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पुलिस कप्तान की दरियादिली से किस्मतुल की बदल गई "किस्मत"

यूपी के बाराबंकी में एक गन्ना मशीन की चोरी के मामले में पीड़ित महिला की ईंमानदारी से खुश होकर पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने उसकी मदद की. नई मशीन पाकर पीड़ित महिला किस्मतुल गदगद हो उठी.

पुलिस कप्तान की दरियादिली
पुलिस कप्तान की दरियादिली
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Published : Jul 11, 2020, 2:19 AM IST

बाराबंकी: जिले के जहांगीराबाद थाना क्षेत्र के फैजुल्लागंज निवासी एक महिला की ईमानदारी ने जिले के पुलिस अधीक्षक को खासा प्रभावित किया. महिला किस्मतुल की ईमामदारी से प्रभावित होकर उन्होंने उस महिला की मदद करने का बीड़ा उठा लिया. उनके प्रयास का नतीजा रहा कि शुक्रवार को पूर्व अपर मुख्य सचिव अनीता भटनागर जैन ने बाराबंकी पहुंचकर महिला की मदद की. मदद मिलने पर पीड़ित महिला की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

दरअसल, जहांगीराबाद थाना क्षेत्र के फैजुल्लागंज का रहने वाला जमाल अहमद पिछले 7-8 वर्ष से गन्ने का रस बेचकर अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर करता है. शहर के रामनगर तिराहे पर जमाल दुकानदारी करता और रात में वहीं मशीन बांधकर रख देता.

पुलिस कप्तान ने की महिला की मदद.

बीते फरवरी माह में उसकी मशीन चोरी हो गई. मशीन को ढूंढने के लिए उसने तमाम दौड़ भाग की, लेकिन इसी दौरान लॉकडाउन हो गया. एक तो मशीन की चोरी दूसरे लॉकडाउन हो जाने से उसका परिवार भुखमरी के कगार पर आ गया.

जिसके बाद जमाल की पत्नी किस्मतुल ने 10 जून को पुलिस अधीक्षक डॉ अरविंद चतुर्वेदी से इस मामले को लेकर शिकायत की. महिला की पीड़ा सुनकर पुलिस अधीक्षक द्रवित हो गए. उन्होंने उसकी न केवल आर्थिक मदद करने का फैसला किया, बल्कि उसको मशीन देने का भी आश्वासन दिया.

पुलिस कप्तान ने मशीन की खोजबीन की. कुछ दिन बाद बहराइच में नियाज नाम के एक व्यक्ति के पास उस मशीन के होने की जानकारी मिली. पुलिस कप्तान ने किस्मतुल से इस मशीन की पहचान करने को कहा, लेकिन मशीन के रंग दिए जाने से वो उसे नहीं पहचान पाई.

बहराइच के नियाज ने यह शर्त रखी कि किस्मतुल कुरान पर हाथ रखकर कसम खा लें कि ये मशीन उनकी है तो वह उसे ये मशीन दे देगा. इस पर किस्मतुल ने कहा कि एक मशीन के लिए वह कसम नहीं खाएगी, चाहे उसकी मशीन मिले या न मिले. किस्मतुल की इस बात से पुलिस अधीक्षक खासे प्रभावित हुए और उन्होंने उसको मशीन देने का आश्वासन दिया.

पुलिस कप्तान ने इस घटना का जिक्र करते हुए अपने फेसबुक वॉल पर "जमीर जिंदा है" शीर्षक से एक लेख लिखा. जिसे पढ़कर अपर मुख्य सचिव और पूर्व में बाराबंकी जिले की जिलाधिकारी रही अनीता भटनागर जैन बहुत प्रभावित हुई.

इसका नतीजा रहा कि उन्होंने अपनी संस्था "धात्री" के सहयोग से शुक्रवार को किस्मतुल को मशीन उपलब्ध करा दी. अपने दरवाजे पर अधिकारियों का जमावड़ा देख और मशीन पाकर किस्मतुल गदगद हो गईं.

बाराबंकी: जिले के जहांगीराबाद थाना क्षेत्र के फैजुल्लागंज निवासी एक महिला की ईमानदारी ने जिले के पुलिस अधीक्षक को खासा प्रभावित किया. महिला किस्मतुल की ईमामदारी से प्रभावित होकर उन्होंने उस महिला की मदद करने का बीड़ा उठा लिया. उनके प्रयास का नतीजा रहा कि शुक्रवार को पूर्व अपर मुख्य सचिव अनीता भटनागर जैन ने बाराबंकी पहुंचकर महिला की मदद की. मदद मिलने पर पीड़ित महिला की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

दरअसल, जहांगीराबाद थाना क्षेत्र के फैजुल्लागंज का रहने वाला जमाल अहमद पिछले 7-8 वर्ष से गन्ने का रस बेचकर अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर करता है. शहर के रामनगर तिराहे पर जमाल दुकानदारी करता और रात में वहीं मशीन बांधकर रख देता.

पुलिस कप्तान ने की महिला की मदद.

बीते फरवरी माह में उसकी मशीन चोरी हो गई. मशीन को ढूंढने के लिए उसने तमाम दौड़ भाग की, लेकिन इसी दौरान लॉकडाउन हो गया. एक तो मशीन की चोरी दूसरे लॉकडाउन हो जाने से उसका परिवार भुखमरी के कगार पर आ गया.

जिसके बाद जमाल की पत्नी किस्मतुल ने 10 जून को पुलिस अधीक्षक डॉ अरविंद चतुर्वेदी से इस मामले को लेकर शिकायत की. महिला की पीड़ा सुनकर पुलिस अधीक्षक द्रवित हो गए. उन्होंने उसकी न केवल आर्थिक मदद करने का फैसला किया, बल्कि उसको मशीन देने का भी आश्वासन दिया.

पुलिस कप्तान ने मशीन की खोजबीन की. कुछ दिन बाद बहराइच में नियाज नाम के एक व्यक्ति के पास उस मशीन के होने की जानकारी मिली. पुलिस कप्तान ने किस्मतुल से इस मशीन की पहचान करने को कहा, लेकिन मशीन के रंग दिए जाने से वो उसे नहीं पहचान पाई.

बहराइच के नियाज ने यह शर्त रखी कि किस्मतुल कुरान पर हाथ रखकर कसम खा लें कि ये मशीन उनकी है तो वह उसे ये मशीन दे देगा. इस पर किस्मतुल ने कहा कि एक मशीन के लिए वह कसम नहीं खाएगी, चाहे उसकी मशीन मिले या न मिले. किस्मतुल की इस बात से पुलिस अधीक्षक खासे प्रभावित हुए और उन्होंने उसको मशीन देने का आश्वासन दिया.

पुलिस कप्तान ने इस घटना का जिक्र करते हुए अपने फेसबुक वॉल पर "जमीर जिंदा है" शीर्षक से एक लेख लिखा. जिसे पढ़कर अपर मुख्य सचिव और पूर्व में बाराबंकी जिले की जिलाधिकारी रही अनीता भटनागर जैन बहुत प्रभावित हुई.

इसका नतीजा रहा कि उन्होंने अपनी संस्था "धात्री" के सहयोग से शुक्रवार को किस्मतुल को मशीन उपलब्ध करा दी. अपने दरवाजे पर अधिकारियों का जमावड़ा देख और मशीन पाकर किस्मतुल गदगद हो गईं.

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