बाराबंकी: पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी जन औषधि योजना गरीबों के लिए किसी वरदान से कम नहीं. पिछले दो वर्षों से जिला महिला अस्पताल चल रहा यह जन औषधि केंद्र इसका गवाह है. हालांकि जागरूकता की कमी और दवाइयों की अनुपलब्धता के चलते आमजन को इसका उतना लाभ नहीं मिल पा रहा, जिसकी अपेक्षा की जा रही थी.
जन औषधि के होते बाहर से दवा खरीदते हैं मरीज
दवाइयों के ब्रांड प्रेम और जागरूकता के अभाव में प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी भारतीय जन औषधि केंद्र योजना की उपयोगिता सार्थक नहीं हो पा रही है, लेकिन जिनको जानकारी है, उसको खासा लाभ मिल रहा है. बाजार से काफी सस्ते दामों पर यहां दवाइयां मिल जा रही हैं. हालांकि लोगों का कहना है कि तमाम दवाइयां नहीं मिल पाती हैं. इसलिए उन्हें मजबूरन बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ती हैं.
डॉक्टर लिखते हैं ब्रांडेड दवाइयां
जिले में महिला अस्पताल के साथ-साथ 6 सामुदायिक केंद्रों पर जन औषधि केंद्र खोले जाने की योजना थी, लेकिन महज महिला अस्पताल और हैदरगढ़ को छोड़कर एक भी केंद्र नहीं खुल सका. जन औषधि केंद्र की उपयोगिता घटाने में डॉक्टरों का भी रोल कम नहीं है. तमाम डॉक्टर ब्रांडेड दवाइयां लिखते हैं जो जन औषधि केंद्र पर नहीं मिल पाती.
पीएम मोदी ने शनिवार को इस योजना का फीडबैक लिया था, जिसके बाद जिले का स्वास्थ्य विभाग गंभीर हो गया है. साथ ही जल्द ही बाकी के केंद्रों को खोले जाने की कवायद में जुट जाएगा.