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हिंदी भाषा साहित्य की दृष्टि से दुनिया की सबसे समृद्ध भाषा हैः कवि गजेंद्र सिंह

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के सुप्रसिद्ध कवि, साहित्यकार गजेंद्र सिंह ‘प्रियांशु’ से हिंदी दिवस पर ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने कहा कि हिंदी दुनिया की सबसे समृद्ध भाषा है. एक दिन पूरी दुनिया को मानसिक शांति और सुख के लिए हिंदी की तरफ ही देखना पड़ेगा.

कवि गजेंद्र सिंह.
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Published : Sep 14, 2019, 11:21 PM IST

बाराबंकीः जिले के सुप्रसिद्ध हिंदी गीतकार और कवि गजेंद्र सिंह ‘प्रियांशु’ ने ईटीवी भारत से हिंदी दिवस के अवसर बातचीत की. उन्होंने बताया कि हिंदी भाषा का भविष्य उज्ज्वल है और यह दुनिया की सबसे समृद्ध साहित्य परंपरा अपने पास रखती है. हिंदी और भारत ने दुनिया में प्रेम का प्रचार-प्रसार किया. चंद्रयान-2 पर लिखी अपनी कविता में कहते हैं 'हमारा संपर्क टूटा है मगर अभी दिल नहीं टूटा'.

कवि गजेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से की बातचीत.

'नागफनियों की गली में फूल का व्यापार मेरा'
उन्होंने हिंदी भाषा को साहित्य परंपरा की दृष्टि से सबसे समृद्ध भाषा बताते हुए कहा कि एक दिन पूरी दुनिया को मानसिक शांति और सुख के लिए हिंदी की तरफ देखना ही पड़ेगा. क्योंकि हिंदी प्रेम की भाषा है और 'वसुधैव कुटुंबकम' के मार्ग को प्रशस्त करती है. अपने चिर परिचित अंदाज में उन्होंने अपनी कविता कही कि 'नागफनियों की गली में फूल का व्यापार मेरा'.

भारतेंदु जी को किया याद
हिंदी दिवस के इस अवसर पर उन्होंने भारतेंदु हरिश्चंद्र जी को याद करते हुए कहा कि 'निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल'. हिंदी दिवस के अवसर पर गजेंद्र सिंह ‘प्रियांशु’ ने कहा कि चंद्रयान-2 हमें निराश होने की जरूरत नहीं है. हिंदी भाषा के साहित्य से हम अपने वैज्ञानिकों में उर्जा कुछ इस प्रकार भरेंगे और कहेंगे चांद से कि 'मैं आऊंगा ओ मेरे चांद खिड़की खोल कर रखना, अभी संपर्क टूटा है हमारा दिल नहीं टूटा'.

बाराबंकीः जिले के सुप्रसिद्ध हिंदी गीतकार और कवि गजेंद्र सिंह ‘प्रियांशु’ ने ईटीवी भारत से हिंदी दिवस के अवसर बातचीत की. उन्होंने बताया कि हिंदी भाषा का भविष्य उज्ज्वल है और यह दुनिया की सबसे समृद्ध साहित्य परंपरा अपने पास रखती है. हिंदी और भारत ने दुनिया में प्रेम का प्रचार-प्रसार किया. चंद्रयान-2 पर लिखी अपनी कविता में कहते हैं 'हमारा संपर्क टूटा है मगर अभी दिल नहीं टूटा'.

कवि गजेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से की बातचीत.

'नागफनियों की गली में फूल का व्यापार मेरा'
उन्होंने हिंदी भाषा को साहित्य परंपरा की दृष्टि से सबसे समृद्ध भाषा बताते हुए कहा कि एक दिन पूरी दुनिया को मानसिक शांति और सुख के लिए हिंदी की तरफ देखना ही पड़ेगा. क्योंकि हिंदी प्रेम की भाषा है और 'वसुधैव कुटुंबकम' के मार्ग को प्रशस्त करती है. अपने चिर परिचित अंदाज में उन्होंने अपनी कविता कही कि 'नागफनियों की गली में फूल का व्यापार मेरा'.

भारतेंदु जी को किया याद
हिंदी दिवस के इस अवसर पर उन्होंने भारतेंदु हरिश्चंद्र जी को याद करते हुए कहा कि 'निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल'. हिंदी दिवस के अवसर पर गजेंद्र सिंह ‘प्रियांशु’ ने कहा कि चंद्रयान-2 हमें निराश होने की जरूरत नहीं है. हिंदी भाषा के साहित्य से हम अपने वैज्ञानिकों में उर्जा कुछ इस प्रकार भरेंगे और कहेंगे चांद से कि 'मैं आऊंगा ओ मेरे चांद खिड़की खोल कर रखना, अभी संपर्क टूटा है हमारा दिल नहीं टूटा'.

Intro: बाराबंकी,14 सितंबर। बाराबंकी के सुप्रसिद्ध हिंदी गीतकार और कवि गजेंद्र प्रियांशु ने ईटीवी भारत से खास बातचीत ने बताया कि, हिंदी भाषा का भविष्य उज्ज्वल है ,और यह दुनिया की सबसे समृद्ध साहित्य परंपरा अपने पास रखती है. हिंदी और भारत ने दुनिया में प्रेम का प्रचार-प्रसार किया. शांति की स्थापना में हिंदी और भारत के योगदान को याद किया. बताया कि हिंदी और भारत प्रेम के धागे से शादी का जोड़ा बुनता है तो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान उन्हीं धागों से कफन बुनता है. चंद्रयान - 2 कहा कि "हमारा संपर्क टूटा है मगर अभी दिल नहीं टूटा ".


Body:तमाम कवि गोष्ठियों और टीवी चैनलों पर प्रसारित हो चुके बाराबंकी के साहित्यकार ,गीतकार , कवि गजेंद्र प्रियांशु ने ईटीवी भारत से हिंदी दिवस के अवसर पर खास बातचीत की , जिसमें उन्होंने हिंदी भाषा को साहित्य परंपरा की दृष्टि से सबसे समृद्ध भाषा बताते हुए कहा कि, एक दिन पूरी दुनिया को मानसिक शांति और सुख के लिए हिंदी की तरफ देखना ही पड़ेगा. क्योंकि हिंदी प्रेम की भाषा है और "वसुधैव कुटुंबकम" के मार्ग को प्रशस्त करती है.
अपनी चिर परिचित अंदाज में उन्होंने कहा कि "नागफनीयों की गली में फूल का व्यापार मेरा"
हिंदी दिवस के इस अवसर पर उन्होंने भारतेंदु हरिश्चंद्र जी को याद करते हुए कहा कि "निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल"
हिंदी दिवस के अवसर पर गजेंद्र प्रियांशु ने कहा कि चंद्रयान-2 हमें निराश होने की जरूरत नहीं है, और हिंदी भाषा के साहित्य के द्वारा हम अपने वैज्ञानिकों को उर्जा से कुछ इस प्रकार भरेंगे और कहेंगे चांद से कि -
"मैं आऊंगा ओ मेरे चांद खिड़की खोल कर रखना, अभी संपर्क टूटा है हमारा दिल नहीं टूटा.


Conclusion:bite-

1- गजेंद्र सिंह प्रियांशु ,(साहित्यकार गीतकार कवि) ,बाराबंकी. राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टीवी चैनलों और बड़े कवि मंच पर अपनी पहुंच रखते हैं.



रिपोर्ट-  आलोक कुमार शुक्ला , रिपोर्टर बाराबंकी, 96284 76907

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