बाराबंकी: मोदी सरकार में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी भी जातिगत जनगणना कराए जाने के पक्षधर हैं. सोमवार को जन आशीर्वाद यात्रा का शुभारंभ करने बस्ती जा रहे पंकज चौधरी ने बाराबंकी में कहा कि केंद्र सरकार ने इसके लिए राज्यों को अधिकार दे दिया है. अब राज्य के मुख्यमंत्री पर निर्भर है कि वे क्या करते हैं.
बताते चलें कि मोदी सरकार में मंत्री बनाए गए प्रदेश के सात मंत्रियों ने सोमवार से अलग-अलग जन आशीर्वाद यात्राओं की शुरुआत की. जन आशीर्वाद यात्रा के जरिये ये मंत्री जनता का आशीर्वाद हासिल करेंगे. महराजगंज सांसद और केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री बनाए गए पंकज चौधरी ने बस्ती से जन आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की. लखनऊ से बस्ती जा रहे पंकज चौधरी का सोमवार को बाराबंकी में भाजपाइयों ने जगह-जगह स्वागत किया.
इस दौरान मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल में सभी वर्गों को सम्मान दिया है. उन्होंने कहा कि जन आशीर्वाद यात्रा के जरिये वह जन-जन तक पहुंचेंगे और केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार द्वारा न केवल जन मानस के लिए किए गए कार्यों को बताएंगे बल्कि अपनी बिरादरी के लोगों को भी बताएंगे कि मोदी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल में उन्हें मंत्री पद देकर उनकी बिरादरी को महत्व देने के साथ ही उनका सम्मान किया है.
गौरतलब है कि 16 अगस्त से शुरू होकर ये जन आशीर्वाद यात्रा 20 अगस्त को समाप्त होगी. जन आशीर्वाद यात्रा के जरिये जनता का आशीर्वाद और सरकार की उपलब्धियां गिनाने निकले मंत्रियों में पंकज चौधरी, कौशल किशोर, अजय मिश्रा, अनुप्रिया पटेल, बीएल वर्मा, एसपी बघेल और भानु प्रताप वर्मा शामिल हैं. जातिगत जनगणना कराए जाने के पंकज चौधरी भी हिमायती हैं. तमाम दलों द्वारा जनगणना कराए जाने की मांग के सवाल पर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि पीएम मोदी ने ये अधिकार यूपी सरकार को दे दिया है. अब यूपी सरकार इस पर फैसला लेगी.
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बता दें कि वर्ष 2021 में देश भर में राष्ट्रीय जनगणना होना प्रस्तावित है. देश में हर 10 साल में होने वाली जनगणना में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों की गणना हमेशा से की जाती रही है, लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को इस गणना से दूर रखा जाता है. हालांकि इसी तर्ज पर ओबीसी समाज भी चाहता है कि उसकी भी गणना की जाए ताकि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों की तरह उन्हें भी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सके. समय-समय पर देश में जातिगत जनगणना की मांग तेज होती है, लेकिन यह फिर मंद पड़ जाती है. इस बार भी जातिगत जनगणना को लेकर क्षेत्रीय पार्टियां मुखर होकर सामने आ रही हैं और सरकार पर दबाव बना रही हैं कि जातिगत जनगणना कराई जाए.