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इस गांव में मूलभूत जरूरतों भी नहीं हुई पूरी, शिकायत के बाद भी नहीं हुआ समाधान

बाराबंकी के सफीपुर गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वचिंत है. लोगों का कहना है कि जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है.

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Published : Apr 25, 2019, 4:56 PM IST

मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है इस गांव में

बाराबंकी : जिले का सफीपुर गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है. यह गांव कभी बंकी ग्राम पंचायत का हिस्सा था. ढाई वर्ष पहले हुए नए परिसीमन के बाद यहां ना तो ग्राम पंचायत है और ना ही नगर पालिका. लोगों को जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भी कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों से इसकी शिकायत भी की है. लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.

मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है इस गांव में

मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है इस गांव में

  • जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सफीपुर गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है.
  • इस गांव में ना तो नगरपालिका है और ना ही ये ग्राम पंचायत का हिस्सा है.
  • ढाई साल पहले यहां बंकी ग्राम पंचायत हुआ करती थी.
  • परिसीमन के बाद यहां ना तो ग्राम पंचायत है और ना ही नगर पालिका है.

गांव ढाई वर्ष से उपेक्षा का शिकार हो गया है. पिछले ढाई वर्ष से विकास ठप है .जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में भी समस्या हो गई है. जिले के जिलाधिकारी और एसडीएम के आश्वासन देने के बाद भी कोई राहत नहीं मिली है. उनका कहना है कि हमने मतदान का बहिष्कार करने का मन बनाया था, लेकिन उप जिलाधिकारी नवाबगंज के आश्वासन देने के बाद एक नई उम्मीद जगी है.
विनय कुमार विश्वकर्मा, ग्रामीण

गांव पूरी तरीके से मुख्यधारा से कट चुका है और ढाई वर्षों से इस गांव का विकास ठप पड़ गया है.
दिनेश कुमार, ग्रामीण

इस संबंध में नगर विकास विभाग को सूचना दी जा चुकी है. आदर्श आचार संहिता की अधिसूचना के बाद इन छूटे हुए गांवों को सम्मिलित कर लिया जाएगा. चुनाव बहिष्कार को लेकर ग्रामीणों से बात की गई थी और अब वह मतदान करने के लिए सहमत हैं.
उदय भानु त्रिपाठी, जिलाधिकारी

बाराबंकी : जिले का सफीपुर गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है. यह गांव कभी बंकी ग्राम पंचायत का हिस्सा था. ढाई वर्ष पहले हुए नए परिसीमन के बाद यहां ना तो ग्राम पंचायत है और ना ही नगर पालिका. लोगों को जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भी कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों से इसकी शिकायत भी की है. लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.

मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है इस गांव में

मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है इस गांव में

  • जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सफीपुर गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है.
  • इस गांव में ना तो नगरपालिका है और ना ही ये ग्राम पंचायत का हिस्सा है.
  • ढाई साल पहले यहां बंकी ग्राम पंचायत हुआ करती थी.
  • परिसीमन के बाद यहां ना तो ग्राम पंचायत है और ना ही नगर पालिका है.

गांव ढाई वर्ष से उपेक्षा का शिकार हो गया है. पिछले ढाई वर्ष से विकास ठप है .जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में भी समस्या हो गई है. जिले के जिलाधिकारी और एसडीएम के आश्वासन देने के बाद भी कोई राहत नहीं मिली है. उनका कहना है कि हमने मतदान का बहिष्कार करने का मन बनाया था, लेकिन उप जिलाधिकारी नवाबगंज के आश्वासन देने के बाद एक नई उम्मीद जगी है.
विनय कुमार विश्वकर्मा, ग्रामीण

गांव पूरी तरीके से मुख्यधारा से कट चुका है और ढाई वर्षों से इस गांव का विकास ठप पड़ गया है.
दिनेश कुमार, ग्रामीण

इस संबंध में नगर विकास विभाग को सूचना दी जा चुकी है. आदर्श आचार संहिता की अधिसूचना के बाद इन छूटे हुए गांवों को सम्मिलित कर लिया जाएगा. चुनाव बहिष्कार को लेकर ग्रामीणों से बात की गई थी और अब वह मतदान करने के लिए सहमत हैं.
उदय भानु त्रिपाठी, जिलाधिकारी

Intro:बाराबंकी, 22 अप्रैल। एक ऐसा गांव जहां लोकल बॉडी नाम की कोई चीज नहीं है. स्थानीय विकास का क्रम पिछले ढाई वर्ष शून्य है. यह गांव कभी बंकी ग्राम पंचायत का हिस्सा था. ढाई वर्ष पहले हुए नए परिसीमन के बाद यहां ना तो ग्राम पंचायत है और ना ही नगर पालिका. जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में भी लोगों को होती है समस्या. गांव के लोगों ने इस बात को लेकर कई बार अधिकारियों से भी इसकी शिकायत की है, लेकिन मामला ज्यों का त्यों बना रहा.


Body:बाराबंकी जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह सफीपुर गांव है. इस गांव में ना तो नगरपालिका है और ना ही यह ग्राम पंचायत का हिस्सा है. ढाई वर्ष पहले यहां बंकी ग्राम पंचायत हुआ करती थी. नए परिसीमन के बात बन की ग्राम सभा से कुछ गांव को निकालकर, उन्हें नगर पालिका नवाबगंज का हिस्सा बना दिया गया, और कुछ गांव को मिलाकर ग्राम पंचायत बना दी गई .लेकिन सफीपुर गांव ना तो ग्राम पंचायत का हिस्सा बन सका और ना ही नगर पालिका. गांव के रहने वाले रामानंद जी का कहना है की सबसे बड़ा मुद्दा चुनाव में इस गांव में यही रहने वाला है कि आखिर इस गांव की गलती क्या थी, जिसके कारण पिछले ढाई वर्षों से यहां पर स्थानीय चुनाव प्रक्रिया के नाम पर कुछ भी नहीं है.
गांव के युवा विनय कुमार विश्वकर्मा इस बात से काफी गुस्से में है कि उनका गांव ढाई वर्ष से उपेक्षा का शिकार हो गया है. पिछले ढाई वर्ष से विकास ठप हो गया है .जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में भी समस्या हो गई है. जिले के जिलाधिकारी और एसडीएम के आश्वासन देने के बाद भी इन्हें कोई राहत नहीं मिली है. विनय कुमार विश्वकर्मा का कहना है इन लोगों ने मतदान का बहिष्कार करने की भी बात कही ,लेकिन उप जिला अधिकारी नवाबगंज के आश्वासन देने के बाद यह लोग मतदान का बहिष्कार करने से रुके हुए हैं.
दिनेश कुमार जो अपने खेत में छिड़काव करने के लिए जा रहे थे जब हमने उनसे बात की, तो उन्होंने भी इसी समस्या को सबसे बड़ी समस्या बताया और जन्म प्रमाण पत्र मृत्यु प्रमाण पत्र का जिक्र किया. यह गांव पूरी तरीके से मुख्यधारा से कट चुका है और ढाई वर्षों से इस गांव का विकास ठप पड़ गया है.
जिलाधिकारी उदय भानु त्रिपाठी का कहना है कि इस संबंध में नगर विकास विभाग को सूचना दी जा चुकी है. आदर्श आचार संहिता की अधिसूचना के बाद इन छूटे हुए गांवों को सम्मिलित कर लिया जाएगा. चुनाव बहिष्कार को लेकर ग्रामीणों से बात की गई थी और अब वह मतदान करने के लिए सहमत हैं.


Conclusion:समस्या इस बात की है कि इतनी बड़ी प्रशासनिक गलती आखिर कैसे हुई ? जब इसकी सूचना ग्रामीणों ने प्रशासन को दी तो प्रशासन ने ढाई वर्ष से अब तक कोई कदम क्यों नहीं उठाया ?यह एक बड़ी लापरवाही है क्योंकि पंचायत और लोकल बॉडी स्तर की इकाई ना होने से नागरिकों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इतनी बड़ी चूक का जिम्मेदार कौन है ?



bite -

1- रामानंद ,सफीपुर ,बाराबंकी
2- विनय कुमार विश्वकर्मा, सफीपुर, बाराबंकी
3- दिनेश कुमार , सफीपुर ,बाराबंकी
4- उदयभानु त्रिपाठी ,जिलाधिकारी ,बाराबंकी


रिपोर्ट- आलोक कुमार शुक्ला , रिपोर्टर बाराबंकी 9628 4769 07
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