीमा के जिन्हौली गांव में बने पशु आश्रय स्थल का पिछले 10 फरवरी को शुरुआत हुई थी. शहर और नगरपालिका सीमा के 211 गोवंशों को पकड़कर यहां बन्द किया गया था. शासन के निर्देश पर आनन-फानन यह आश्रय स्थल जरूर बन गया, लेकिन पर्याप्त व्यवस्था नही की गई. न तो इन बेजुबानों के खाने का ही समुचित इंतजाम हुआ न कीचड़ और गड्ढों से बचने का. लिहाजा एक-एक कर गोवंश मरने लगे और हालत यह हो गई कि आज तक 26 बेजुबानों की मौत हो चुकी है. कागजों में 211 बेसहारा लाये गए थे और आज 185 बचे हैं. सूखा भूसा और वो भी कीचड़ में खड़े होकर आखिर खाएं तो कैसे. खाने के अभाव में शरीर टूट रहा है, हड्डियां नज़र आने लगी हैं. ऐसा भी नहीं कि जिम्मेदारों को इसकी खबर नही दी गई. महीने भर से यहां ड्यूटी कर रहे सोहनलाल बताते हैं कि कई बार कहा गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

इन बेजुबानों की जांच पड़ताल पर नजर रखने वाले पशुधन प्रसार अधिकारी ने बताया कि महज सूखे भूसे से ये ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह सकते. इसके लिए नगर पालिका ईओ को बताया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इन्होंने बताया कि अब तक 22 गोवंश मर चुके हैं. उधर जब हमने इस लापरवाही के बाबत नगरपालिका ईओ संगीता कुमारी से पूछा तो उन्होंने सब कुछ ठीक-ठाक होने का दावा किया. ईओ किस कदर झूठ बोल रही हैं यह आपने देखा. अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इन बेजुबानों की मौत का जिम्मेदार कौन है.

बाराबंकी : बेसहारा और छुट्टा जानवरों के लिए बनवाए गए आश्रय स्थल अब इनके लिए मौत के घर साबित होने लगे हैं. कम से कम बाराबंकी का तो यही हाल है. यहां महज 34 दिन में ही 25 बेजुबानों ने दम तोड़ दिया. ये हाल केवल एक केंद्र का है. कमोबेश कुछ ऐसा ही हाल दूसरे केंद्रों का भी है. केंद्रों पर न तो इनके खाने-पीने का समुचित इंतजाम है और न ही पानी-कीचड़ से बचने के इंतजाम. बस इन्हें यहां लाकर जैसे ठूंस दिया गया हो.

गौशालाओं में दम तोड़ रहे बेजुबान

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नगर सीमा के जिन्हौली गांव में बने पशु आश्रय स्थल का पिछले 10 फरवरी को शुरुआत हुई थी. शहर और नगरपालिका सीमा के 211 गोवंशों को पकड़कर यहां बन्द किया गया था. शासन के निर्देश पर आनन-फानन यह आश्रय स्थल जरूर बन गया, लेकिन पर्याप्त व्यवस्था नही की गई. न तो इन बेजुबानों के खाने का ही समुचित इंतजाम हुआ न कीचड़ और गड्ढों से बचने का. लिहाजा एक-एक कर गोवंश मरने लगे और हालत यह हो गई कि आज तक 26 बेजुबानों की मौत हो चुकी है. कागजों में 211 बेसहारा लाये गए थे और आज 185 बचे हैं. सूखा भूसा और वो भी कीचड़ में खड़े होकर आखिर खाएं तो कैसे. खाने के अभाव में शरीर टूट रहा है, हड्डियां नज़र आने लगी हैं. ऐसा भी नहीं कि जिम्मेदारों को इसकी खबर नही दी गई. महीने भर से यहां ड्यूटी कर रहे सोहनलाल बताते हैं कि कई बार कहा गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

इन बेजुबानों की जांच पड़ताल पर नजर रखने वाले पशुधन प्रसार अधिकारी ने बताया कि महज सूखे भूसे से ये ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह सकते. इसके लिए नगर पालिका ईओ को बताया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इन्होंने बताया कि अब तक 22 गोवंश मर चुके हैं. उधर जब हमने इस लापरवाही के बाबत नगरपालिका ईओ संगीता कुमारी से पूछा तो उन्होंने सब कुछ ठीक-ठाक होने का दावा किया. ईओ किस कदर झूठ बोल रही हैं यह आपने देखा. अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इन बेजुबानों की मौत का जिम्मेदार कौन है.

Intro:बाराबंकी,15 फरवरी । बेसहारा और छुट्टा जानवरों के लिए बनवाये गए आश्रय स्थल अब इनके लिए मौत के घर साबित होने लगे हैं । कम से कम बाराबंकी के तो यही हाल है जहाँ महज 34 दिन में ही 25 बेजुबानों ने दम तोड़ दिया । ये हाल केवल एक केंद्र का है । कमोबेश कुछ ऐसा ही हाल दूसरे केंद्रों का भी है । केंद्रों पर न तो इनके खाने पीने का समुचित इंतजाम है और न ही पानी कीचड़ से बचने के इंतजाम । बस इन्हें यहां लेकर जैसे ठूंस दिया गया हो । पेश है बाराबंकी से अलीम शेख की ये एक्सक्लुसिव रिपोर्ट....




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ये है नगर सीमा के जिन्हौली गांव में बना पशु आश्रय स्थल । पिछली 10 फरवरी से इसकी शुरुआत हुई । शहर और नगरपालिका सीमा के 211 गौवंशों को पकड़कर यहां बन्द किया गया था। शासन के निर्देश पर आनन फानन ये आश्रयस्थल जरूर बन गया लेकिन पर्याप्त व्यवस्था नही की गई । न तो इन बेजुबानों को खाने का ही समुचित इंतजाम हुआ न कीचड़ और गड्ढों से बचने का । लिहाजा एक एक कर ये मरने लगे और हालत ये हो गई कि आज तक 26 बेजुबानों की मौत हो चुकी है । कागजो में 211 बेसहारा लाये गए थे और आज 185 बचे हैं । सूखा भूसा और वो भी कीचड़ में खड़े होकर आखिर ये खाएं तो कैसे । इनकी हालत देखिये खाने के अभाव में शरीर टूट रहा है । हड्डियां नज़र आने लगी हैं । ऐसा भी नही की जिम्मेदारों को इसकी खबर नही दी गई । महीने भर से यहां ड्यूटी कर रहे सोहनलाल बताते है कि कई बार कहा गया लेकिन कोई सुनवाई नही हुई ।
BITE:- सोनेलाल, तैनात कर्मचारी (कंधे पर गमछा रखे)
V.O:- इन बेजुबानों की जांच पड़ताल पर नजर रखने वाले पशुधन प्रसार अधिकारी ने बताया कि महज सूखे भूसे से ये ज्यादा दिन जिंदा नही रह सकते । इसके लिए नगरपालिका ईओ को बताया गया लेकिन कोई सुनवाई नही हुई । इन्होंने बताया कि अब तक 22 गौवंश मर चुके है । रोजाना किसी न किसी की जान जा रही है ।
BITE:-. विजयबहादुर यादव, पशुधन प्रसार अधिकारी
V.O:- उधर जब हमने इस लापरवाही की बाबत नगरपालिका ईओ संगीता कुमारी से पूछा तो उन्होंने सब कुछ ठीक ठाक होने का दावा किया । ईओ किस कदर झूठ बोल रही हैं यह आपने देखा ।अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इन बेजुबानों की मौत का जिम्मेदार कौन है ।
BITE:- संगीता कुमारी , ईओ नगर पालिका बाराबंकी

रिपोर्ट- अलीम शेख बाराबंकी
9839421515



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