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बाराबंकीः 40 वर्षों से सेवा कर रहा है श्री राम वन कुटीर आश्रम, अंग्रेज भी आते हैं आश्रम में सेवा देने

बाराबंकी जिले के श्री राम वन कुटीर आश्रम में पिछले 40 वर्षों से असहाय और गरीब लोगों के लिए स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है. इसकी शुरुआत वर्ष 1981 में स्वामी रामदास जी महाराज के द्वारा की गई थी.

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चालीस वर्षों से असहाय लोगों की सेवा कर रहा है आश्रम
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Published : Jan 16, 2020, 5:35 PM IST

बाराबंकी: जिले के हंडियाकोल स्थित श्री राम वन कुटीर पिछले 40 वर्षों से दीन दुखियों और गरीबों की जिंदगी को रोशन कर रहा है. श्री राम वन कुटीर बाराबंकी मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर है. पहले इसे हंडियाकोल का जंगल कहा जाता था. बसन्त मास की पंचमी से दस दिन पहले यहां सेवाभाव का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. देश-प्रदेश से लोग यहां अपनी आंखों की रोशनी ठीक करवाने आते हैं.

चालीस वर्षों से असहाय लोगों की सेवा कर रहा है आश्रम

आश्रम में लगभग एक लाख आंखों के हुए सफल ऑपरेशन
साल 1981 में यहां स्वामी रामदास जी महाराज ने निशुल्क नेत्र चिकित्सा कैम्प की शुरुआत की थी, जिसको अब स्वामी रामज्ञान दास जी आगे बढ़ा रहे हैं. यहां लगभग एक लाख आंखों के सफल ऑपरेशन हो चुके हैं. इसके साथ ही यहां कई गंभीर बीमारियों को भी दूर किया जाता है.

ये भी पढ़ें: योगी मंत्री ने कहा, 'यूपी में गड्ढा मुक्त हुईं सड़कें', शिवपाल ने किया खारिज

मरीजों की देख-रेख के लिए हर इंतजाम होते हैं मुफ्त
इस पुनीत कार्य में देश विदेश के नामी डॉक्टर आकर सेवा देना अपना सौभाग्य मानते हैं. यही नहीं देश के कई इलाकों से सेवादार आकर इन दिन दुखियों और गरीबों की सेवा कर अपने को धन्य मानते हैं. हर वर्ष 10 दिनों तक चलने वाले इस कैंप में मरीज अपनी पीड़ा लेकर आते हैं और ठीक होकर जाते हैं. आश्रम में उनके लिए खाने-पीने के इंतजाम के साथ-साथ बैठने, सोने तक का पूरा प्रबंध मुफ्त में किया जाता है.

बाराबंकी: जिले के हंडियाकोल स्थित श्री राम वन कुटीर पिछले 40 वर्षों से दीन दुखियों और गरीबों की जिंदगी को रोशन कर रहा है. श्री राम वन कुटीर बाराबंकी मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर है. पहले इसे हंडियाकोल का जंगल कहा जाता था. बसन्त मास की पंचमी से दस दिन पहले यहां सेवाभाव का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. देश-प्रदेश से लोग यहां अपनी आंखों की रोशनी ठीक करवाने आते हैं.

चालीस वर्षों से असहाय लोगों की सेवा कर रहा है आश्रम

आश्रम में लगभग एक लाख आंखों के हुए सफल ऑपरेशन
साल 1981 में यहां स्वामी रामदास जी महाराज ने निशुल्क नेत्र चिकित्सा कैम्प की शुरुआत की थी, जिसको अब स्वामी रामज्ञान दास जी आगे बढ़ा रहे हैं. यहां लगभग एक लाख आंखों के सफल ऑपरेशन हो चुके हैं. इसके साथ ही यहां कई गंभीर बीमारियों को भी दूर किया जाता है.

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मरीजों की देख-रेख के लिए हर इंतजाम होते हैं मुफ्त
इस पुनीत कार्य में देश विदेश के नामी डॉक्टर आकर सेवा देना अपना सौभाग्य मानते हैं. यही नहीं देश के कई इलाकों से सेवादार आकर इन दिन दुखियों और गरीबों की सेवा कर अपने को धन्य मानते हैं. हर वर्ष 10 दिनों तक चलने वाले इस कैंप में मरीज अपनी पीड़ा लेकर आते हैं और ठीक होकर जाते हैं. आश्रम में उनके लिए खाने-पीने के इंतजाम के साथ-साथ बैठने, सोने तक का पूरा प्रबंध मुफ्त में किया जाता है.

Intro:बाराबंकी ,16 जनवरी । सेवा और समर्पण का भाव देखना है तो बाराबंकी के हंडियाकोल स्थित श्री राम वन कुटीर आइए। पिछले 40 वर्षों से यह आश्रम दीन दुखियों और गरीबों की जिंदगी को रोशन कर रहा है । आस्था ऐसी कि सात समुंदर पार से भी लोग आने से अपने को रोक नहीं पाते । यही नहीं देश के विभिन्न हिस्सों के धनाढ्य और सरकारी सेवा में लगे लोग भी यहां आकर इन दुखियों की सेवा कर अपने को धन्य मानते हैं । पेश है बाराबंकी से अलीम शेख की खास रिपोर्ट....


Body:वीओ - मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर रेट नदी के किनारे स्थित ये है श्रीराम वन कुटीर । कभी इसे हंडियाकोल का जंगल कहा जाता था लेकिन अब यहां से लोगों की आंखों को रोशन किया जाता है । बसन्त मास की पंचमी से दस दिन पहले यहां सेवाभाव का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है । सूबे ही नही दूसरे प्रदेशों के लोग यहां अपनी आंखों की रोशनी हासिल करने आते हैं ।
बाईट - सुखपाल , मरीज, सीतापुर
बाईट- मो शाहरूख,मरीज ,लखनऊ
बाईट- चेतराम, मरीज , झारखंड

वीओ - साल 1981 में यहां स्वामी रामदास जी महाराज ने निशुल्क नेत्र चिकित्सा कैम्प की शुरुआत की थी जिसको अब स्वामी रामज्ञान दास जी आगे बढ़ा रहे हैं । अब तक यहां लगभग एक लाख आंखों के सफल ऑपरेशन हो चुके हैं । अब तो यहां हाइड्रोसील, हर्निया,पाईल्स और ट्यूमर जैसे ऑपरेशन भी होते हैं ।
बाईट- स्वामी रामज्ञान दास, आश्रम संचालक
बाईट- मनीष मेहरोत्रा, सेवादार, आश्रम

वीओ - इस पुनीत कार्य मे देश विदेश के नामी डॉक्टर आकर सेवा देना अपना सौभाग्य मानते हैं । यही नही देश के कई इलाकों से सेवादार आकर इन दिन दुखियों और गरीबों की सेवा कर अपने को धन्य मानते हैं ।
बाईट- सिएरा , नर्स , यूएसए
बाईट- डॉ जैकब प्रभाकर, जालंधर


Conclusion:यहां के सेवा भाव के अंग्रेज भी कायल हैं । इस आश्रम में आकर सेवा देने में अंग्रेज भी अपने को धन्य मानते हैं । हर वर्ष 10 दिनों तक चलने वाले इस कैंप में मरीज खाली हाथ अपनी पीड़ा लेकर आते हैं और ठीक होकर जाते हैं । आश्रम में उनके लिए खाने-पीने के इंतजाम के साथ साथ बैठने, सोने तक का पूरा प्रबंध रहता है । जांच से लगाकर आप्रेशन और दवाइयां तक मुफ्त में दी जाती हैं । मरीजों की देखरेख में आने वाले तीमारदारों को भी हर सुविधा निशुल्क मुहैया की जाती है ।

रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
9454661740
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