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विश्व संगीत दिवस 2021: मधुर 'संगीत' जीवन में मिठास के साथ स्वास्थ्य में लाता है सुधार

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Published : Jun 21, 2021, 1:32 PM IST

विश्व संगीत दिवस 2021 (World Music Day 2021) 21 जून को यानी आज देशभर में मनाया जा रहा है. बाराबंकी के संगीत शिक्षक प्रभात दीक्षित का कहना है कि संगीत से लोगों के बीच भावनात्मक लगाव होता है साथ ही इससे तमाम रोग भी दूर होते हैं.

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विश्व संगीत दिवस 2021

बाराबंकी: संगीत (Music) के महत्वों को समझते हुए 21 जून को विश्व संगीत दिवस 2021 (World Music Day 2021) मनाया जाता है. संगीत न केवल लोगों के बीच भावनात्मक लगाव (Emotional Attachment) पैदा करता है, बल्कि इससे तमाम रोग भी दूर होते हैं. भले ही विश्व संगीत दिवस मनाने की शुरुआत फ्रांस से हुई हो, लेकिन हिंदुस्तान के संगीत की जो पहचान है वो शायद ही किसी देश की हो. भारतीय संगीत के आगे पाश्चात्य संगीत फीका नजर आता है.

दो दशकों से सिखा रहे संगीत

साल 1998 से संगीत की शिक्षा दे प्रभात दीक्षित रहे प्रभात दीक्षित बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही गाने का शौक था. बचपन में अपने घर पर वह टेबल बजाकर गुनगुनाया करते थे. जैसे-जैसे बड़े हुए ढोलक (Dholak) पर उनके हाथों की थाप गूंजने लगी और आज ढोलक की ताल उनके हिसाब से चलती है. यही नहीं, उन्होंने ढोलक की तालों को गिनतियों में परिवर्तित कर कई विधाएं तैयार कर डालीं. प्रभात दीक्षित ने भातखंडे संगीत विद्यापीठ (Bhatkhande Sangeet Vidyapeeth) से संगीत का कोर्स किया. इसके बाद बच्चों को संगीत सिखाना शुरू कर दिए.

विश्व संगीत दिवस 2021

लगभग 5 हजार बच्चे सिख चुके संगीत

बाराबंकी के घंटाघर के पास प्रभात दीक्षित 1998 से अपने घर में ही बच्चों को संगीत सिखा रहे हैं. अब तक लगभग 5 हजार बच्चे उनसे संगीत सिख चुके हैं. प्रभात ढोलक के साथ-साथ हारमोनियम (Harmonium) बजाने के भी मास्टर हैं. वह लखनऊ के भातखंडे संगीत विद्यापीठ में भी ढोलक सिखाने जाते थे. इनके द्वारा सिखे छात्रों ने टैलेंट हंट, फोक जलवा, स्टार अप अवध जैसे कई बड़े प्लेटफार्म पर अपना जलवा बिखेरा है. प्रभात बताते हैं कि वे गीत खुद लिखते हैं और फिर उसी के हिसाब से संगीत भी तैयार करते हैं. यही वजह है कि वर्ष 2012 में जिला प्रशासन ने इनके गाये मतदाता जागरण गीत को अपने प्रचार में शामिल किया था.

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संगीत शिक्षक प्रभात दीक्षित अपने छात्रों के बीच बैठे

कोरोना से लड़ने में संगीत ने निभाई अहम भूमिका

संगीत कानों में रस घोलने के साथ-साथ एक किस्म का योग (Yoga) भी है. वैज्ञानिकों का मानना है कि गीत-संगीत से मानव मस्तिष्क में डोपामाइन हार्मोन (Dopamine Hormone) बढ़ता है, जिससे लोगों में एकाग्रता (Concentration) की क्षमता बढ़ती है. इससे सांस से सम्बंधित समस्याएं भी दूर होती हैं. इसके अलावा फेफड़ों के लिए भी ये लाभप्रद है. कुल मिलाकर गीत-संगीत एक प्रकार की चिकित्सा है जिससे न केवल तमाम रोग दूर होते हैं, बल्कि इम्युनिटी (Immunity) भी बढ़ती है. संगीत प्रेमियों का कहना है कि इस महामारी के दौर में कोरोना से लड़ने के लिए उन्हें संगीत ने शक्ति प्रदान की. डॉक्टरों द्वारा कुछ मरीजों को म्यूजिक थेरेपी लेने की भी सलाह दी गई.

छात्र छात्राओं को संगीत सिखाते प्रभात दीक्षित
छात्र छात्राओं को संगीत सिखाते प्रभात दीक्षित

बदल रहा संगीत का स्वरूप

हाईटेक होते जा रहे जमाने मे संगीत का भी स्वरूप काफी बदल गया है. शास्त्रीय संगीत पर पाश्चात्य संगीत हावी होता जा रहा है, लेकिन गीत-संगीत से जुड़े लोगों का मानना है कि पाश्चात्य संगीत भले ही ज्यादा पसंद किए जा रहे हों, लेकिन इनकी लोकप्रियता चंद समय की ही है. पहले के गीत-संगीत में शुद्धता थी, लेकिन अब मिलावट नजर आती है. कई नामवर संगीतकारों का मानना है कि पाश्चात्य और आधुनिक संगीत से केवल तन डोलता है, लेकिन भारतीय संगीत से तन और मन दोनों डोलते हैं. शास्त्रीय संगीत और पुराना गीत-संगीत हमेशा रहने वाला है.

संगीत स्वास्थ्य में लाता है सुधार
संगीत स्वास्थ्य में लाता है सुधार

संगीत से जुड़े लोगों के लिए बने कोई ठोस नीति

प्रभात को दुख है कि गीत संगीत से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए आज तक कोई ठोस योजना नहीं बन सकी. इनकी मांग है कि सरकार कोई नीति (Policy) बनाये, ताकि संगीतकारों में रोजी-रोटी का संकट खड़ा न हो.

इसे भी पढ़ें- 7वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस : योग करने से पहले जान लें ये बातें..

बाराबंकी: संगीत (Music) के महत्वों को समझते हुए 21 जून को विश्व संगीत दिवस 2021 (World Music Day 2021) मनाया जाता है. संगीत न केवल लोगों के बीच भावनात्मक लगाव (Emotional Attachment) पैदा करता है, बल्कि इससे तमाम रोग भी दूर होते हैं. भले ही विश्व संगीत दिवस मनाने की शुरुआत फ्रांस से हुई हो, लेकिन हिंदुस्तान के संगीत की जो पहचान है वो शायद ही किसी देश की हो. भारतीय संगीत के आगे पाश्चात्य संगीत फीका नजर आता है.

दो दशकों से सिखा रहे संगीत

साल 1998 से संगीत की शिक्षा दे प्रभात दीक्षित रहे प्रभात दीक्षित बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही गाने का शौक था. बचपन में अपने घर पर वह टेबल बजाकर गुनगुनाया करते थे. जैसे-जैसे बड़े हुए ढोलक (Dholak) पर उनके हाथों की थाप गूंजने लगी और आज ढोलक की ताल उनके हिसाब से चलती है. यही नहीं, उन्होंने ढोलक की तालों को गिनतियों में परिवर्तित कर कई विधाएं तैयार कर डालीं. प्रभात दीक्षित ने भातखंडे संगीत विद्यापीठ (Bhatkhande Sangeet Vidyapeeth) से संगीत का कोर्स किया. इसके बाद बच्चों को संगीत सिखाना शुरू कर दिए.

विश्व संगीत दिवस 2021

लगभग 5 हजार बच्चे सिख चुके संगीत

बाराबंकी के घंटाघर के पास प्रभात दीक्षित 1998 से अपने घर में ही बच्चों को संगीत सिखा रहे हैं. अब तक लगभग 5 हजार बच्चे उनसे संगीत सिख चुके हैं. प्रभात ढोलक के साथ-साथ हारमोनियम (Harmonium) बजाने के भी मास्टर हैं. वह लखनऊ के भातखंडे संगीत विद्यापीठ में भी ढोलक सिखाने जाते थे. इनके द्वारा सिखे छात्रों ने टैलेंट हंट, फोक जलवा, स्टार अप अवध जैसे कई बड़े प्लेटफार्म पर अपना जलवा बिखेरा है. प्रभात बताते हैं कि वे गीत खुद लिखते हैं और फिर उसी के हिसाब से संगीत भी तैयार करते हैं. यही वजह है कि वर्ष 2012 में जिला प्रशासन ने इनके गाये मतदाता जागरण गीत को अपने प्रचार में शामिल किया था.

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संगीत शिक्षक प्रभात दीक्षित अपने छात्रों के बीच बैठे

कोरोना से लड़ने में संगीत ने निभाई अहम भूमिका

संगीत कानों में रस घोलने के साथ-साथ एक किस्म का योग (Yoga) भी है. वैज्ञानिकों का मानना है कि गीत-संगीत से मानव मस्तिष्क में डोपामाइन हार्मोन (Dopamine Hormone) बढ़ता है, जिससे लोगों में एकाग्रता (Concentration) की क्षमता बढ़ती है. इससे सांस से सम्बंधित समस्याएं भी दूर होती हैं. इसके अलावा फेफड़ों के लिए भी ये लाभप्रद है. कुल मिलाकर गीत-संगीत एक प्रकार की चिकित्सा है जिससे न केवल तमाम रोग दूर होते हैं, बल्कि इम्युनिटी (Immunity) भी बढ़ती है. संगीत प्रेमियों का कहना है कि इस महामारी के दौर में कोरोना से लड़ने के लिए उन्हें संगीत ने शक्ति प्रदान की. डॉक्टरों द्वारा कुछ मरीजों को म्यूजिक थेरेपी लेने की भी सलाह दी गई.

छात्र छात्राओं को संगीत सिखाते प्रभात दीक्षित
छात्र छात्राओं को संगीत सिखाते प्रभात दीक्षित

बदल रहा संगीत का स्वरूप

हाईटेक होते जा रहे जमाने मे संगीत का भी स्वरूप काफी बदल गया है. शास्त्रीय संगीत पर पाश्चात्य संगीत हावी होता जा रहा है, लेकिन गीत-संगीत से जुड़े लोगों का मानना है कि पाश्चात्य संगीत भले ही ज्यादा पसंद किए जा रहे हों, लेकिन इनकी लोकप्रियता चंद समय की ही है. पहले के गीत-संगीत में शुद्धता थी, लेकिन अब मिलावट नजर आती है. कई नामवर संगीतकारों का मानना है कि पाश्चात्य और आधुनिक संगीत से केवल तन डोलता है, लेकिन भारतीय संगीत से तन और मन दोनों डोलते हैं. शास्त्रीय संगीत और पुराना गीत-संगीत हमेशा रहने वाला है.

संगीत स्वास्थ्य में लाता है सुधार
संगीत स्वास्थ्य में लाता है सुधार

संगीत से जुड़े लोगों के लिए बने कोई ठोस नीति

प्रभात को दुख है कि गीत संगीत से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए आज तक कोई ठोस योजना नहीं बन सकी. इनकी मांग है कि सरकार कोई नीति (Policy) बनाये, ताकि संगीतकारों में रोजी-रोटी का संकट खड़ा न हो.

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