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बाराबंकी में जमीन के मालिकाना हक को लेकर तीन संस्थाएं आमने-सामने - बाराबंकी की सरकारी जमीन

यूपी के बाराबंकी में अतिक्रमण हटाने के बाद खाली हुई बेशकीमती जमीन पर मालिकाना हक को लेकर सरकार की तीन संस्थाएं आमने-सामने आ गई हैं. कब्जेदारी के आधार पर उपभोक्ता भंडार इस पर अपना हक जता रहा है तो विक्रयनामे के आधार पर नगर पालिका इस पर अपना दावा कर रही है. वहीं जवाहरलाल नेहरू स्मारक पीजी कॉलेज मालिकाना हक को लेकर अपना दावा कर रही है.

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बाराबंकी की सरकारी जमीन
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Published : Dec 22, 2019, 7:18 PM IST

बाराबंकी: बेगमगंज स्थित उपभोक्ता भंडार में कुछ दिन पहले तक अतिक्रमण था. जैसे ही यहां से अतिक्रमण हटा, इस बेशकीमती जमीन पर लोगों की निगाहें जम गई. कभी यहां काल्विन लाइब्रेरी हुआ करती थी. बाद में इसका नाम अंजुमन लाइब्रेरी कर दिया गया. जिलाधिकारी की अध्यक्षता में इसकी देख रेख होती थी.

उपभोक्ता भंडार पर अतिक्रमण हटने के बाद तीन संस्थाओं ने जताया अपना हक.

वर्ष 1964 में जवाहरलाल नेहरू की याद में तत्कालीन डीएम एलके नागर, जिला पंचायत अध्यक्ष और बाबू रामसिंह की पहल पर नगर में जवाहरलाल नेहरू स्मारक यानी जनेस्मा पीजी कॉलेज खोला गया. चूंकि डीएम इसके अध्यक्ष थे लिहाजा उन्होंने अंजुमन लाइब्रेरी को डिग्री कॉलेज में मर्ज कर दिया. लाइब्रेरी से कॉलेज दूर होने के चलते वर्ष 1966 में कॉलेज ने लाइब्रेरी भवन को उपभोक्ता भण्डार को किराए पर दे दिया. तब से उपभोक्ता भंडार इस पर काबिज है और इसे अपना बता रहा है.

ये भी पढ़ें: बाराबंकीः धूम्रपान पर अब नहीं खैर, पुलिस करेगी कोटपा से कार्रवाई

उधर नगरपालिका चेयरमैन का कहना है कि वर्ष 1986 में उन्होंने कॉलेज से 9 लाख 17 हजार रुपये में इस भूमि को खरीदने का समझौता किया था. यही नहीं 5 लाख रुपये जनेस्मा महाविद्यालय के विज्ञान कोष में जमा भी कर दिए गए थे. वर्ष 2012 में नगर पालिका प्रशासन ने शेष रकम लेकर इस जमीन का बैनामा कराने का अनुरोध भी किया था लेकिन बैनामा नहीं हो सका. अब नगरपालिका ने विक्रयनामे के आधार पर अपना हक जताते हुए कोर्ट की शरण ली है.

वहीं जनेस्मा प्राचार्य का कहना है कि उपभोक्ता भंडार उनका किराएदार है. उन्होंने बताया कि 1986 में उस जमीन को बेचने का लिया गया निर्णय न्याय संगत नहीं था. कॉलेज की जमीन पर कोई निर्णय प्रबंधतंत्र ही ले सकता है. लिहाजा कालेज ही इस जमीन का मालिक है.

बाराबंकी: बेगमगंज स्थित उपभोक्ता भंडार में कुछ दिन पहले तक अतिक्रमण था. जैसे ही यहां से अतिक्रमण हटा, इस बेशकीमती जमीन पर लोगों की निगाहें जम गई. कभी यहां काल्विन लाइब्रेरी हुआ करती थी. बाद में इसका नाम अंजुमन लाइब्रेरी कर दिया गया. जिलाधिकारी की अध्यक्षता में इसकी देख रेख होती थी.

उपभोक्ता भंडार पर अतिक्रमण हटने के बाद तीन संस्थाओं ने जताया अपना हक.

वर्ष 1964 में जवाहरलाल नेहरू की याद में तत्कालीन डीएम एलके नागर, जिला पंचायत अध्यक्ष और बाबू रामसिंह की पहल पर नगर में जवाहरलाल नेहरू स्मारक यानी जनेस्मा पीजी कॉलेज खोला गया. चूंकि डीएम इसके अध्यक्ष थे लिहाजा उन्होंने अंजुमन लाइब्रेरी को डिग्री कॉलेज में मर्ज कर दिया. लाइब्रेरी से कॉलेज दूर होने के चलते वर्ष 1966 में कॉलेज ने लाइब्रेरी भवन को उपभोक्ता भण्डार को किराए पर दे दिया. तब से उपभोक्ता भंडार इस पर काबिज है और इसे अपना बता रहा है.

ये भी पढ़ें: बाराबंकीः धूम्रपान पर अब नहीं खैर, पुलिस करेगी कोटपा से कार्रवाई

उधर नगरपालिका चेयरमैन का कहना है कि वर्ष 1986 में उन्होंने कॉलेज से 9 लाख 17 हजार रुपये में इस भूमि को खरीदने का समझौता किया था. यही नहीं 5 लाख रुपये जनेस्मा महाविद्यालय के विज्ञान कोष में जमा भी कर दिए गए थे. वर्ष 2012 में नगर पालिका प्रशासन ने शेष रकम लेकर इस जमीन का बैनामा कराने का अनुरोध भी किया था लेकिन बैनामा नहीं हो सका. अब नगरपालिका ने विक्रयनामे के आधार पर अपना हक जताते हुए कोर्ट की शरण ली है.

वहीं जनेस्मा प्राचार्य का कहना है कि उपभोक्ता भंडार उनका किराएदार है. उन्होंने बताया कि 1986 में उस जमीन को बेचने का लिया गया निर्णय न्याय संगत नहीं था. कॉलेज की जमीन पर कोई निर्णय प्रबंधतंत्र ही ले सकता है. लिहाजा कालेज ही इस जमीन का मालिक है.

Intro:बाराबंकी ,22 दिसम्बर । अतिक्रमण हटाने के बाद खाली हुई बेशकीमती जमीन पर मालिकाना हक को लेकर सरकार की तीन संस्थाएं आमने- सामने हैं ।कब्जेदारी के आधार पर उपभोक्ता भंडार इस पर अपना हक जता रहा है तो विक्रयनामे के आधार पर नगर पालिका इस पर अपना दावा कर रही है । वहीं जवाहरलाल नेहरू स्मारक पीजी कालेज का मालिकाना हक को लेकर अपना दावा है ।


Body:वीओ - ये है बेगमगंज स्थित उपभोक्ता भंडार । कुछ दिनों पहले तक यहाँ अतिक्रमण था लेकिन जैसे ही अतिक्रमण हटा । इस बेशकीमती जमीन पर लोगों की निगाहें जम गई । कभी यहां काल्विन लाइब्रेरी हुआ करती थी । बाद में इसका नाम अंजुमन लाइब्रेरी कर दिया गया । जिलाधिकारी की अध्यक्षता में इसकी देख रेख होती थी । वर्ष 1964 में जवाहरलाल नेहरू की याद में तत्कालीन डीएम एलके नागर,जिला पंचायत अध्यक्ष और बाबू रामसिंह की पहल पर नगर में जवाहरलाल नेहरू स्मारक यानी जनेस्मा पीजी कालेज खोला गया । चूंकि डीएम इसके अध्य्क्ष थे लिहाजा उन्होंने अंजुमन लाइब्रेरी को डिग्री कालेज में मर्ज कर दिया । लाइब्रेरी से कालेज दूर होने के चलते वर्ष 1966 में कालेज ने लाइब्रेरी भवन को उपभोक्ता भण्डार को किराए पर दे दिया । तब से उपभोक्ता इस पर काबिज है और इसे अपना बता रहा है ।
बाईट - जावेद अजहर , सचिव , उपभोक्ता भंडार

वीओ - उधर नगरपालिका चेयरमैन का कहना है कि वर्ष 1986 में उसने कालेज से 9 लाख 17 हजार रुपये में इस भूमि को खरीदने का समझौता किया था । यही नही 5 लाख रुपये जनेसमा महाविद्यालय के विज्ञान कोष में जमा भी कर दिए गए थे । वर्ष 2012 में नगर पालिका प्रशासन ने शेष रकम लेकर इस जमीन का बैनामा कराने का अनुरोध भी किया था लेकिन बैनामा नही हो सका । अब नगरपालिका ने विक्रयनामे के आधार पर अपना हक जताते हुए कोर्ट की शरण ली है ।
बाईट - रंजीत श्रीवास्तव , पूर्व चेयरमैन और वर्तमान चेयरमैन प्रतिनिधि,नगरपालिका बाराबंकी

वीओ - उधर जनेस्मा प्राचार्य का कहना है कि उपभोक्ता भंडार उनका किराएदार है । साथ ही उन्होंने बताया कि 1986 में उस जमीन को बेचने का लिया गया निर्णय न्याय संगत नही था । कालेज की जमीन पर कोई निर्णय प्रबंधतंत्र ही ले सकता है । लिहाजा कालेज ही इस जमीन का मालिक है ।
बाईट - आरएस यादव , प्राचार्य , जनेस्मा पीजी कालेज बाराबंकी


Conclusion:रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
9454661740
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