बाराबंकी : जिले का सफीपुर गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है. यह गांव कभी बंकी ग्राम पंचायत का हिस्सा था. ढाई वर्ष पहले हुए नए परिसीमन के बाद यहां ना तो ग्राम पंचायत है और ना ही नगर पालिका. लोगों को जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भी कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों से इसकी शिकायत भी की है. लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.
मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है इस गांव में
- जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सफीपुर गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है.
- इस गांव में ना तो नगरपालिका है और ना ही ये ग्राम पंचायत का हिस्सा है.
- ढाई साल पहले यहां बंकी ग्राम पंचायत हुआ करती थी.
- परिसीमन के बाद यहां ना तो ग्राम पंचायत है और ना ही नगर पालिका है.
गांव ढाई वर्ष से उपेक्षा का शिकार हो गया है. पिछले ढाई वर्ष से विकास ठप है .जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में भी समस्या हो गई है. जिले के जिलाधिकारी और एसडीएम के आश्वासन देने के बाद भी कोई राहत नहीं मिली है. उनका कहना है कि हमने मतदान का बहिष्कार करने का मन बनाया था, लेकिन उप जिलाधिकारी नवाबगंज के आश्वासन देने के बाद एक नई उम्मीद जगी है.
विनय कुमार विश्वकर्मा, ग्रामीण
गांव पूरी तरीके से मुख्यधारा से कट चुका है और ढाई वर्षों से इस गांव का विकास ठप पड़ गया है.
दिनेश कुमार, ग्रामीण
इस संबंध में नगर विकास विभाग को सूचना दी जा चुकी है. आदर्श आचार संहिता की अधिसूचना के बाद इन छूटे हुए गांवों को सम्मिलित कर लिया जाएगा. चुनाव बहिष्कार को लेकर ग्रामीणों से बात की गई थी और अब वह मतदान करने के लिए सहमत हैं.
उदय भानु त्रिपाठी, जिलाधिकारी